कुल्लू: हिमाचल प्रदेश में सहकारिता के क्षेत्र में करीब पांच हजार सोसायटी रजिस्टर्ड हैं लेकिन सहकारिता के क्षेत्र में इन सोसायटी ने कुछ खास काम नहीं किया है. ये बात रजिस्ट्रार डॉ. अजय शर्मा ने कुल्लू में आयोजित सहकारिता सम्मेलन में कही.
रजिस्ट्रार डॉ. अजय शर्मा ने बताया कि प्रदेश में गिनी चुनी कुछ सोसायटी हैं जो सहकारिता के क्षेत्र में कार्य कर रही हैं और जिनकी मिसाल भी देशभर में पेश की जा रही है. बाकी कुछ सोसायटी तो सिर्फ राशन वितरण तक ही सीमित हैं. सोसायटी को अब पुराने कार्यों को छोड़कर नए कार्यों को अपनाना होगा ताकि दम तोड़ रही सहकारिता एक बार फिर से अपनी साख को बचाए रखें.
वहीं, उन्होंने लाहौल-स्पीति की एलपीएस सोसाइटी के मामले में कहा कि जैसे ही इस सोसाइटी में गड़बड़ी की बात सामने आने पर सोसायटी को भंग कर दिया गया और एक प्रशासनिक अधिकारी को नियुक्त किया गया है. प्रदेश सरकार सोसायटी के मामलों की जांच कर रही है और जल्द ही दोबारा चुनाव करवाया जाएगा.
सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए रजिस्ट्रार डॉ. अजय शर्मा ने कहा कि प्रदेश सरकार ने सहकारी सभाओं की ऑडिट के लिए 250 ऑडिटर रखने का निर्णय लिया है. इससे पढ़े-लिखे युवाओं को रोजगार मिलेगा और सहकारी सभाओं की कार्यप्रणाली में भी व्यापक सुधार होगा. पर्यटन, प्राकृतिक खेती, दुग्ध उत्पादन, बागवानी और कई अन्य क्षेत्रों में सहकारी सभाओं के लिए काफी संभावनाएं हो सकती हैं. प्रदेश सरकार विभिन्न विभागों के माध्यम से गठित स्वयं सहायता समूहों को भी सहकारी सभाओं के रूप में पंजीकृत करने पर विचार कर रही है, ताकि अधिक से अधिक युवा स्वरोजगार के लिए प्रोत्साहित हो सकें.