कुल्लू: हिमाचल प्रदेश में जहां कर्मचारी संगठनों के द्वारा अपनी आवाज को बुलंद करने के लिए धरना प्रदर्शन किया जा रहा है. तो वहीं, अब वन विभाग के तहत समिति में काम कर रहे कर्मचारी भी अपनी मांगों को लेकर लामबंद हो गए हैं. हिमाचल प्रदेश प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन समिति के तहत पूरे प्रदेश में 400 कर्मचारी काम कर रहे हैं. बीते 30 सालों से वह अपनी सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन सरकार ना तो उन्हें नियमित कर रही है और ना ही उन्हें उचित वेतन (HP Forest department workers protest) दिया जा रहा है. अब समिति के तहत काम कर रहे कर्मचारी भी प्रदर्शन पर बैठ गए हैं और सरकार से मांग रखी गई है कि अगर 8 जून को होने वाली बैठक में उनके लिए कोई सकारात्मक फैसला नहीं दिया गया तो वे भूख हड़ताल शुरू कर देंगे.
जिला कुल्लू में भी कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठ गए हैं. धरने पर बैठे हुए कर्मचारी सुरेंद्र कुमार ने बताया कि वन विभाग के तहत ही इस समिति का गठन किया गया है. हालांकि इससे पहले वे एकीकृत जलागम विकास परियोजना कंडी, उसके बाद मध्य हिमालय जलागम विकास परियोजना में भी कार्य करते रहे. प्रदेश सरकार के द्वारा साल 2017 में उनके लिए एक पॉलिसी का भी गठन किया गया, लेकिन आज 5 साल बीतने वाले हैं और सरकार के द्वारा जो नीति बनाई गई थी उस नीति का क्रियान्वयन अभी तक नहीं किया गया है.
उन्होंने कहा कि पिछले 3 दशकों से कार्यरत दैनिक वेतन भोगियों का अनुबंध कर्मचारियों को आज तक सरकार द्वारा तय न्यूनतम दैनिक वेतन भत्ता ही मिल रहा है. इतने सालों तक सेवाएं देने के बाद भी कर्मचारियों का वर्तमान और भविष्य अंधकार में है. वहीं, सभी कर्मचारी प्रदेश सरकार से मांग रखते हैं कि उनके लिए बनाई गई पॉलिसी को भी लागू किया जाए और वन विभाग में जो भी पद रिक्त हो रहे हैं इन खाली पड़े पदों में इन कर्मचारियों की नियुक्ति की जाए ताकि कर्मचारियों का भविष्य अंधकार में न जाए.