मंडीः गर्मियों के सीजन में बहुमूल्य वन संपदा आगजनी की भेंट न चढ़े, इसके लिए वन विभाग ने नियमों को अब और सख्ती के साथ लागू करेगा. विभाग को सूचित किए बिना अपने बगीचों और घासनियों में आग लगाने पर ऐसे लोगों के खिलाफ फारेस्ट राइट एक्ट के तहत केस दर्ज किया जाएगा, जिसमें 6 महीने की सजा का प्रावधान है.
करसोग वन मंडल ने ग्रामीणों सहित प्रधानों के साथ मीटिंग कर नियमों में तय प्रावधानों के बारे में सूचित कर दिया है. यही नहीं, ग्रामीणों को कहा गया है कि अगर कोई भी व्यक्ति नियमों की अवहेलना करता है तो इसकी सूचना तुरन्त विभाग को दी जाए. ताकि ऐसे लापरवाह लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जा सके. सूचना देने पर जानकारी को गुप्त रखा जाने की बात भी कही गई है.
बता दें कि प्रदेश भर में गर्मियों के सीजन में हर साल करोड़ों की वन संपदा आग लगने से तबाह होती है. जिसमें अधिकतर मामले मानवीय भूल के सामने आए हैं. ऐसे में वनों पर आधारित हवा, पानी और मिट्टी पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है. इसको देखते हुए वन विभाग ने आगजनी की घटनाओं को रोकने के लिए सख्ती से निपटने का निर्णय लिया है.
संबंधित फील्ड अधिकारियों से करना होगा सम्पर्क
लोगों को बगीजों और घासनियों में वन विभाग के अधिकारियों की उपस्थिति में ही आग लगानी होगी. इसके लिए पहले पहले संबंधित वन विभाग के गार्ड, बीओ या फिर रेंज ऑफिसर को संपर्क करना होगा.
विभाग से फील्ड अधिकारी के पहुंचने पर की आग लगाई जा सकेगी. अगर कोई भी व्यक्ति नियमों की अवेहलना करता है तो ऐसे व्यक्ति के खिलाफ अब केस दर्ज किया जाएगा. इस बारे में विभाग ने पंचायतों में बैठक कर ग्रामीणों को सूचित कर दिया है.
आगजनी के जीतने भी मामले सामने आए हैं, उसमें कई घटनाएं जंगलों के साथ लगते बगीचों और घासनियों में आग लगाने के कारण हुई है. हालांकि रास्तों से गुजरते वक्त जलती माचिस की तीली, बीड़ी और सिगरेट फेंकने से भी जंगलों में आग लगती है.
आगजनी से वन संपदा को होत है नुकसान
इसके अतिरिक्त लोग पशुओं के चारे के लिए खुद भी जंगलों में आग लगाते हैं. जिस कारण भी जंगलों को भारी नुकसान होता है. आग लगने से कई बार जंगली जानवरों की जान भी चली जाती है. यही नहीं, इस मानवीय भूल के कारण पर्यावरण को बचाने में सहायक कई तरह के जीव जंतु भी आगजनी की भेंट चढ़ जाते हैं.
डीएफओ करसोग आरके शर्मा का कहना है कि फारेस्ट फायर सीजन शुरू हो गया है. ग्रामीणों से मीटिंग कर हिदायत दी गई है कि बगीचों और घासनियों में आग लगाने से पहले वन विभाग के अधिकारियों को सूचित करें. इसके बाद भी अगर नियमों की अवहेलना होती है तो ऐसे लोगों के खिलाफ फारेस्ट राइट एक्ट के तहत मामला दर्ज किया जाएगा.
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