किन्नौर/उत्तरकाशी: उत्तराखंड में पर्यटन और वन विभाग के आपसी तालमेल एवं कमजोर नियमावली के चलते ट्रैकिंग रूटों पर पर्यटकों की जान जा रही है. ऐसे में अब हिमाचल के किन्नौर जिला प्रशासन ने बड़ा कदम उठाया है. उत्तरकाशी जनपद और किन्नौर से लगे छितकुल खिमलोग (Himachal bans trekking of Chitkul Khimloga) और लमखागा ट्रेक (Lamkhaga trek of Uttarakhand) को पर्यटकों के लिए अग्रिम आदेशों तक प्रतिबंधित कर दिया गया (Himachal bans trekking) है.
किन्नौर जिले के आपदा उपायुक्त ने इसका लिखित पत्र जारी किया है. छितकुल ट्रैक पर ट्रेकरों के साथ लगातार हो रहे हादसों के कारण यह निर्णय लिया गया है. ऐसे में फिलहाल देश और विदेश से पहुंचने वाले रोमांच के शौकीन पर्यटक इस ट्रैकिंग रूट पर नहीं जा सकेंगे. हिमाचल की ओर से उत्तरकाशी जिला प्रशासन को भी इस रूट को बंद कराने के लिए आवश्यक कार्रवाई का आग्रह किया गया है.
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हिमाचल के किन्नौर जिला प्रशासन ने एक इसका लिखित पत्र जारी किया. उपायुक्त और सह अध्यक्ष डीडीएमए किन्नौर आबिद हुसैन सादिक की ओर से यह पत्र जारी हुआ है. उन्होंने उत्तराखंड के आपदा सचिव और जिलाधिकारी उत्तरकाशी को भी यह पत्र प्रेषित किया है. जिसमें उत्तरकाशी जिला प्रशासन से लमखागा, छितकुल, बोर्सू, खिमलोग पास पर ट्रैकिंग के लिए आने वाले सभी पर्वतारोहियों और ट्रेकर्स पर रोक लगाने को कहा गया है, जिसके बाद जिला प्रशासन ने इस दिशा में आवश्यक कार्रवाई शुरू कर दी है.
हिमाचल के उपायुक्त का पत्र प्राप्त होने पर उत्तरकाशी के जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल ने बताया कि प्रभागीय वनाधिकारी उत्तरकाशी और डीएफओ टौंस वन प्रभाग समेत गोविंद वन्य जीव पशु विहार मोरी और गंगोत्री नेशनल पार्क के अधिकारियों को कार्रवाई के लिए पत्र भेज दिया है. जिलाधिकारी स्तर से भी विभागीय अधिकारियों को रोक लगाने संबंधी पत्र प्रेषित किया जाएगा. पढ़ें- Trek of the Year घोषित हुआ पिंडारी ग्लेशियर, रोजगार को लेकर बढ़ीं उम्मीदें
हालांकि प्रशासन के इस निर्णय से ट्रैकिंग के क्षेत्र में सरकार को खासा नुकसान भी उठाना पड़ेगा. लेकिन, ये भी सच है कि वन विभाग और पर्यटन विभाग के बीच आपसी तालमेल की कमी के कारण जिले में ट्रेकरों की जान भी जा रही है. इसका बड़ा उदाहरण बीते 28 अगस्त को उत्तरकाशी जिले के मोरी से बिना अनुमति खिमलोग दर्रे (5600 meter) के लिए निकला पश्चिम बंगाल के ट्रेकरों का दल है, जिसमें एक ट्रेकर की जान चली गई और एक गंभीर रूप से घायल हो गया. वन विभाग की बिना अनुमति के ट्रेकिंग दल इस रूट पर कैसे निकल गया, ये सवाल खड़ा हो रहा है. इससे पहले भी गत वर्ष छितकुल ट्रेक पर बिना मौसम पूर्वानुमान की जानकारी लिए दल रवाना हुआ और नौ लोगों की जान चली गई थी.
हिमाचल का छितकुल बन रहा मौत का ट्रेक: छितकुल ट्रैक बीते कुछ सालों से रोमांच की जगह मौत का ट्रैक साबित हो रहा है. उत्तरकाशी जिले के मोरी क्षेत्र में गोविंद पशु विहार नेशनल पार्क क्षेत्र से खिमलोग-छितकुल ट्रैकिंग और हर्षिल से लमखागा-छितकुल के लिए देश-विदेश के पर्यटक हर साल बड़ी तादाद में ट्रैकिंग पर जाते हैं. हाल ही में यहां पश्चिम बंगाल के एक ट्रैकर की मौत हो गई और कई पोर्टर और ट्रैकर फंस गए. पिछले साल भी ट्रैक पर बर्फबारी के कारण पश्चिम बंगाल, दिल्ली समेत अन्य राज्यों के 9 ट्रैकरों की मौत हो गई थी और 12 लोग घायल हुए, जिनमें दो लापता भी हुए.
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इस ट्रैकिंग रूट पर हर साल इस तरह की घटनाएं सामने आने से हिमाचल और उत्तराखंड सरकार व प्रशासन को काफी फजीहत झेलनी पड़ी है. भविष्य में इस तरह की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए फिलहाल हिमाचल के किन्नौर जिला प्रशासन ने अब इस ट्रैकिंग रूट को प्रतिबंधित करने का आदेश जारी कर रोमांच के शौकीनों को बड़ा झटका दिया है.