ETV Bharat / city

लाहौल घाटी में फागली उत्सव का आगाज, 'जूब' बांटकर बुजुर्गों का लिया आशीर्वाद - फागली उत्सव शुरू

लाहौल घाटी में फागली उत्सव का आगाज हो गया है. इस दौरान जूब बांटकर फागली उत्सव मनाया जाता हैं और बुजुर्गों का आशीर्वाद लिया जा रहा है.स्थानीय लोग इस अवसर पर अपने-अपने ईष्ट देवी-देवताओं की पूजा के बाद गांव के सभी घरों में जाकर पारंपरिक पकवानों का आदान-प्रदान करते हैं. फागली के दिन घाटी के लोग बुजुर्गों को जूब भेंट कर उनसे आशीर्वाद लेते हैं.

Fagli festival started in Lahaul valley
फागली उत्सव का आगाज
author img

By

Published : Feb 13, 2021, 1:22 PM IST

कुल्लूः जिला की लाहौल घाटी में फागली उत्सव का आगाज हो गया है. वहीं, कुल्लू के विभिन्न इलाकों में रहने वाले लाहौल के निवासियों की ओर से भी इसे मनाया जा रहा है. इस दौरान जूब बांटकर फागली उत्सव मनाया जाता हैं और बुजुर्गों का आशीर्वाद लिया जा रहा है.

लाहौल के पट्टन घाटी के मूलिंग, गोशाल, जहालमा, कीर्तिंग, कमरिंग, थिरोट और उदयपुर में बड़े ही उत्साह के साथ लोग फागली त्योहार मना रहे हैं. स्थानीय लोगों के अनुसार अमावस्या के बाद पहले दिन लोग स्थानीय मंदिर में एकत्रित होकर पूजा-अर्चना करते हैं. उसके बाद सामूहिक भोज का आयोजन किया जाता है.

वीडियो रिपोर्ट.

पारंपरिक पकवानों का आदान-प्रदान

स्थानीय लोग इस अवसर पर अपने-अपने ईष्ट देवी-देवताओं की पूजा के बाद गांव के सभी घरों में जाकर पारंपरिक पकवानों का आदान-प्रदान करते हैं. फागली के दिन घाटी के लोग बुजुर्गों को जूब भेंट कर उनसे आशीर्वाद लेते हैं.

घाटी में फागली के कई नाम

लाहौल में फागली को अलग-अलग नामों से जाना जाता है. इनमें कुहन, कुस, फागली, लोसर व जुकारू शामिल हैं. मान्यता है कि सर्दियों में बर्फ ज्यादा पड़ने से लोग कई महीने तक एक-दूसरे से अलग-थलग पड़ जाते थे. राक्षसों और आसुरी शक्तियों के आतंक के कारण लोग घरों से बाहर कम ही निकलते थे. ऐसे में लोग ईष्ट देवी-देवताओं से प्रार्थना करते थे कि उनकी रक्षा करें.

लाहौली तीज त्योहार फागली

लोग इष्ट देवों से प्रार्थना करते थे कि सुरक्षित रहे तो चंद्रमास की प्रथम तिथि को एक दूसरे के हाल से अवगत होंगे और देवी देवताओं सहित बुजुर्गों से सुख व समृद्धि का आशीर्वाद लेंगे. परंपरा को निभाते हुए लाहुली तीज त्योहार फागली के दिन अपने इष्ट देवों से सुख स समृद्धि का आशीर्वाद लेंगे.

Fagli festival started in Lahaul valley
फागली उत्सव का आगाज

प्रथम मिलन पर ढाल करना जरूरी

वहीं, जानकारी देते हुए स्थानीय निवासी शमशेर का कहना है कि इस सभी प्रकिया को ढाल कहा जाता है. जो लोग इस दिन घर से बाहर रहते हैं, उन्हें इस उत्सव के बाद प्रथम मिलन पर ढाल करना आवश्यक होता है. अपने से ज्येष्ठ एवं बुजुर्ग व्यक्ति ढाल ग्रहण कर छोटे को आशीर्वाद देता है.

फागली के दिन दीवार के कोने में बराजा स्थापित किया जाएगा. जिसमें राजा बलि राज, चांद, सूरज, स्थानीय देवता, लक्ष्मी, तथा स्वास्तिक आदि अंकित कर पूजा अर्चना की जाएगी. इस मौके पर तकनीकी शिक्षा मंत्री डॉ. रामलाल मारकंडा, पूर्व विधायक रवि ठाकुर ने लोगों को फागली उत्सव की बधाई दी.

ये भी पढ़े:- सावधान! महिला की एक गलती और खाते से एक लाख रुपये गायब

कुल्लूः जिला की लाहौल घाटी में फागली उत्सव का आगाज हो गया है. वहीं, कुल्लू के विभिन्न इलाकों में रहने वाले लाहौल के निवासियों की ओर से भी इसे मनाया जा रहा है. इस दौरान जूब बांटकर फागली उत्सव मनाया जाता हैं और बुजुर्गों का आशीर्वाद लिया जा रहा है.

लाहौल के पट्टन घाटी के मूलिंग, गोशाल, जहालमा, कीर्तिंग, कमरिंग, थिरोट और उदयपुर में बड़े ही उत्साह के साथ लोग फागली त्योहार मना रहे हैं. स्थानीय लोगों के अनुसार अमावस्या के बाद पहले दिन लोग स्थानीय मंदिर में एकत्रित होकर पूजा-अर्चना करते हैं. उसके बाद सामूहिक भोज का आयोजन किया जाता है.

वीडियो रिपोर्ट.

पारंपरिक पकवानों का आदान-प्रदान

स्थानीय लोग इस अवसर पर अपने-अपने ईष्ट देवी-देवताओं की पूजा के बाद गांव के सभी घरों में जाकर पारंपरिक पकवानों का आदान-प्रदान करते हैं. फागली के दिन घाटी के लोग बुजुर्गों को जूब भेंट कर उनसे आशीर्वाद लेते हैं.

घाटी में फागली के कई नाम

लाहौल में फागली को अलग-अलग नामों से जाना जाता है. इनमें कुहन, कुस, फागली, लोसर व जुकारू शामिल हैं. मान्यता है कि सर्दियों में बर्फ ज्यादा पड़ने से लोग कई महीने तक एक-दूसरे से अलग-थलग पड़ जाते थे. राक्षसों और आसुरी शक्तियों के आतंक के कारण लोग घरों से बाहर कम ही निकलते थे. ऐसे में लोग ईष्ट देवी-देवताओं से प्रार्थना करते थे कि उनकी रक्षा करें.

लाहौली तीज त्योहार फागली

लोग इष्ट देवों से प्रार्थना करते थे कि सुरक्षित रहे तो चंद्रमास की प्रथम तिथि को एक दूसरे के हाल से अवगत होंगे और देवी देवताओं सहित बुजुर्गों से सुख व समृद्धि का आशीर्वाद लेंगे. परंपरा को निभाते हुए लाहुली तीज त्योहार फागली के दिन अपने इष्ट देवों से सुख स समृद्धि का आशीर्वाद लेंगे.

Fagli festival started in Lahaul valley
फागली उत्सव का आगाज

प्रथम मिलन पर ढाल करना जरूरी

वहीं, जानकारी देते हुए स्थानीय निवासी शमशेर का कहना है कि इस सभी प्रकिया को ढाल कहा जाता है. जो लोग इस दिन घर से बाहर रहते हैं, उन्हें इस उत्सव के बाद प्रथम मिलन पर ढाल करना आवश्यक होता है. अपने से ज्येष्ठ एवं बुजुर्ग व्यक्ति ढाल ग्रहण कर छोटे को आशीर्वाद देता है.

फागली के दिन दीवार के कोने में बराजा स्थापित किया जाएगा. जिसमें राजा बलि राज, चांद, सूरज, स्थानीय देवता, लक्ष्मी, तथा स्वास्तिक आदि अंकित कर पूजा अर्चना की जाएगी. इस मौके पर तकनीकी शिक्षा मंत्री डॉ. रामलाल मारकंडा, पूर्व विधायक रवि ठाकुर ने लोगों को फागली उत्सव की बधाई दी.

ये भी पढ़े:- सावधान! महिला की एक गलती और खाते से एक लाख रुपये गायब

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.