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कुल्लूः दूसरे दिन भी बैंक कर्मचारियों की हड़ताल, उठाई ये मांग

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Published : Mar 16, 2021, 2:26 PM IST

मंगलवार को दूसरे दिन भी बैंक कर्मचारियों ने यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन के बैनर तले केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया. इस दौरान केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी भी की गई. बैंक कर्मचारियों का कहना है की सरकार को अपनी नीतियों में बदलाव करना होगा.

bank employees Strike continue in Kullu
फोटो.

कुल्लूः बैंकों के निजीकरण के विरोध में कर्मचारी सड़कों पर उतर गए हैं. मंगलवार को दूसरे दिन बैंक कर्मचारियों ने यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन के बैनर तले केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया. इस दौरान केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी भी की गई.

बैंक कर्मियों का कहना है कि सरकारी बैंकों का निजीकरण होने से आम जनता को परेशानी होगी. सरकारी बैंकों पर लोग अधिक विश्वास करते हैं. इसके बावजूद सरकार बैंकों का निजीकरण कर रही है.

सरकार अपनी नीतियों में करें बदलाव

बैंक कर्मचारियों का कहना है की सरकार को अपनी नीतियों में बदलाव करना होगा. पूर्व में भी बैंक कर्मी निजीकरण के लिए बनाई गई नीतियों का विरोध कर चुके हैं. सरकार बैंकों के निजीकरण के फैसले पर अड़ी हई है.

वीडियो

ग्रामीण क्षेत्रों में निजी बैकों की पहुंच नहीं

सरकार के इस फैसले से सबसे अधिक नुकसान जनता को होना तय है. ग्रामीण क्षेत्रों में निजी बैकों की पहुंच नहीं है. सरकारी बैंक की पहुंच 500 की आबादी वाले छोटे से ग्रामीण क्षेत्र में भी है. बैंकों का निजीकरण हो जाने से ग्रामीण क्षेत्र की बड़ी आबादी को दिक्कतें पेश आएंगी.

कर्मचारी बड़े स्तर पर करेंगे हड़ताल

सरकार अपनी नीति में बदलाव नहीं करती तो कर्मचारी बड़े स्तर पर हड़ताल करने से पीछे नहीं हटेंगे. प्रदर्शन कर रहे बैंक कर्मचारी अमर सिंह बोध का कहना है की सरकार अपने निजी फायदे के लिए बैंकों का निजीकरण करने पर बल दे रही है, जिस कारण ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को भी खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा. बैंकों का निजीकरण करने से बैंक में कार्यरत कर्मचारी भी काफी निराश हैं.

निजीकरण से आम जनता को परेशानी

उन्होंने कहा कि अगर निजीकरण ही फायदेमंद होता तो यस बैंक क्यों फ्लॉप हुआ. उस समय स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने ही यस बैंक को गोद लिया. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि निजीकरण से आम जनता को भी परेशानी होगी. क्योंकि प्राइवेट बैंक में उन्हें पहले तो बड़ी रकम जमा करवानी होगी और सरकारी बैंक की तरह की सुविधाएं उन्हें मिलती है वह भी निजी बैंकों में नहीं मिलेंगी

निजीकरण करने से बढ़ेगी बेरोजगारी

बैंक कर्मचारी शिवानी सूद का कहना है कि बैंकों का निजीकरण करने से बेरोजगारी बढ़ेगी, क्योंकि सरकारी बैंकों में हर साल हजारों नौकरियां निकलती हैं, जिससे बेरोजगार युवाओं को भी रोजगार मिलता है और साथ ही सरकारी बैंकों में ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को भी भरपूर सुविधाएं मिलती है. जो निजी बैंक नहीं दे सकते हैं.

गौर रहे की इस हड़ताल की वजह से कुल्लू की बैंक शाखाओं में जमा, निकासी, चेक क्लीयरेंस, लोन मंजूरी जैसे सभी कार्य बंद रहें. हालांकि एटीएम सेवाएं जारी रही. हड़ताल के दौरान ऑनलाइन ट्रांजेक्शन जैसे दूसरे विकल्प ग्राहकों को प्रयोग में लाने पड़े.

ये भी पढ़े:- सुंदरनगर: नौकरी देने का झांसा देकर इंटरव्यू में रजिस्ट्रेशन के नाम पर पैसों की डिमांड, FIR दर्ज

कुल्लूः बैंकों के निजीकरण के विरोध में कर्मचारी सड़कों पर उतर गए हैं. मंगलवार को दूसरे दिन बैंक कर्मचारियों ने यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन के बैनर तले केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया. इस दौरान केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी भी की गई.

बैंक कर्मियों का कहना है कि सरकारी बैंकों का निजीकरण होने से आम जनता को परेशानी होगी. सरकारी बैंकों पर लोग अधिक विश्वास करते हैं. इसके बावजूद सरकार बैंकों का निजीकरण कर रही है.

सरकार अपनी नीतियों में करें बदलाव

बैंक कर्मचारियों का कहना है की सरकार को अपनी नीतियों में बदलाव करना होगा. पूर्व में भी बैंक कर्मी निजीकरण के लिए बनाई गई नीतियों का विरोध कर चुके हैं. सरकार बैंकों के निजीकरण के फैसले पर अड़ी हई है.

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ग्रामीण क्षेत्रों में निजी बैकों की पहुंच नहीं

सरकार के इस फैसले से सबसे अधिक नुकसान जनता को होना तय है. ग्रामीण क्षेत्रों में निजी बैकों की पहुंच नहीं है. सरकारी बैंक की पहुंच 500 की आबादी वाले छोटे से ग्रामीण क्षेत्र में भी है. बैंकों का निजीकरण हो जाने से ग्रामीण क्षेत्र की बड़ी आबादी को दिक्कतें पेश आएंगी.

कर्मचारी बड़े स्तर पर करेंगे हड़ताल

सरकार अपनी नीति में बदलाव नहीं करती तो कर्मचारी बड़े स्तर पर हड़ताल करने से पीछे नहीं हटेंगे. प्रदर्शन कर रहे बैंक कर्मचारी अमर सिंह बोध का कहना है की सरकार अपने निजी फायदे के लिए बैंकों का निजीकरण करने पर बल दे रही है, जिस कारण ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को भी खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा. बैंकों का निजीकरण करने से बैंक में कार्यरत कर्मचारी भी काफी निराश हैं.

निजीकरण से आम जनता को परेशानी

उन्होंने कहा कि अगर निजीकरण ही फायदेमंद होता तो यस बैंक क्यों फ्लॉप हुआ. उस समय स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने ही यस बैंक को गोद लिया. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि निजीकरण से आम जनता को भी परेशानी होगी. क्योंकि प्राइवेट बैंक में उन्हें पहले तो बड़ी रकम जमा करवानी होगी और सरकारी बैंक की तरह की सुविधाएं उन्हें मिलती है वह भी निजी बैंकों में नहीं मिलेंगी

निजीकरण करने से बढ़ेगी बेरोजगारी

बैंक कर्मचारी शिवानी सूद का कहना है कि बैंकों का निजीकरण करने से बेरोजगारी बढ़ेगी, क्योंकि सरकारी बैंकों में हर साल हजारों नौकरियां निकलती हैं, जिससे बेरोजगार युवाओं को भी रोजगार मिलता है और साथ ही सरकारी बैंकों में ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को भी भरपूर सुविधाएं मिलती है. जो निजी बैंक नहीं दे सकते हैं.

गौर रहे की इस हड़ताल की वजह से कुल्लू की बैंक शाखाओं में जमा, निकासी, चेक क्लीयरेंस, लोन मंजूरी जैसे सभी कार्य बंद रहें. हालांकि एटीएम सेवाएं जारी रही. हड़ताल के दौरान ऑनलाइन ट्रांजेक्शन जैसे दूसरे विकल्प ग्राहकों को प्रयोग में लाने पड़े.

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