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Buransh Juice In Kullu: चीनी से नहीं शहद से तैयार किया बुरांश का शरबत, 2 साल के परीक्षण के बाद मार्केट में उतारा

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Published : Aug 9, 2022, 6:01 PM IST

संजीवनी सरीखा माना जाने वाला बुरांश, औषधीय गुणों की खान माना जाता है. बुरांश एक ऐसा पेड़ है जिसके फूल ना सिर्फ देखने सुंदर लगते हैं बल्कि उनमें तथा इस पेड़ की पत्तियों में ऐसे पोषक तत्व तथा औषधीय गुण पाए जाते हैं जो शरीर को स्वस्थ तथा रोगों से दूर रखते हैं. चीनी से तैयार बुरांश के शरबत का स्वाद तो सभी ने लिया होगा, लेकिन चीनी की जगह (Buransh juice prepared with honey) शहद से बनाया शरबत कुल्लू में मिल रहा है. यह शरबत स्‍वास्‍थ्‍य के लिए भी काफी लाभप्रद है.

Buransh juice prepared with honey
शहद से तैयार किया बुरांश का शरबत

कुल्लू: हिमाचल के पहाड़ी इलाकों में मार्च अप्रैल के माह में जहा जंगल लाल रंग के बुरांश के फूलों से सज जाते हैं तो वहीं, बुरांश के कई उत्पाद तैयार कर लोग भी अपनी आर्थिकी को मजबूत कर रहे हैं. ऐसे में अब कुल्लू में औषधीय गुणों से भरपूर और ठंडी तासीर होने के कारण विभिन्न रोगों में रामबाण माने जाने वाले बुरांश के फूल से तैयार शरबत में अब चीनी की जगह शहद मिठास घोल रहा है.

कुल्लू में मिल रहा शहद युक्त बुरांश शरबत: जी हां, चीनी से तैयार बुरांश के शरबत का स्वाद तो सभी ने लिया होगा, लेकिन चीनी की जगह शहद से बनाया शरबत कुल्लू (Honey Containing Buransh sharbat) में मिल रहा है. यह शरबत स्‍वास्‍थ्‍य के लिए भी (Benefits of Buransh juice) काफी लाभप्रद है. बुरांश हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्र में बहुत ज्‍यादा पाया जाता है. जिला कुल्लू की द देव नारायण मधुमक्खी पालन (THE Dev Narayan Beekeeping Committee Kullu) एवं दुग्ध उत्पादक सहकारी सीमित भाटकराल (रायसन) ने बाजार में बुरांश का ऐसा शरबत उतारा है, जिसमें चीनी बिल्कुल भी प्रयोग नहीं की गई है, बल्कि उसकी जगह सोसायटी की ओर से स्वयं तैयार किया गया शहद मिलाया है.

Buransh juice prepared with honey
कुल्लू में शहद युक्त बुरांश का शरबत बनाया जा रहा

शहद मिश्रित बुरांश लोगों को आ रहा पसंद: सोसायटी की ओर से कृषि विज्ञान केंद्र बजौरा के (Krishi Vigyan Kendra Bajaura) सहयोग से मिलकर तैयार यह शहद मिश्रित बुरांश के शरबत का नया फ्लेवर तैयार किया गया है, जिसे लोग काफी पसंद कर रहे हैं. सोसायटी के अध्यक्ष हेमराज ठाकुर और महासचिव वीर सिंह ठाकुर सहित अन्य पदाधिकारियों ने बताया कि वर्ष 2013 में गठित 18 सदस्यीय सोसायटी दुग्ध उत्पादन के अलावा उद्यान विभाग से ट्रेनिंग लेकर मधुमक्खी पालन व्यवसाय शुरू किया है. शहद का उत्पादन काफी हो रहा है, लेकिन खरीद कम होने के कारण तीन साल पहले सोसायटी ने शहद की खपत के लिए बुरांश के शरबत में चीनी की जगह इस्तेमाल करने का तरीका सोचा. इसके बाद कृषि विज्ञान केंद्र बजौरा के विशेषज्ञ से इस बारे चर्चा की.

Buransh juice prepared with honey
शहद.

दो सालों तक हुआ परीक्षण: डॉक्‍टर चंद्रकांता सहित अन्य अन्य विशेषज्ञ डॉक्‍टर वीरेंद्र शर्मा और डॉक्‍टर रमेश लाल के मार्गदर्शन (ट्रेनिंग लेकर) से सोसायटी के प्लांट में स्वयं शहद मिश्रित बुरांश का शरबत तैयार किया. दो सालों के परीक्षण के बाद, अब तीसरे साल बाजार (Buransh juice prepared with honey) में उतारा है. सोसायटी ने पिछले तीन माह में आठ क्विंटल शहद से तैयार तीन हजार बुरांश के शरबत की बोतल बेची हैं. ढालपुर मैदान में बीते माह आयोजित जिला रेडक्रास सोसायटी के मेले में लगाए स्टॉल में भी करीब सात से आठ सौ लोगों को निशुल्क शरबत पिलाया गया.

वहीं, एक हजार से अधिक शहद मिश्रित शरबत की बोतल (200 रुपये कीमत) भी बेची और अब लोगों को यह शरबत काफी पसंद आ रहा है. कृषि विज्ञान केंद्र बजौरा की प्रसार विशेषज्ञ (प्राध्यापक) डॉ. चंद्रकांता का कहना है यह आइडिया सोसायटी का था, इसके लिए उन्हें टेक्निकल ट्रेनिंग दी गई. सोसायटी ने अपने प्लांट में शहद मिश्रित शरबत तैयार किया और दो साल के परीक्षण के बाद तीसरे साल इस उत्पाद को बाजार में उतारा है. लोगों को कितना पसंद आता है, खरीद कितनी होती है यह सब देखने के बाद आगे की प्रक्रिया के लिए यूनिवर्सिटी की लैब में भी भेजा जाएगा.

Buransh juice prepared with honey
लोगों को बुरांश का जूस पिलाते हुए सोसायटी के सदस्य

बुरांश के पोषक तत्व: भारत में उत्तराखंड और हिमाचल के सुदूर पहाड़ी क्षेत्रों में पाए जाने वाले (Benefits of Buransh) इस पेड़ पर उगने वाले लाल रंग वाले फूल में पोटेशियम, कैल्शियम, विटामिन-सी, आयरन, जिंक और कॉपर भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. जानकारों के अनुसार इसमें फेनॉल, सैपोनिन, जेंथोप्रोटीन, टैनीन औक फ्लेवोनॉइड आदि फायटोकेमिकल्स पाए जाते हैं. इसके अलावा इसमें क्वेरसेटिन, रुटिन और कौमारिक एसिड जैसे एक्टिव कंपाउंड होते हैं. जो सेहत को कई तरह से फायदा पहुंचाते हैं. इन फूलों की पंखुड़ियों में क्विनिक एसिड पाया जाता है. जो कि स्वादिष्ट होने के साथ ही काफी फायदेमंद भी रहता है. बुरांश में एंटी डायबटिक, एंटी इंफ्लामेटरी और एंटी बैक्‍टीरियल गुण भी पाए जाते हैं.

बुरांश सेहत के लिए फायदेमंद: आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक दवाओं में बुरांश के फूलों और उसकी पत्तियों, दोनों का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें पाए जाने एंटीइन्फलेमेटरी गुणों से चलते इन इसका इस्तेमाल गाउट, रुमेटिस्म, ब्रोंकाइटिस और अर्थराइटिस के इलाज के लिए किया जाता है. बुरांश का सेवन एनीमिया यानी खून की कमी को दूर करने, हड्डियों को मजबूत बनाने और कमजोरी दूर करने में काफी उपयोगी रहता है. इसके अलावा पाचन में समस्या के चलते या गलत आहार खाने के चलते शरीर में होने वाली ज्वलनशीलता तथा उसके परिणामस्वरूप त्वचा, गले या पेट में जलन होने पर भी बुरांश का सेवन काफी राहत देता है. यहीं नहीं बुरांश में एंटी-हिपेरग्लिसेमिक गुण पाया जाता है. जो कि रक्त में शर्करा के स्तर को नियंत्रित करता है. इसीलिए कई बार मधुमेह के रोगियों को बुरांश के फूलों का जूस पीने की सलाह दी जाती है.

ये भी पढ़ें: Aloe Vera Farming: हिमाचल में तैयार एलोवेरा प्रोडक्टों की विदेशों में डिमांड, आर्गेनिक खेती से लाखों की कमाई संभव

कुल्लू: हिमाचल के पहाड़ी इलाकों में मार्च अप्रैल के माह में जहा जंगल लाल रंग के बुरांश के फूलों से सज जाते हैं तो वहीं, बुरांश के कई उत्पाद तैयार कर लोग भी अपनी आर्थिकी को मजबूत कर रहे हैं. ऐसे में अब कुल्लू में औषधीय गुणों से भरपूर और ठंडी तासीर होने के कारण विभिन्न रोगों में रामबाण माने जाने वाले बुरांश के फूल से तैयार शरबत में अब चीनी की जगह शहद मिठास घोल रहा है.

कुल्लू में मिल रहा शहद युक्त बुरांश शरबत: जी हां, चीनी से तैयार बुरांश के शरबत का स्वाद तो सभी ने लिया होगा, लेकिन चीनी की जगह शहद से बनाया शरबत कुल्लू (Honey Containing Buransh sharbat) में मिल रहा है. यह शरबत स्‍वास्‍थ्‍य के लिए भी (Benefits of Buransh juice) काफी लाभप्रद है. बुरांश हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्र में बहुत ज्‍यादा पाया जाता है. जिला कुल्लू की द देव नारायण मधुमक्खी पालन (THE Dev Narayan Beekeeping Committee Kullu) एवं दुग्ध उत्पादक सहकारी सीमित भाटकराल (रायसन) ने बाजार में बुरांश का ऐसा शरबत उतारा है, जिसमें चीनी बिल्कुल भी प्रयोग नहीं की गई है, बल्कि उसकी जगह सोसायटी की ओर से स्वयं तैयार किया गया शहद मिलाया है.

Buransh juice prepared with honey
कुल्लू में शहद युक्त बुरांश का शरबत बनाया जा रहा

शहद मिश्रित बुरांश लोगों को आ रहा पसंद: सोसायटी की ओर से कृषि विज्ञान केंद्र बजौरा के (Krishi Vigyan Kendra Bajaura) सहयोग से मिलकर तैयार यह शहद मिश्रित बुरांश के शरबत का नया फ्लेवर तैयार किया गया है, जिसे लोग काफी पसंद कर रहे हैं. सोसायटी के अध्यक्ष हेमराज ठाकुर और महासचिव वीर सिंह ठाकुर सहित अन्य पदाधिकारियों ने बताया कि वर्ष 2013 में गठित 18 सदस्यीय सोसायटी दुग्ध उत्पादन के अलावा उद्यान विभाग से ट्रेनिंग लेकर मधुमक्खी पालन व्यवसाय शुरू किया है. शहद का उत्पादन काफी हो रहा है, लेकिन खरीद कम होने के कारण तीन साल पहले सोसायटी ने शहद की खपत के लिए बुरांश के शरबत में चीनी की जगह इस्तेमाल करने का तरीका सोचा. इसके बाद कृषि विज्ञान केंद्र बजौरा के विशेषज्ञ से इस बारे चर्चा की.

Buransh juice prepared with honey
शहद.

दो सालों तक हुआ परीक्षण: डॉक्‍टर चंद्रकांता सहित अन्य अन्य विशेषज्ञ डॉक्‍टर वीरेंद्र शर्मा और डॉक्‍टर रमेश लाल के मार्गदर्शन (ट्रेनिंग लेकर) से सोसायटी के प्लांट में स्वयं शहद मिश्रित बुरांश का शरबत तैयार किया. दो सालों के परीक्षण के बाद, अब तीसरे साल बाजार (Buransh juice prepared with honey) में उतारा है. सोसायटी ने पिछले तीन माह में आठ क्विंटल शहद से तैयार तीन हजार बुरांश के शरबत की बोतल बेची हैं. ढालपुर मैदान में बीते माह आयोजित जिला रेडक्रास सोसायटी के मेले में लगाए स्टॉल में भी करीब सात से आठ सौ लोगों को निशुल्क शरबत पिलाया गया.

वहीं, एक हजार से अधिक शहद मिश्रित शरबत की बोतल (200 रुपये कीमत) भी बेची और अब लोगों को यह शरबत काफी पसंद आ रहा है. कृषि विज्ञान केंद्र बजौरा की प्रसार विशेषज्ञ (प्राध्यापक) डॉ. चंद्रकांता का कहना है यह आइडिया सोसायटी का था, इसके लिए उन्हें टेक्निकल ट्रेनिंग दी गई. सोसायटी ने अपने प्लांट में शहद मिश्रित शरबत तैयार किया और दो साल के परीक्षण के बाद तीसरे साल इस उत्पाद को बाजार में उतारा है. लोगों को कितना पसंद आता है, खरीद कितनी होती है यह सब देखने के बाद आगे की प्रक्रिया के लिए यूनिवर्सिटी की लैब में भी भेजा जाएगा.

Buransh juice prepared with honey
लोगों को बुरांश का जूस पिलाते हुए सोसायटी के सदस्य

बुरांश के पोषक तत्व: भारत में उत्तराखंड और हिमाचल के सुदूर पहाड़ी क्षेत्रों में पाए जाने वाले (Benefits of Buransh) इस पेड़ पर उगने वाले लाल रंग वाले फूल में पोटेशियम, कैल्शियम, विटामिन-सी, आयरन, जिंक और कॉपर भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. जानकारों के अनुसार इसमें फेनॉल, सैपोनिन, जेंथोप्रोटीन, टैनीन औक फ्लेवोनॉइड आदि फायटोकेमिकल्स पाए जाते हैं. इसके अलावा इसमें क्वेरसेटिन, रुटिन और कौमारिक एसिड जैसे एक्टिव कंपाउंड होते हैं. जो सेहत को कई तरह से फायदा पहुंचाते हैं. इन फूलों की पंखुड़ियों में क्विनिक एसिड पाया जाता है. जो कि स्वादिष्ट होने के साथ ही काफी फायदेमंद भी रहता है. बुरांश में एंटी डायबटिक, एंटी इंफ्लामेटरी और एंटी बैक्‍टीरियल गुण भी पाए जाते हैं.

बुरांश सेहत के लिए फायदेमंद: आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक दवाओं में बुरांश के फूलों और उसकी पत्तियों, दोनों का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें पाए जाने एंटीइन्फलेमेटरी गुणों से चलते इन इसका इस्तेमाल गाउट, रुमेटिस्म, ब्रोंकाइटिस और अर्थराइटिस के इलाज के लिए किया जाता है. बुरांश का सेवन एनीमिया यानी खून की कमी को दूर करने, हड्डियों को मजबूत बनाने और कमजोरी दूर करने में काफी उपयोगी रहता है. इसके अलावा पाचन में समस्या के चलते या गलत आहार खाने के चलते शरीर में होने वाली ज्वलनशीलता तथा उसके परिणामस्वरूप त्वचा, गले या पेट में जलन होने पर भी बुरांश का सेवन काफी राहत देता है. यहीं नहीं बुरांश में एंटी-हिपेरग्लिसेमिक गुण पाया जाता है. जो कि रक्त में शर्करा के स्तर को नियंत्रित करता है. इसीलिए कई बार मधुमेह के रोगियों को बुरांश के फूलों का जूस पीने की सलाह दी जाती है.

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