कुल्लू: सनातन धर्म में त्रिदेवों की काफी अहम भूमिका है और त्रिदेव का नाम हर व्यक्ति की जुबान पर भी रमा रहता है. भगवान ब्रह्मा को जहां सृष्टि का जन्मदाता कहा जाता है. तो वहीं भगवान विष्णु जगत का पालनहार करते हैं. भगवान शिव को संहार के देवता के रूप में जाना जाता है और पूरे भारत में ही ब्रह्मा, विष्णु और महेश के दर्शनों के लिए भक्त इनके मंदिरों (Famous temple in kullu) में जुटे रहते हैं.
शायद ही कोई एक ऐसी जगह हो जहां पर त्रिदेव एक ही त्रिकोण में स्थित हों और भक्तों को इस तरह से उनके दर्शन करने का मौका मिला हो, लेकिन जिला कुल्लू में लोगों को इसका सौभाग्य प्राप्त है और यहां पर त्रिकोण में तीनों ही त्रिदेव (Temple of Lord Brahma Vishnu and Mahesh in Kullu) विराजते हैं. हैरानी की बात यह है कि इस बात की जानकारी भी बहुत कम लोगों को है और सैलानियों के लिए भी त्रिदेवों के द्वार अभी तक पूरी तरह से खुल नहीं पाए हैं. इसका मुख्य कारण पर्यटकों के बीच जागरूकता का अभाव है.
बिजली महादेव की पहाड़ी पर भगवान शिव का वास: जिला कुल्लू में बिजली महादेव की पहाड़ी पर जहां भगवान शिव वास करते हैं. तो वहीं इनके ही एक और कोने में भगवान आदि ब्रह्मा का मंदिर खोखण गांव में स्थित है. इसके तीसरे कोने में भगवान विष्णु त्रियुगीनारायण के रूप में डियर गांव में वास करते हैं. अगर देखा जाए तो यह तीनों मंदिर ही त्रिकोण में आमने-सामने स्थापित हैं और तीनों ही देवताओं की जिला कुल्लू में काफी मान्यता है.
मान्यता है कि कुल्लू जिले के खराहल घाटी के शीर्ष पर स्थापित बिजली महादेव का मंदिर (Bijli Mahadev Temple in Kullu) आज भी देश-विदेश से आने वाले लाखों लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है. मान्यता है कि पहाड़ी रूप का दैत्य दोबारा जनमानस को कष्ट न पहुंचा सके, इसके लिए पहाड़ी के ऊपर शिवलिंग को स्थापित किया गया है और देवराज इंद्र को आदेश दिया गया कि वह हर 12 साल बाद शिवलिंग पर बिजली गिराएं.
माना जाता है कि आज भी उस आदेश का पालन हो रहा है और शिवलिंग पर बिजली का गिरना जारी है. दैत्य के वध के बाद बनी उस पहाड़ी को आज बिजली महादेव के नाम से जाना जाता है, जो आज देश-विदेश में शिवभक्तों के लिए आस्था का केंद बन गई है.
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इस वजह से सैलानी नहीं पहुंच पाते मंदिर: इसके अलावा हिमाचल में यह एकमात्र भगवान ब्रह्मा का मंदिर है और प्रमुख मंदिर राजस्थान के पुष्कर में माना जाता है. यहां पर त्रिदेव के द्वार पर निम्न सुविधाओं के कारण ही सैलानी यहां पहुंच नहीं पा रहे हैं. हालांकि तीनों ही मंदिरों को एक दूसरे से जोड़ने के लिए दशकों से योजनाएं तो बन रही हैं, लेकिन आज तक कोई भी एक योजना मूर्त रूप नहीं ले पाई है.
खोखण गांव में आदि ब्रह्मा का प्राचीन मंदिर: जिला कुल्लू के भुंतर से 3 किलोमीटर की दूरी में खोखण गांव में आदि ब्रह्मा का प्राचीन मंदिर है. मान्यता है कि 16वीं सदी में बने इस मंदिर को कारीगरों ने मकड़ी के जाले के बने एक आधार के आधार पर बनाया था. आदि ब्रह्मा का ये मंदिर 4 मंजिला है. ये मंदिर पहाड़ी और पैगोडा शैली का मिश्रित रूप है.
दियार गांव में भगवान विष्णु का ऐतिहासिक मंदिर: दूसरी और दियार गांव में भगवान विष्णु के रूप में पूजे जाने वाले देवता त्रिजुगीनारायण का 500 साल से भी अधिक पुराना ऐतिहासिक मंदिर (Triyugi Narayan Temple Kullu) है. भुंतर से महज 20 किलोमीटर की दूर पहाड़ी पर बिजली महादेव का मंदिर जो आसमानी बिजली गिरने के कारण देश दुनिया में खासा प्रसिद्ध है. तीनों ही मंदिरों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि रखी है और यहां बिजली महादेव के दर्शन के लिए सैलानी भी हजारों की तादाद में हर साल आते हैं.
कई साल पहले तीनों मंदिरों को एक साथ जोड़ने की बनी थी योजना: सालों पहले सरकार ने तीनों मंदिरों को एक साथ जोड़ने की योजना बनाने का भरोसा दिलाया था, लेकिन आज तक ऐसी कोई योजना नहीं बन पाई है. सड़कों की व्यवस्था भी सही न होने के कारण इन मंदिरों में प्रसिद्धि के अनुरूप सैलानी नहीं पहुंच रहे हैं.
धार्मिक पर्यटन से जुड़े कारोबारियों की सरकार से अपील: धार्मिक पर्यटन से जुड़े कारोबारी और युवाओं हरीश शर्मा, योगेश ठाकुर के अनुसार सरकार की योजना के तहत सैलानी के तीनों ही मंदिरों के पहुंचने की व्यवस्था करती है तो इससे रोजगार के साधन भी लोगों को मिलेंगे, लेकिन राजनीतिक इच्छाशक्ति और सरकार की कार्यप्रणाली के बिना यह बिल्कुल भी संभव नहीं है. ऐसे में पर्यटन कारोबारियों ने सरकार से इन क्षेत्रों पर जल्द से जल्द ध्यान देकर विकासात्मक कार्यों पर जोर देने की अपील की है. ताकि उनकी जिंदगी पटरी पर आ सके.
क्या कहते हैं डीसी कुल्लू: वहीं, इस बारे में डीसी कुल्लू आशुतोष गर्ग (DC Kullu Ashutosh Garg) का कहना है कि बिजली महादेव में रोपवे प्रोजेक्ट पर प्रक्रिया (Ropeway Project in Bijli Mahadev) जारी है. दियार में पर्यटन को विकसित (Tourist area in Diyar of Kullu) करने के लिए काम किया जा रहा है और नई मंजिल नहीं राहे कार्यक्रम (nayi manzil nayi rahen program in himachal) के तहत इसे विकसित करने की भी योजना बनाई जा रही है. वहीं, उन्होंने कहा कि खोखण के ऐतिहासिक आदि ब्रह्मा के मंदिर से भी सैलानियों को पहुंचाने के लिए योजना पर काम किया जा रहा है.
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