कुल्लू: क्षेत्रीय अस्पताल कुल्लू (Regional Hospital Kullu) में डॉक्टरों की कमी को लेकर चल रहा कांग्रेस का धरना-प्रदर्शन अब जन आंदोलन में परिवर्तित हो रहा है. विधायक सुंदर सिंह ठाकुर ने आम जनता की दुखती रग पर हाथ रख कर पूरे जिला में सहानुभूति बटोरी है. लिहाजा अब इस आंदोलन में आम जनता भी जुड़ने लगी है और कई महिला मंडल व युवक मंडल भी आंदोलन में शामिल (shortage of doctors in Kullu Hospital) होने लगे हैं. हैरानी इस बात की है कि भाजपा से जुड़े लोग भी अंदर खाते यह मान रहे हैं कि यह आंदोलन जनता से जुड़ा हुआ आंदोलन है और अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी नेताओं की नालायकी है. एक साथ 10 डॉक्टरों का अस्पताल से जाना और उनकी जगह किसी का भी प्रबंध न करना बड़ा मुद्दा है और सरकार की इसमें किरकिरी होना स्वभाविक है.
वहीं, इस आंदोलन के बहाने निजी अस्पतालों से कमीशन मामले ने नया मोड़ ले लिया है. आम लोगों से जुड़ा यह मामला बेधड़क होकर कुल्लू के विधायक सुंदर ठाकुर ने उठाया कि सरकार के कुछ नेताओं को निजी अस्पतालों से कमीशन मिलती है, जिस कारण कुल्लू अस्पताल में विशेषज्ञ डॉक्टरों की तैनाती नहीं की जाती है. जैसे ही यह मुद्दा विधायक ने उठाया तो आम लोगों के समझ में आ गया था कि आखिर एन मौके पर मरीज को रैफर क्यों किया जाता है. ऐसे में विधायक की (MLA Sunder Singh Thakur) टीआरपी उछाल मार रही है जबकि सत्तापक्ष इस मामले में बैकफुट पर चला गया है. अस्पताल आम लोगों की जरूरत है और अब यह आंदोलन कांग्रेस का आंदोलन न रह कर आम जनता का आंदोलन बनता जा रहा है.
धरने पर बैठी महिलाओं आशा ठाकुर व इंदिरा ठाकुर का कहना है कि मांगों को लेकर तपती धूप में महिलाएं बैठी हैं हालांकि यहां पर उन्होंने टेंट लगाने की भी प्रशासन से अनुमति मांगी थी लेकिन उन्हें टेंट लगाने (shortage of doctors in Kullu Hospital) की भी अनुमति नहीं दी गई. महिलाओं का कहना है कि आम जनता की जरूरत स्वास्थ्य सुविधा का बेहतर होना है लेकिन सरकार ना जाने क्यों कुल्लू अस्पताल के साथ भेदभाव कर रही है. अगर सरकार व प्रशासन का यही रवैया रहा तो आने वाले विधानसभा चुनावों में भाजपा सरकार को इसका खामियाजा भुगतना होगा.
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