शिमला: अटल टनल ने न केवल लाहौल घाटी को हर समय शेष विश्व के साथ जोड़े रखने में भूमिका निभाई है बल्कि इसने कोल्ड डेजर्ट (cold desert lahaul spiti) कहे जाने वाले जनजातीय जिले को हिमपात के दौरान भी रोशन रखने (Electricity facility in Lahaul Spiti) के लिए योगदान दिया है. अब बर्फबारी के दौरान भी लाहौल घाटी में उजाला रहेगा. साल भर बिजली की आपूर्ति संभव करने के लिए बिजली बोर्ड ने अटल टनल की मदद ली है. बीआरओ यानी सीमा सड़क संगठन (Border Roads Organisation) के सहयोग से अटल टनल (Atal Tunnel) में अंडर ग्राउंड केबल बिछाई गई है. इससे हिमपात के दौरान भी लाहौल स्पीति में 24x7 बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित होगी. इस परियोजना पर बीआरओ ने अपने स्तर पर 26 करोड़ रुपये खर्च किए हैं.
पूर्व में बर्फबारी के दौरान दिक्कत यह आती थी कि बर्फ के भार से विद्युत लाइन क्षतिग्रस्त (Electricity line damaged) हो जाती थी. बर्फबारी के कारण मरम्मत का काम भी नहीं हो पाता था. अटल टनल बनने के बाद बिजली बोर्ड ने बीआरओ के समक्ष टनल के भीतर अंडर ग्राउंड केबल बिछाने का आग्रह किया. इसी माह यह काम पूरा हुआ है.
राज्य सरकार के ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी (Energy Minister Sukhram Choudhary) के अनुसार बिजली बोर्ड के कर्मचारियों ने कड़ी मशक्कत के बाद लाहौल घाटी के सिस्सू में इसके लिए विशेष 33 केवी का सब स्टेशन तैयार किया. सुखराम चौधरी (Sukhram Choudhary) ने कहा कि बीआरओ की मदद के बिना यह संभव नहीं हो सकता था. उन्होंने बीआरओ की उदार सहायता और सहयोग के लिए आभार जताया. हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड (Himachal Pradesh State Electricity Board) के प्रबंध निदेशक पंकज डढ़वाल के अनुसार सिस्सू सब स्टेशन से लेकर अटल टनल के नॉर्थ पोर्टल तक बोर्ड के कर्मियों ने विद्युत लाइन पहुंचाई है इसके जरिए समूची लाहौल घाटी को रोशनी मिलेगी.
पहले विद्युत लाइन रोहतांग पास से कोकसर होते हुए लाहौल के लिए बिछाई गई थी. रोहतांग और कोकसर में भारी बर्फबारी के कारण ट्रिपिंग और विद्युत लाइन को क्षति पहुंचने के से भारी नुकसान होता था. जिससे हर वर्ष करोड़ों रुपये तो मेंटेनेस पर खर्च होते थे और लाहौल घाटी की विद्युत सप्लाई (Power supply of lahaul valley) भी बाधित रहती थी, लेकिन अब टनल के बीच से विद्युत लाइन ले जाने के कारण रोहतांग पास और कोकसर में आने वाले दिक्कतों से छुटकारा मिल गया है. पंकज डढ़वाल के अनुसार 7 नवंबर से अटल टनल के बीचे से बिछाई विद्युत लाइन के माध्यम से सप्लाई शुरू हो गई है और अब तक एक बार भी ट्रिपिंग की दिक्कत नहीं झेलनी पड़ी है. यह टनल घाटी तक निर्बाध रूप से विद्युत सप्लाई पहुंचाने में वरदान सिद्ध हुई है.
उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) देश का ऐसा राज्य हैं जहां हर रेवेन्यू विलेज में बिजली की सुविधा है. हिमाचल को देश का ऊर्जा राज्य भी कहा जाता है. अपनी जरूरत से अधिक बिजली को बेचकर हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) साल भर में एक हजार करोड़ रुपये तक का राजस्व अर्जित करता है. हिमाचल प्रदेश पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश के साथ-साथ बीच-बीच में तेलंगाना और पश्चिमी बंगाल को भी बिजली बेचता है. हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में अपनी जरूरत से 4 से 6 हजार यूनिट बिजली सरप्लस रहती है.
हिमाचल की कुल विद्युत उत्पादन क्षमता 27436 मेगावाट है. इसमें 24 हजार मेगावाट का ही दोहन हो सकता है. हिमाचल में दुर्गम पहाड़ी इलाके होने के कारण दूरस्थ ग्रामों में बिजली पहुंचाना चुनौतीपूर्ण कार्य है. बिजली बोर्ड लाहौल स्पीति (Electricity Board Lahaul Spiti) में निरंतर विद्युत आपूर्ति के लिए कई सालों से अटल टनल बनने का इंतजार कर रहा था. ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी (Energy Minister Sukhram Choudhary) का कहना है अब लाहौल स्पीति के लोगों को अंधेरे में नहीं रहना पड़ेगा.
ये भी पढ़ें- जिला परिषद सदस्य कविता कंटू मौत मामला, कुलदीप राठौर ने की जांच की मांग