करसोग: जिला मंडी के करसोग में कृषि विभाग के विशेषज्ञों ने तीन गांव भबनाड़ा, गड़ा माहूं और सवा माहूं में कैम्प आयोजित कर किसानों को सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती की तकनीक के बारे में जागरूक किया. इस अभियान से किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने के लिए शुरू किया है.
इस कार्यक्रम के दौरान किसानों को रासायनिक खाद के प्रयोग बिना प्राकृतिक तरीके से बागवानी और कृषि की उपज लेने के बारे में प्रशिक्षण दिया गया. बागवानों को बताया गया कि किस तरह प्राकृतिक तरीके से पेस्ट बनाकर पौधों में लगाया जा सकता है. इसके अलावा किसानों को जीवामृत, घन जीवामृत व बीजामृत से रबी सीजन में अच्छी फसल लेने के टिप्स दिए गए. इस कार्यक्रम में आसपास के गांव सहित करीब दो सौ किसानों ने भाग लिया.
इस कैम्प के बारे में करसोग कृषि विशेषज्ञ राम कृष्ण चौहान ने बताया कि विभाग की टीम के साथ खेतों में जाकर किसानों को बिजाई करने और प्राकृतिक तकनीक से जीवामृत के बारे में जानकारी दी गई. इस दौरान किसानों को बताया गया कि प्राकृतिक खेती की तकनीक अपनाने से रासायनिक खेती की तुलना में कई गुणा अधिक पैदावार मिल सकती है जिससे किसान आर्थिक तौर पर समृद्ध होने के साथ ही पेस्टिसाइड से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले बुरे प्रभाव से भी बच सकेंगे.
इसको देखते हुए किसानों को प्राकृतिक तरीके से तैयार जीवामृत, घन जीवामृत सहित बीजामृत तैयार करने के बारे में जानकारी दी गई जिसे गाय के गोबर, बेसन, गुड़ और मिट्टी आदि से तैयार किया जाता है. इस तकनीक से किसान एक ड्रम से पांच बीघा जमीन में जीवामृत का छिड़काव कर सकता है. इसके बाद 21 दिन के अंतराल में फिर से जीवामृत व घन जीवामृत का छिड़काव होता है. रासायनिक खाद की तुलना में ये तकनीकी काफी सस्ती है.
कृषि विभाग के एसएमएस रामकृष्ण चौहान ने कहा कि करसोग विकासखंड के तहत भबनाड़ा, गड़ा माहूं और सवा माहूं में किसानों को सुभाष पालेकर प्राकृतिक तकनीक से खेती करने की तकनीक के बारे में जानकारी दी गई. उन्होंने कहा कि इस दौरान बागवानों को प्राकृतिक तरीके से ट्री पेस्ट तैयार करने की विधि बताई गई.
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