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हिमाचल में कोरोना ने विकास कार्यों की रफ्तार पर लगाई ब्रेक, समय से कार्य पूरा करना मुश्किल

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Published : May 12, 2021, 10:36 PM IST

कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने एक बार फिर सभी वर्ग को प्रभावित किया है. चाहे वो छोटे-बड़े उद्योग धंधे हो या प्रदेश में बड़े स्तर पर हो रहे विकास कार्य. सभी पर कोरोना महामारी का असर पड़ा है. हिमाचल में कोरोना की वजह प्रवासी मजदूर अपने घरों को लौट गए हैं, जिसकी वजह से विकास कार्यों को समय से पूरा करना मुश्किल नजर आ रहा रहा है.

फोटो.
फोटो.

कुल्लू: कोरोना के बढ़ते संक्रमण ने हिमाचल में विकास कार्यों की रफ्तार पर ब्रेक लगा दी है. प्रदेश में कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. कोरोना के डर से प्रवासी मजदूर भी अपने घरों को लौटने लगे हैं. जिसका असर विकास कार्यों पर देखने को मिल रहा है.

बिलासपुर में बन रहे एम्स के निर्माण कार्य पर भी कोरोना महामारी का असर दिख रहा है. क्योंकि कोरोना के डर की वजह से यहां मजदूरों की संख्या 50 फीसदी से कम रह गई है. वहीं, पर्यटन नगरी कुल्लू में पार्वती नदी पर बने भूतनाथ पुल की मरम्मत और सड़कों की टायरिंग का काम अधर में लटका हुआ है. इन दोनों ही बड़े निर्माण कार्यों के लिए प्रशिक्षित मजदूर नहीं मिलने के कारण लोक निर्माण विभाग के सामने मुश्किल पैदा हो गई है.

गर्मियों में होता है सड़क की मरम्मत का कार्य

कुल्लू में गर्मियों के मौसम में ही सड़क की मरम्मत और निर्माण का काम हो पाता है, लेकिन प्रशिक्षित मजदूर ना होने के कारण अबकी बार कच्ची सड़क को पक्का करने का काम करने में मुश्किल हो रही हैं. हालांकि, लोक निर्माण विभाग ने कंपनी से भी संपर्क किया है और वे उन्हें अनुमति देने के लिए भी तैयार है. लेकिन कोरोना महामारी की वजह से कंपनी प्रबंधन भी अभी तक अपनी ओर से कोई ठोस पहल नहीं कर पाया है.

वीडियो रिपोर्ट.

एम्स निर्माण कार्य पर कोरोना का साया

कोरोना महामारी के डर से करीब 1200 मजदूरों के काम पर न लौटने से एम्स में भवन निर्माण की रफ्तार पर भी ब्रेक लग गई है. वर्तमान में करीब 1 हजार मजदूर ही साइट पर काम कर रहे हैं. कंस्ट्रक्शन कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि 31 मार्च तक एम्स प्रबंधन ने आयुष ब्लॉक, ओपीडी भवन (अस्थायी), अकादमिक भवन, आवासीय भवन की दो बिल्डिंग, फैकल्टी के लिए दो टॉवर, डाइनिंग हॉल तैयार कर दिए हैं. अगर हालात सामान्य नहीं हुए तो दिसंबर 2021 में भी भवन का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पाएगा.

ये भी पढ़ें: कोरोना ने बदली हिमाचल पुलिस की कार्यशैली, जरूरी मामलों में ही सलाखों के पीछे भेजे जा रहे अपराधी

घरों को लौट रहे मजदूर

ठेकेदार विक्की कुमार का कहना है कि कोरोना के डर से प्रवासी मजदूर अपने घरों को लौट रहे हैं. होली के दौरान जो मजदूर घर गए थे वे अब लौटना नहीं चाहते हैं. और जो यहां अभी रुके हुए थे, वे कोरोना की दूसरी लहर के डर से अपने घरों को लौटेने की तैयारी कर रहे हैं. ऐसे में शहर में चल रहा भवन निर्माण कार्य प्रभावित हो रहा है.

प्रदेश में समय से विकास कार्य पूरा होना मुश्किल

हिमाचल में कोरोना के बढ़ते मामलों को नियंत्रित करने के लिए प्रदेश सरकार ने कोरोना कर्फ्यू लगाया है. साथ ही प्रदेश में धारा 144 भी लागू की है. लेकिन विकास कार्यों को पूरा करने के लिए सरकार ने छूट दी है. प्रदेश में छोटे-बड़े स्तर पर निर्माण कार्य तो हो रहे हैं, लेकिन प्रवासी मजदूरों के अपने-अपने घरों को लौट जाने की वजह से इन निर्माण कार्यों को समय से पूरा कर पाना मुश्किल नजर आ रहा है.

ये भी पढ़ें: तीमारदारों के लिए अस्पतालों में नहीं कोई व्यवस्था, बेंच पर सोकर गुजारनी पड़ती है रातें

कुल्लू: कोरोना के बढ़ते संक्रमण ने हिमाचल में विकास कार्यों की रफ्तार पर ब्रेक लगा दी है. प्रदेश में कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. कोरोना के डर से प्रवासी मजदूर भी अपने घरों को लौटने लगे हैं. जिसका असर विकास कार्यों पर देखने को मिल रहा है.

बिलासपुर में बन रहे एम्स के निर्माण कार्य पर भी कोरोना महामारी का असर दिख रहा है. क्योंकि कोरोना के डर की वजह से यहां मजदूरों की संख्या 50 फीसदी से कम रह गई है. वहीं, पर्यटन नगरी कुल्लू में पार्वती नदी पर बने भूतनाथ पुल की मरम्मत और सड़कों की टायरिंग का काम अधर में लटका हुआ है. इन दोनों ही बड़े निर्माण कार्यों के लिए प्रशिक्षित मजदूर नहीं मिलने के कारण लोक निर्माण विभाग के सामने मुश्किल पैदा हो गई है.

गर्मियों में होता है सड़क की मरम्मत का कार्य

कुल्लू में गर्मियों के मौसम में ही सड़क की मरम्मत और निर्माण का काम हो पाता है, लेकिन प्रशिक्षित मजदूर ना होने के कारण अबकी बार कच्ची सड़क को पक्का करने का काम करने में मुश्किल हो रही हैं. हालांकि, लोक निर्माण विभाग ने कंपनी से भी संपर्क किया है और वे उन्हें अनुमति देने के लिए भी तैयार है. लेकिन कोरोना महामारी की वजह से कंपनी प्रबंधन भी अभी तक अपनी ओर से कोई ठोस पहल नहीं कर पाया है.

वीडियो रिपोर्ट.

एम्स निर्माण कार्य पर कोरोना का साया

कोरोना महामारी के डर से करीब 1200 मजदूरों के काम पर न लौटने से एम्स में भवन निर्माण की रफ्तार पर भी ब्रेक लग गई है. वर्तमान में करीब 1 हजार मजदूर ही साइट पर काम कर रहे हैं. कंस्ट्रक्शन कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि 31 मार्च तक एम्स प्रबंधन ने आयुष ब्लॉक, ओपीडी भवन (अस्थायी), अकादमिक भवन, आवासीय भवन की दो बिल्डिंग, फैकल्टी के लिए दो टॉवर, डाइनिंग हॉल तैयार कर दिए हैं. अगर हालात सामान्य नहीं हुए तो दिसंबर 2021 में भी भवन का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पाएगा.

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घरों को लौट रहे मजदूर

ठेकेदार विक्की कुमार का कहना है कि कोरोना के डर से प्रवासी मजदूर अपने घरों को लौट रहे हैं. होली के दौरान जो मजदूर घर गए थे वे अब लौटना नहीं चाहते हैं. और जो यहां अभी रुके हुए थे, वे कोरोना की दूसरी लहर के डर से अपने घरों को लौटेने की तैयारी कर रहे हैं. ऐसे में शहर में चल रहा भवन निर्माण कार्य प्रभावित हो रहा है.

प्रदेश में समय से विकास कार्य पूरा होना मुश्किल

हिमाचल में कोरोना के बढ़ते मामलों को नियंत्रित करने के लिए प्रदेश सरकार ने कोरोना कर्फ्यू लगाया है. साथ ही प्रदेश में धारा 144 भी लागू की है. लेकिन विकास कार्यों को पूरा करने के लिए सरकार ने छूट दी है. प्रदेश में छोटे-बड़े स्तर पर निर्माण कार्य तो हो रहे हैं, लेकिन प्रवासी मजदूरों के अपने-अपने घरों को लौट जाने की वजह से इन निर्माण कार्यों को समय से पूरा कर पाना मुश्किल नजर आ रहा है.

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