कुल्लू : कुल्लू जिले के कई गांव आग के कारण राख के ढेर में बदल गए हैं जिसके बाद यह गांव फिर पुराना स्वरूप नहीं ले पाए हैं. एक बार जो घर आग की भेंट चढ़ जाते हैं, उनकी जगह अब पक्के मकान ही बन रहे हैं. मलाणा गांव में भी अब ऐसा ही हो रहा है. आग लगने से जो मकान पहले जल गए थे तो अब वे भी नए स्वरूप में नजर आ रहे हैं. यहां पर तीसरी बार आग से बड़ा हादसा हुआ है.
साल 2006 में आग लगने से गांव में 100 से अधिक मकान जल गए थे. साल 2009 में भी कई मकान आग की चपेट में आ गए थे और अब तीसरी बार मलाणा गांव में आग लगने से 16 मकान जल गए हैं. ऐसे में अब एक बार फिर से गांव को बसाने की कवायद शुरू की जाएगी, लेकिन पुराने मकान की तरह अब घर नहीं बन पाएंगे.
वहीं बंजार के कोटला गांव में भी साल 2015 में 40 घरों के 410 लोग बेघर हो गए थे. इसके बाद कोटला गांव को बसाया गया लेकिन अब कोटला गांव नए स्वरूप में नजर आता है. जिला कुल्लू में आग के कारण होने वाला नुकसान करोड़ों रुपए में है. यहां पर दो फायर स्टेशन के अलावा चार फायर पोस्ट भी स्थापित किए गए हैं. हालांकि कुल्लू की 5 लाख से ज्यादा की आबादी के लिए मात्र 6 फायर स्टेशन अग्निकांड के दौरान कम साबित होते हैं.
अग्निशमन केंद्र से मिली जानकारी के अनुसार कुल्लू, मनाली, पतलीकुहल, लारजी, आनी स्टेशन की स्थापना की गई है. कुल्लू का अधिकतर इलाका गांव में बसता है ऐसे में अगर कहीं आग लग जाए तो फायर स्टेशन से गाड़ी को मौके पर पहुंचने के लिए ही 2 घंटे से अधिक का सफर तय करना पड़ता है. कई गांव सड़क सुविधा से न जुड़े होने के कारण गाड़ियां मौके पर नहीं पहुंच पाती है और आग से करोड़ों रुपए की संपत्ति जलकर राख हो जाती है.
अग्निशमन विभाग के अधिकारी दुर्गा सिंह का कहना है कि सितंबर व अक्टूबर माह में आगजनी के कारण 5 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति जलकर राख हो गई है. वहीं अग्निशमन विभाग की मुस्तैदी से करोड़ों रुपए की संपत्ति को नष्ट होने से बचाया भी गया है. कुल्लू के कई इलाकों में लोग अपने घरों में सूखी घास व लकड़ी का भंडारण करते हैं जो कि आग के दौरान घातक साबित होती है. ऐसे में लोग स्वयं भी सतर्कता बरतें और आगजनी की घटना होने पर अग्निशमन विभाग को अवगत करवाएं.
ये भी पढ़ें: बर्फ से ढके रोहतांग दर्रे का दीदार करने पहुंच रहे सैलानी, कारोबारियों के चेहरों पर लौटी रौनक