शिमला: हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में कई सड़क परियोजनाएं पर काम चल रहा है. इनमें से किरतपुर-मनाली-लेह फोरलेन प्रोजेक्ट (Kiratpur-Manali-Leh four lane) सबसे अधिक अहम योजना है. सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इस फोरलेन प्रोजेक्ट में खुद देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रुचि दिखाते रहे हैं.
दरअसल इस प्रोजेक्ट के बनने के बाद साल में कभी भी लेह पहुंचा जा सकता है. मौजूदा स्थिति की बात करें तो इस रूट में समय तो लगता ही है, बर्फबारी के दिनों में लेह पहुंचना बहुत मुश्किल हो जाता है. फोरलेन बनने से भारतीय सेना कभी भी लेह और फिर एलएसी तक पहुंच सकती है, जहां चीन हमेशा से अपनी चालबाजी से बाज नहीं आता है. इसके अलावा स्थानीय लोगों के साथ-साथ पर्यटकों के लिए भी ये प्रोजेक्ट लाभदायक साबित होगा.
किरतपुर-मनाली-लेह प्रोजेक्ट पर एक नजर- इस प्रोजेक्ट का एक बड़ा हिस्सा हिमाचल से होकर गुजरेगा. पंजाब के किरतपुर से हिमाचल प्रदेश के मनाली तक इस प्रोजेक्ट की लंबाई 197 किलोमीटर होगी. नेशनल हाइवे 21 के इस हिस्से को फोरलेन किया जाएगा. इस प्रोजेक्ट के तहत 37 बड़े पुल, 14 टनल और 3 जगह टोल प्लाजा होंगे. मनाली के बाद इस फोरलेन को लेह तक विकसित किया जाएगा. हिमाचल में इस प्रोजेक्ट को पांच चरणों में पूरा किया जाएगा. पहला चरण किरतपुर-नेरचौक, दूसरा चरण नेरचौक-पंडोह, तीसरा चरण पंडोह-टकोली, चौथा चरण टकौली-कुल्लू, पांचवा चरण कुल्लू-मनाली होगा.
इस प्रोजेक्ट के फायदे- इस प्रोजेक्ट के बनने से कई फायदे (Benifits of Kiratpur Manali Leh four lane project) हैं. सबसे पहले तो किरतपुर से मनाली के बीच की दूरी (Kiratpur to Manali distance) 232 किलोमीटर की दूरी घटकर 195 किलोमीटर हो जाएगी. इसके अलावा किरतपुर से मनाली तक के सफर में 3 घंटे कम लगेंगे. अच्छी सड़क बनने से ईंधन की खपत और उसपर होने वाला खर्च भी कम होगा.
इस प्रोजेक्ट के बनने से सालाना औसतन 900 से 1000 करोड़ रुपये के ईंधन की बचत होगी. इसपर वाहन आसानी से हवा से बातें तो करेंगे ही, प्रदूषण में भी कमी आएगी. सड़क अच्छी होने से हादसों में कमी और वाहनों के रख रखाव या मरम्मत में होने वाले खर्च में भी कमी आएगी. औसतन ईंधन खपत और वाहनों की मरम्मत के खर्च में 50 फीसदी की कमी का अनुमान है. पर्यावरण के लिए भी ये प्रोजेक्ट हितकारी साबित होगा और दुर्गम क्षेत्रों के लिए स्वास्थ्य समेत अन्य मूलभूत सुविधाओं तक भी पहुंच को आसान बनाएगा.
क्यों पड़ी इस प्रोजेक्ट की जरूरत- आर्मी से रिटायर और वर्तमान में सरकाघाट से विधायक कर्नल इंद्र सिंह का कहना है कि रोहतांग टनल बनने के बाद अब कीरतपुर-मनाली-लेह सड़क सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण बन गई है. उन्होंने कहा कि जिस प्रकार पिछले कुछ सालों से चीन का व्यवहार रहा है उसे देखते हुए आने वाले दिनों में यह सड़क महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगी. कर्नल इंद्र सिंह का कहना है कि पहले लेह तक पहुंचने के लिए श्रीनगर से कारगिल होते हुए जाना पड़ता था. यह सड़क भी सर्दियों में नियमित नहीं रहती है. जिसके कारण लेह में विंटर स्टॉकिंग यानी सर्दियों के लिए जरूरी सामान को इकट्ठा करना पड़ता था और इस पर करोड़ों रुपया खर्च करना पड़ता था.
अगर सर्दियों में चीन की तरफ से कोई भारत विरोधी गतिविधि होती तो हवाई मार्ग के अलावा कोई दूसरा नियमित मार्ग बेहद कठिन था. लेकिन इस स्थिति में ये सड़क लाभकारी सिद्ध होगी. पहला फायदा ये होगा कि विंटर स्टॉकिंग की जरूरत नहीं पड़ने और लेह तक 12 महीने सामग्री पहुंचाई जा सकती है. सैनिकों और सेना के लिए आवश्यक सामान हर स्थिति में आसानी से पहुंचाया जा सकता है. श्रीनगर और कारगिल का सफर भी खत्म हो जाएगा. इसके अलावा अगर आपात स्थिति में लेह और चीन बॉर्डर पर सेना की भारी भरकम मशीनें पहुंचानी हो तो वह भी आसानी से पहुंचाई जा सकेगी.
करगिल युद्ध से मिला था सबक- दरअसल 1999 में पाकिस्तान के साथ करगिल युद्ध के समय देश को इस तरह के सड़क मार्ग के महत्व का अहसास हुआ था. पाकिस्तान ने उस दौरान द्रास के पास नेशनल हाइवे-1 को भारी नुकसान पहुंचाया था. ताकि जवानों से लेकर हथियार और जरूरी सामान करगिल तक भारतीय सैनिकों को ना पहुंच सके. ऐसे में भारतीय सेना ने इस मार्ग का इस्तेमाल किया और दुश्मन को करारी शिकस्त दी थी. अब इसी मार्ग को फोरलेन किया जा रहा है.
युद्ध के तनाव के दौरान भारतीय सेना को मजबूती प्रदान करने वाले इस मार्ग की अहमियत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बखूबी समझते हैं. यही कारण है कि उन्होंने केंद्रीय रक्षा सचिव, भूतल परिवहन सचिव व हिमाचल सरकार के मुख्य सचिव को इस फोरलेन पर जल्द से जल्द काम करने को कहा है. किरतपुर से लेकर मनाली तक ये फोरलेन भूतल परिवहन मंत्रालय के जिम्मे है और नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया इसका निर्माण कर रहा है, जबकि इससे आगे का काम बॉर्डर रोड आर्गेनाइजेशन को करना है. एक बार ये मार्ग लेह तक पहुंच गया तो फिर भारतीय सेना सामरिक रूप से बेहद मजबूत हो जाएगी और साल में किसी भी वक्त भारतीय सेना आसानी से बॉर्डर तक पहुंच सकेगी.
सबके लिए फायदे का सौदा- इस फोरलेन का फायदा सिर्फ भारतीय सेना को नहीं होगा. बल्कि हिमाचल के स्थानीय लोगों से लेकर व्यवसायियों और पर्यटकों को भी होगा. इस फोरलेन के बनने से लोगों का वक्त और पैसा बचेगा. बरमाणा सीमेंट फैक्ट्री से सीमेंट लोड कर देशभर में पहुंचाने वाले ट्रकों के लिए भी ये फोरलेन वरदान साबित होगा. इसके अलावा फोरलेन बनने से अस्पताल पहुंचने में सहूलियत होगी, फोरलेन के आस-पास कई विकास परियोजनाएं भी पनपेंगी. हिमाचल पहुंचने वाले लाखों पर्यटकों को भी इस फोरलेन के बनने से सहूलियत होगी.
हिमाचल में अन्य परियोजनाएं- राज्य सरकार प्रदेश की प्रमुख एनएचएआई परियोजनाओं (NHAI Projects in Himachal Pradesh) का शुभारम्भ और शिलान्यास करने के लिए इस वर्ष के मध्य तक प्रधानमंत्री से आग्रह करने की योजना बना रही है. जिसको लेकर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने अधिकारियों को सड़क निर्माण कार्य (Road Projects in Himachal Pradesh)जल्द पूरा करने के निर्देश दिए हैं मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने अधिकारियों को जुलाई महीने के आखिर तक 85 किलोमीटर लम्बे हनोगी-कुल्लू-मनाली सड़क मार्ग के कार्य को पूरा करना को कहा है.
इसके अलावा 104 किलोमीटर लंबे परमाणु- सोलन-कैथलीघाट-शिमला बाईपास सड़क मार्ग, 223 किलोमीटर लंबे शिमला-बिलासपुर-हमीरपुर-मटौर सड़क मार्ग तथा 17 किलोमीटर पिंजौर-बद्दी-नालागढ़ सड़क मार्ग का कार्य भी समय पर पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं. हिमाचल में इस समय पांच नेशनल हाईवे फोरलेन (Four lane projects in Himachal Pradesh) में बदले जा रहे हैं. इनमें शिमला-परवाणू, पिंजौर-बद्दी-नालागढ़, शिमला-मटौर, कितरपुर-मनाली और मंडी-पठानकोट एनएच शामिल है.
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