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सरकाघाट में मनाया गया भाईदूज का त्योहार, बाजारों में कम दिखे लोग

उपमंडल सरकाघाट में भाईदूज का त्योहार हर्षोल्लास से मनाया गया. बहनों ने अपने भाइयों को टीका लगाकर उनकी आरती उतारकर यह पर्व मनाया, भाई को टीका लगाने के लिए बहुत सी बहनें एक दिन पहले ही अपने मायके में पहुंच गई थी, जहां पर उन्होंने अपने भाइयों के साथ यह पर्व मनाया.

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Published : Nov 16, 2020, 5:51 PM IST

Bhaidooj in Sarkaghat
सरकाघाट में भाईदूज

सरकाघाट: उपमंडल सरकाघाट में भाईदूज का त्योहार हर्षोल्लास से मनाया गया. बहनों ने अपने भाई को टीका और शगुन देकर त्योहार को बड़े चाव के साथ मनाया. बच्चों को इस पर्व के लिए अधिक उत्साहित देखा गया. बहनों ने अपने भाइयों को टीका लगाकर उनकी आरती उतारकर यह पर्व मनाया.

भाई को टीका लगाने के लिए बहुत सी बहनें एक दिन पहले ही अपने मायके में पहुंच गई थी, जहां पर उन्होंने अपने भाइयों के साथ यह पर्व मनाया. इस बार कोरोना के कारण बाजारों में कम लोग दिखाई दिए.

हर साल इस पर्व पर बाजारों में बहुत अधिक भीड़ दिखाई देती थी, लेकिन सोमवार को सरकाघाट बाजार और बलद्वाड़ा बाजार सूने ही दिखे. पर्व पर बाजारों और बसों में कम भीड़ दिखने का एक कारण कोरोना है. वहीं, खराब मौसम को भी इसका कारण कहा जा सकता है. बता दें कि दो दिनों से मौसम खराब है, जिसके कारण क्षेत्र में ठंड बढ़ गई है.

क्या है भैया दूज की मान्यता

भाईदूज के रूप में मनाए जाने वाले त्योहार के लिए ऐसा माना जाता है कि दीपावली के बाद भाई दूज के दिन ही यमराज ने अपने बहन यमी के घर का रुख किया था. यमराज की बहन यमी ने उनके माथे पर तिलक लगाकर सलामती की दुआ मांगी थी. इस पर यमराज ने अपनी बहन को हमेशा इस दिन उसके पास आने का वचन दिया.

मान्यता है कि इस दिन जो भी भाई अपनी बहन से माथे पर तिलक लगाता है, उसकी लंबी आयु होती है. एक अन्य कथा के अनुसार भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध करने के बाद अपनी बहन सुभद्रा के घर का रुख किया था. कृष्ण की बहन सुभद्रा ने दीये जलाकर भाई का स्वागत किया था और तिलक लगाकर लंबी उम्र की दुआ मांगी थी. इन्हीं भैया दूज का त्योहार मनाया जाता है.

ये भी पढ़ें- मंडी में कोरोना से 3 लोगों की मौत, प्रदेश में अब तक 440 से अधिक लोगों की गई जान

ये भी पढ़ें- मुकेश अग्निहोत्री ने सरकार पर लगाए आरोप, बोले: CM को दिल्ली के चक्कर लगाने क्या लाभ हुआ

सरकाघाट: उपमंडल सरकाघाट में भाईदूज का त्योहार हर्षोल्लास से मनाया गया. बहनों ने अपने भाई को टीका और शगुन देकर त्योहार को बड़े चाव के साथ मनाया. बच्चों को इस पर्व के लिए अधिक उत्साहित देखा गया. बहनों ने अपने भाइयों को टीका लगाकर उनकी आरती उतारकर यह पर्व मनाया.

भाई को टीका लगाने के लिए बहुत सी बहनें एक दिन पहले ही अपने मायके में पहुंच गई थी, जहां पर उन्होंने अपने भाइयों के साथ यह पर्व मनाया. इस बार कोरोना के कारण बाजारों में कम लोग दिखाई दिए.

हर साल इस पर्व पर बाजारों में बहुत अधिक भीड़ दिखाई देती थी, लेकिन सोमवार को सरकाघाट बाजार और बलद्वाड़ा बाजार सूने ही दिखे. पर्व पर बाजारों और बसों में कम भीड़ दिखने का एक कारण कोरोना है. वहीं, खराब मौसम को भी इसका कारण कहा जा सकता है. बता दें कि दो दिनों से मौसम खराब है, जिसके कारण क्षेत्र में ठंड बढ़ गई है.

क्या है भैया दूज की मान्यता

भाईदूज के रूप में मनाए जाने वाले त्योहार के लिए ऐसा माना जाता है कि दीपावली के बाद भाई दूज के दिन ही यमराज ने अपने बहन यमी के घर का रुख किया था. यमराज की बहन यमी ने उनके माथे पर तिलक लगाकर सलामती की दुआ मांगी थी. इस पर यमराज ने अपनी बहन को हमेशा इस दिन उसके पास आने का वचन दिया.

मान्यता है कि इस दिन जो भी भाई अपनी बहन से माथे पर तिलक लगाता है, उसकी लंबी आयु होती है. एक अन्य कथा के अनुसार भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध करने के बाद अपनी बहन सुभद्रा के घर का रुख किया था. कृष्ण की बहन सुभद्रा ने दीये जलाकर भाई का स्वागत किया था और तिलक लगाकर लंबी उम्र की दुआ मांगी थी. इन्हीं भैया दूज का त्योहार मनाया जाता है.

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