कुल्लू: 8 अक्टूबर से 14 अक्टूबर तक चलने वाले कुल्लू दशहरा महोत्सव की तैयारियों को लेकर गुरुवार को परिवहन मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर की अध्यक्षता में बैठक का आयोजन किया गया. बैठक में कुल्लू दशहरा को इस बार नए स्वरूप में आयोजित करने के लिए व्यापक तैयारियों पर चर्चा हुई.
मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने बताया कि अनेक प्रकार के वाद्य यंत्र कुल्लू की संस्कृति का सदियों से हिस्सा रहे हैं, लेकिन इनमें से अधिकांश लुप्त हो गए हैं. ऐसे में इस बार पारम्परिक वाद्य यंत्रों को बाहर निकाल कर इनका एक विशेष और वृहद प्रदर्शन किया जाएगा. उन्होंने बताया कि दशहरा के दौरान सही समय निर्धारित करने के लिए उप-समिति को निर्देश दिए गए हैं. उन्होंने बताया कि देवी-देवताओं से जुड़े इन वाद्य यंत्रों से विश्व शांति का आह्वान किया जाएगा और इससे वाद्य यंत्रों के मालिक भी प्रोत्साहित होंगे.
वन मंत्री ने कहा कि देव संस्कृति हमारे जीवन और परम्पराओं का अभिन्न हिस्सा है और सभी लोग इसका सम्मान करते हैं. उन्होंने कहा कि महोत्सव में 250 के करीब जिला के दूर-दराज क्षेत्रों से देवी-देवता आते हैं और इनके साथ हजारों की संख्या में देवलू होते हैं. उत्सव में देवताओं के लिए स्थान पहले ही निर्धारित किए गए हैं और पांडालों में बिजली, पानी की समुचित व्यवस्था करने के लिए संबंधित विभागों को निर्देश जारी किए गए हैं. साथ ही सुरक्षा के भी कड़े प्रबंध किए जाएंगे.
वन मंत्री ने कहा कि कुल्लू का दशहरा विश्व ख्याति प्राप्त महोत्सव है, इसलिए कुल्लू, लाहौल-स्पिति, मण्डल व किन्नौर जिलों के हजारों बुनकरों को अपने उत्पाद बेचने के लिए उपयुक्त मंच प्राप्त मिलता है. प्लाटों का आवंटन दशहरा मेला शुरू होने ने से पांच दिन पहले पूरे हो जाएंगे. उन्होंने कहा कि पिछले साल प्लाट आवंटन से 6.37 करोड़ रुपये की आमदनी हुई थी और इस साल प्लाट की दरों में अधिक इजाफा नहीं किया जाएगा. जिससे उपभोक्ता और व्यवसायी दोनों को नुकसान नहीं होगा. इसके अलावा व्यापारियों को जबरन नहीं उठाया जाएगा, बल्कि पहले से ही उन्हें तिथि के बारे में बता दिया जाएगा. जिससे वो अपना सामान समेट सके .
गोविंद ठाकुर ने कहा कि सांस्कृतिक संध्या महोत्सव की विशेष आकर्षण होती है. सिनेमा जगत से चुनिंदा कलाकारों को स्टार नाइट के लिए आमंत्रित किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि प्रत्येक संध्या को एक विदेशी ट्रुप की प्रस्तुति होगी, इसके लिए विभिन्न देशों के दूतावासों से पत्र व्यवहार किया गया है. इसके अलाव लोक नृत्य दलों को भी आमंत्रित किया गया है, जिसमें केरल, हरियाणा, मध्यप्रदेश और गुजरात से दलों की सहमति प्राप्त हुई है.
गोविंद ठाकुर ने कहा कि महोत्सव में हिमाचल प्रदेश व स्थानीय कलाकारों को अधिमान दिया जाएगा, लेकिन उत्सव की गरिमा व वैभव को बनाए रखने के लिए कलाकारों का चयन ऑडिशन के माध्यम से किया जाएगा. चयन समिति इस बात को ध्यान में रखेगी कि कलाकार जिस जिला व क्षेत्र का गीत प्रस्तुत कर रहा है, वो उसी प्रकार के परिधान पहन कर स्टेज पर आए.
वन मंत्री ने कहा कि पिछले साल उत्सव में प्रदेश के कुल 400 कलाकारों को मौका दिया गया था, जिनमें से 246 केवल कुल्लू जिला से थे. उन्होंने कहा कि स्थानीय कलाकार सांय 5 बजे से 7 बजे तक अपना कार्यक्रम प्रस्तुत करते हैं और यदि आवश्यकता हुई तो इस बार सांस्कृतिक कार्यक्रम सांय चार बजे आरंभ कर दिया जाएगा. एक विशेष थीम पर इस बार कलाकेन्द्र में हर रोज लोकनृत्य प्रतियोगिता करवाई जाएगी. श्रेष्ठ सांस्कृतिक दल उसी दिन सांस्कृतिक संध्या के दौरान अपनी प्रस्तुति देगा. इसके लिए पुरस्कार भी रखे गए हैं.
गोविंद ठाकुर ने कहा कि स्थानीय कलाकारों को प्रोत्साहित करने के लिए पहाड़ी नाइट का आयोजन किया जाएगा और संध्या में दूसरे प्रदेशों का कोई कलाकार शामिल नहीं होगा. उन्होंने बताया कि इस बार लालड़ी नृत्य अथवा सामूहिक महानाटी करवाने के भी प्रयास किए जाएंगे. सूबे की परम्पराओं और संस्कृति से जुड़े अनेक कार्यक्रमों को प्रमुखता के साथ महोत्सव में शामिल किया जाएगा.
वन मंत्री ने कहा कि महोत्सव के दौरान स्वच्छता बनाए रखने पर विशेष बल दिया जाएगा. प्लास्टिक का किसी भी प्रकार से उपयोग न हो, जिला प्रशासन व नगर परिषद इस बात को सुनिश्चित बनाएगा. उन्होंने पुलिस, ग्रामीण विकास, परिवहन विभागों को निर्दश दिए है कि स्वच्छता व सड़क सुरक्षा को लेकर स्कूलों, कालेजों में व्यापक अभियान चलाया जाए.