कुल्लू: पश्चिमी हिमालय के जंगलों में पाए जाने वाले शर्मीले पक्षी जाजुराना (shy bird jajurana). इस पक्षी का नाम वेस्टर्न ट्रैगोपैन (Western tragopan) भी है. यह जितना खूबसूरत होता है.उतना ही यह शर्मिला भी होता है. हाल के वर्षों में अवैध शिकार के कारण यह दुर्लभ भी होता गया है. अस्तित्व पर ऐसा संकट आया है कि इनकी संख्या पूरी दुनिया में महज 5000 के आसपास रह गई है. वहीं, अब हिमाचल से जाजुराना के लिए खुशखबरी आई है. हिमाचल के कुल्लू जिले के ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क (Great Himalayan National Park) में हिमाचल के राज्य पक्षी जाजुराना की संख्या बढ़ी है. इस साल मई और जून में अच्छा प्रजनन हुआ है.
ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क में पहले करीब 500 जाजुराना थे. अब इनकी संख्या 600 के आसपास हो गई है. हालांकि इनकी संख्या कितनी बढ़ी है. उसके लिए अब गणना की जाएगी. इसका कारण यह माना जा रहा है कि मई-जून में पार्क पर्यटकों के लिए बंद था और लोगों के कम दखल के कारण यह बदलाव देखने को मिला. अब पार्क मई व जून में जहां जाजुराना का प्रजनन होता है, वो ट्रैक पर्यटकों के लिए बंद करने का प्रस्ताव है. पार्क के बीट अधिकारी ओम प्रकाश नवे ने बताया कि मई-जून में जाजुराना के प्रजनन समय में इस बार लोगों का दखल न होने के कारण प्रजनन अधिक हुआ है. चीड़ फिजेंट पक्षी की संख्या भी बढ़ी है. अब ये पक्षी आसानी देखे जा रहे हैं. ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क में 145 प्रजातियों के पक्षी पाए जाते हैं.
ऐसे में यह कहा जा सकता है कि राज्य पक्षी जाजुराना भी यहां पर संरक्षित हो रहा है. पहले हुई गणना में इनकी संख्या 500 से 600 के बीच थी. वहीं, चीड़ फिजेंट पक्षी (pine pheasant bird) जो 2500 से 3000 मीटर की ऊंचाई पर पाया जाता है. वो भी अब पार्क क्षेत्र में यहां आसानी से देखा जा सकता है. जानकारों की मानें तो जाजुराना के प्रजनन क्षेत्र में बने रोला ट्रैक को मई व जून में बदलकर अन्य जगह से करने का मामला भी अधिकारियों के ध्यान में लाया गया है, ताकि जाजुराना की संख्या में और बढ़ोतरी हो सके. बता दें कि ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क 1172 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. यहां पर पक्षियों के अलावा, स्नो लेपर्ड, भूरे भालू, सीरो, उड़ने वाली गिलहरी सहित कई प्रकार की जड़ी बूटियां और पेड़ पौधे पाए जाते हैं.
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पार्क को 2014 में विश्व धरोहर घोषित किया गया था. जून 2014 में विश्व धरोहर का दर्जा प्राप्त ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क सूबे का पहला पार्क है. हिमाचल प्रदेश की कुल्लू घाटी (Kullu Valley of Himachal Pradesh) का ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क सूबे का सबसे बड़ा नेशनल पार्कों में शुमार है. इसकी जैव विविधता को देखते हुए यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर का दर्जा दिया है. इससे पर्यटन गतिविधियों के साथ वन्य प्राणियों, पक्षियों और जड़ी-बूटियों को संरक्षण मिला है. पार्क क्षेत्र में 25 और इको जोन में 50 प्रतिशत तक पर्यटकों की आवाजाही बढ़ी है. 1171 वर्ग किलोमीटर में फैला पार्क में राज्य पक्षी जाजुराना का संरक्षक बना है. यहां करीब 500 जाजुराना पक्षी हैं.
बता दें कि कस्तूरी मृग और बर्फानी तेंदुआ भी पार्क क्षेत्र में पाया जाता है. नेशनल पार्क में वन्य प्राणियों 31 प्रजातियों में काला और भूरा भालू, कस्तूरी मृग, हिम तेंदुआ, घोरल, हिमालयन नीली भेड़, हिमालयन थार, हिमालयन विजल के अलावा मुर्गा प्रजाति और दुर्लभ पक्षियों की 209 नस्लों में जाजुराना, मोनाल, कोकलास, शाहिल, चिड फिजेंट और 44 तितलियों की प्रजातियां पाई जाती हैं. पार्क में वन्य प्राणियों के साथ पक्षियों व जड़ी-बूटियों के संरक्षण के साथ इनकी संख्या में वृद्धि हुई है.
1500 से 6000 मीटर तक ऊंची पहाड़ियों पर फैले इस पार्क के शिखरों एवं छोटे ग्लेशियरों से ब्यास की सहायक सैंज, तीर्थन और जीवा आदि नदियों को उद्गम है. ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क में न्यूली-शांघड़, न्यूली-सैंज, सैंज वैली,तीर्थन वैली, गुशैणी-तिंदर गांव, गुशैणी-शिल्ट हट, न्यूली-मनु मंदिर, सियूंड-पाशी गांव, रक्तीसर, जीवानाला-पार्वती वैली और पिन-पार्वती और मरौड़ से डेलाथाच-रोला आदि महत्वपूर्ण ट्रैकिंग रूट हैं. पार्क एरिया में 832 के विभिन्न प्रजातियों के पौधे पाए जाते हैं.
इनमें 69 प्रजातियों के पेड़, 113 प्रकार की झाड़ियां, 28 तरह की लताएं तथा 493 जड़ी-बूटियां शामिल हैं. खास बात है कि प्रदेश में पाई जाने 47 हर्बल जड़ी-बूटियों में से 34 पार्क में पाई जाती हैं. इसके अलावा पार्क क्षेत्र में शिकार करने पर प्रतिबंध है. इस पर नजर रखने के लिए कई जगहों पर 35 से अधिक ट्रैप कैमरे लगाए गए हैं, जिन पर वन्य प्राणियों की हलचल कैद करने और शिकारियों पर नजर रखी जाती है.
अरण्यपाल वाइल्ड लाइफ विंग शमशी मीरा शर्मा ने इस संबंधे में कहा कि, ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क में पक्षियों की विभिन्न प्रजातियां पाई जाती हैं. जाजुराना की संख्या में भी बढ़ोतरी हो रही है. इसके प्रजनन क्षेत्र के ट्रैक को बदलने के संबंध में कर्मचारियों ने जानकारी दी थी.
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