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कुल्लू में सेब की फसल पर स्कैब का खतरा, उद्यान विभाग ने स्प्रे के दिए निर्देश

जिला कुल्लू में सेब की फसल पर स्कैब रोग के लक्षण देखने को मिले हैं, जिसकी वजह से बागवान परेशान हैं. बागवानों ने उद्यान विभाग से इसकी शिकायत की है. वहीं, इसकी जांच के लिए राज्य का बागवानी विभाग सक्रिय हो गया है.

scab on apple crop
सेब की फसल पर स्कैब
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Published : Jul 17, 2020, 1:02 PM IST

कुल्लू: हिमाचल प्रदेश न सिर्फ अपने प्राकृतिक सुंदरता और एडवेंचर के लिए जाना जाता है बल्कि सेब की खेती के लिए भी जाना जाता है. पहाड़ी इलाकों में सबसे ज्यादा सेब की खेती की जाती है. जिला कुल्लू में सेब की फसल पर स्कैब रोग के लक्षण देखने को मिले हैं, जिसकी वजह से बागवान परेशान हैं.

वहीं, अब बागवानों ने उद्यान विभाग से इसकी शिकायत की है. इसकी जांच के लिए राज्य का बागवानी विभाग सक्रिय हो गया है. राज्य के शिमला, कुल्लू और मंडी क्षेत्रों के सेब के बगीचों में बीमारी के लक्षण देखे गए हैं. बागवानी विशेषज्ञ का मानना है कि स्कैब का नियंत्रण प्रथम अवस्था में किया जाना चाहिए समय पर अगर इसका नियंत्रण न किया गया, तो यह रोग धीरे-धीरे पूरे बगीचे में फैल जाता है.

वीडियो रिपोर्ट

इससे न तो फल का विकास हो पाता है और न ही पत्तियों का. स्कैब का प्रभाव अगले साल की फसल पर भी पड़ता है. बागवानी विभाग के अधिकारी डॉ. उत्तम पराशर ने बताया कि सेब की फसल में शुरुआती दौर में स्कैब से बचने के लिए स्प्रे करनी जरूरी होती है, लेकिन कोरोना महामारी के चलते जारी लॉकडाउन में बागवान तय शेड्यूल पर स्प्रे नहीं कर पाए.

बागवानी विभाग ने बागवानों को इस संबंध में निर्देश जारी किए हैं कि स्प्रे के माध्यम से इस बीमारी पर काबू पा सकते हैं. गौर रहे कि सेब में लगने वाला स्कैब रोग एक फफूंदनाशक रोग है, यह एक तरीके की फंगस होती है. ये रोग कभी बारिश और कभी धूप की वजह से फसल में लगता है. यदि इस पर समय रहते काबू न पाया जाए तो यह बगीचे में फैल जाता है, जिससे सेब के उत्पादन में कमी आती है.

ये भी पढे़ं: सोलन में कोरोना वायरस के 18 नए मामले, जिला में कुल 287 संक्रमित

कुल्लू: हिमाचल प्रदेश न सिर्फ अपने प्राकृतिक सुंदरता और एडवेंचर के लिए जाना जाता है बल्कि सेब की खेती के लिए भी जाना जाता है. पहाड़ी इलाकों में सबसे ज्यादा सेब की खेती की जाती है. जिला कुल्लू में सेब की फसल पर स्कैब रोग के लक्षण देखने को मिले हैं, जिसकी वजह से बागवान परेशान हैं.

वहीं, अब बागवानों ने उद्यान विभाग से इसकी शिकायत की है. इसकी जांच के लिए राज्य का बागवानी विभाग सक्रिय हो गया है. राज्य के शिमला, कुल्लू और मंडी क्षेत्रों के सेब के बगीचों में बीमारी के लक्षण देखे गए हैं. बागवानी विशेषज्ञ का मानना है कि स्कैब का नियंत्रण प्रथम अवस्था में किया जाना चाहिए समय पर अगर इसका नियंत्रण न किया गया, तो यह रोग धीरे-धीरे पूरे बगीचे में फैल जाता है.

वीडियो रिपोर्ट

इससे न तो फल का विकास हो पाता है और न ही पत्तियों का. स्कैब का प्रभाव अगले साल की फसल पर भी पड़ता है. बागवानी विभाग के अधिकारी डॉ. उत्तम पराशर ने बताया कि सेब की फसल में शुरुआती दौर में स्कैब से बचने के लिए स्प्रे करनी जरूरी होती है, लेकिन कोरोना महामारी के चलते जारी लॉकडाउन में बागवान तय शेड्यूल पर स्प्रे नहीं कर पाए.

बागवानी विभाग ने बागवानों को इस संबंध में निर्देश जारी किए हैं कि स्प्रे के माध्यम से इस बीमारी पर काबू पा सकते हैं. गौर रहे कि सेब में लगने वाला स्कैब रोग एक फफूंदनाशक रोग है, यह एक तरीके की फंगस होती है. ये रोग कभी बारिश और कभी धूप की वजह से फसल में लगता है. यदि इस पर समय रहते काबू न पाया जाए तो यह बगीचे में फैल जाता है, जिससे सेब के उत्पादन में कमी आती है.

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