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हमीरपुर में गोबर के दीये और धूप से महक रही महिलाओं के जिंदगी, गोमूत्र से तैयार हो रहा गोनाइल - हमीरपुर में गोबर के दीये

मिट्टी के दीये तो आपने जरूर जलाए होंगे, लेकिन आज हम आपको गोबर से बने धूप और दीये के बारे में बताएंगे. जी हां, हमीरपुर जिला में महिला स्वयं सहायता समूह की महिलाएं यह (Women Self help group of Hamirpur) कार्य कर रही हैं. यह ऑर्गेनिक धूप और दीये खूब पसंद भी किए जा रहे हैं. जिला में 3 स्वयं सहायता समूह की महिलाएं इस कार्य में जुटी हुई हैं. लगभग 35 महिलाएं इस कार्य को कर रही हैं. यह महिलाएं गोबर के इन दीयों से 3 से 5 रुपय की कमाई भी कर रही हैं. वहीं, अब इन उत्पादों को ऑनलाइन माध्यम बचने की योजना भी बनाई जा रही है.

cow dung diyas Hamirpur
हमीरपुर में गोबर से तैयार हो रहे दीये.
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Published : Jan 14, 2022, 8:17 PM IST

हमीरपुर: मिट्टी के दीये तो आपने जरूर जलाए होंगे, लेकिन आज हम आपको गोबर से बने धूप और दीये के बारे में बताएंगे. जी हां, हमीरपुर जिला में महिला स्वयं सहायता समूह की महिलाएं (Women Self help group of Hamirpur) यह कार्य कर रही हैं. यह ऑर्गेनिक धूप और दीये खूब पसंद भी किए जा रहे हैं. जिला में 3 स्वयं सहायता समूह की महिलाएं इस कार्य में जुटी हुई हैं. लगभग 35 महिलाएं इस कार्य को कर रही हैं.

डीआरडीए हमीरपुर ने पिछले साल ही इन महिलाओं को इस कार्य की ट्रेनिंग दिलवाई थी. जिसके बाद नवंबर महीने में दिवाली के सीजन में ही हजारों रुपये की सेल इन स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने अपने उत्पादों से की. यह स्वयं सहायता समूह फिनाइल का विकल्प गोनाइल (cow dung diyas Hamirpur) भी तैयार कर रहा है. यह गोनाइल गोमूत्र से तैयार किया जाता है और धार्मिक दृष्टि से इसका महत्व बेहद अधिक है.

हमीरपुर में गोबर से दीये और धूप बना रहीं महिलाएं.

स्वदेशी को बढ़ावा देने के साथ ही यदि घर में फर्श को गोनाइल (Gonyle) से साफ किया जाता है, तो कमरे में वही खुशबू आएगी, जो ग्रामीण क्षेत्रों में गोबर से पोते जाने वाले घरों में महसूस की जाती है. इन स्वयं सहायता समूह द्वारा तैयार किए जा रहे दीये महज 60 रुपय दर्जन में उपलब्ध है. हालांकि डिजाइनर दीयों की कीमत अलग है. लेकिन, बिना केमिकल के तैयार किए जा रहे इन उत्पादों से जहां एक तरफ बीमारियों का खतरा कम हुआ है, तो वहीं दूसरी ओर स्वदेशी को भी बढ़ावा मिल रहा है.

शुरुआती चरण में ही इस कार्य में जुटी महिलाओं को पहले सीजन में 3000 से 5000 रुपये की कमाई हुई है. इस सीजन में हर स्वयं सहायता समूह ने 12 से 13 हजार दीये बेचकर लगभग 50 से 60 हजार की आमदनी की है. मई और जून महीने में इस कार्य को अधिक किया जाता है. अब इन स्वयं सहायता समूहों को विभाग के जरिए भी ऑर्डर मिलने शुरू हो (Self Help Group Training in Hamirpur) गए हैं.

पिछले सीजन में तो इन स्वयं सहायता समूह ने तैयार उत्पादों को लिफाफे में भेजा था, लेकिन इस बार डिब्बों में पैकिंग के जरिए बेचने की योजना बनाई जा रही है. सतगुरु स्वयं सहायता समूह हमीरपुर, हरिओम स्वयं सहायता समूह बसाहरहल, अखिल स्वयं सहायता समूह भुम्पल इस कार्य में जुटे हैं. अब भविष्य में यह योजना है कि ऑनलाइन भी इन उत्पादों को बेचा जाए. यह स्वयं सहायता समूह मोमबत्तियां (Organic candle making Hamirpur) भी तैयार कर रहे हैं.

डीआरडीए हमीरपुर (DRDA Hamirpur) के प्रोजेक्ट डायरेक्टर केडीएस कंवर ने बताया कि स्वयं सहायता समूह की तरफ से इस तरह की ट्रेनिंग दिए जाने की मांग की गई थी. 3 स्वयं सहायता समूह अधिकारियों को ट्रेनिंग के बाद सफल तरीके से कर रहे हैं. वहीं, निखिल स्वयं सहायता समूह की प्रधान रूमा देवी ने कहा कि साल 2019 में उन्होंने ग्रुप बनाया था, इसके बाद उन्हें प्रोडक्ट तैयार करने की ट्रेनिंग मिली. उन्होंने कहा कि महीने में 3000 से 4000 हजार की कमाई अब महिलाओं को इस कार्य से हो रही है.

ये भी पढ़ें: शिमला में बूस्टर डोज के नाम पर साइबर फ्रॉड, पुलिस ने लोगों को किया अलर्ट

हमीरपुर: मिट्टी के दीये तो आपने जरूर जलाए होंगे, लेकिन आज हम आपको गोबर से बने धूप और दीये के बारे में बताएंगे. जी हां, हमीरपुर जिला में महिला स्वयं सहायता समूह की महिलाएं (Women Self help group of Hamirpur) यह कार्य कर रही हैं. यह ऑर्गेनिक धूप और दीये खूब पसंद भी किए जा रहे हैं. जिला में 3 स्वयं सहायता समूह की महिलाएं इस कार्य में जुटी हुई हैं. लगभग 35 महिलाएं इस कार्य को कर रही हैं.

डीआरडीए हमीरपुर ने पिछले साल ही इन महिलाओं को इस कार्य की ट्रेनिंग दिलवाई थी. जिसके बाद नवंबर महीने में दिवाली के सीजन में ही हजारों रुपये की सेल इन स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने अपने उत्पादों से की. यह स्वयं सहायता समूह फिनाइल का विकल्प गोनाइल (cow dung diyas Hamirpur) भी तैयार कर रहा है. यह गोनाइल गोमूत्र से तैयार किया जाता है और धार्मिक दृष्टि से इसका महत्व बेहद अधिक है.

हमीरपुर में गोबर से दीये और धूप बना रहीं महिलाएं.

स्वदेशी को बढ़ावा देने के साथ ही यदि घर में फर्श को गोनाइल (Gonyle) से साफ किया जाता है, तो कमरे में वही खुशबू आएगी, जो ग्रामीण क्षेत्रों में गोबर से पोते जाने वाले घरों में महसूस की जाती है. इन स्वयं सहायता समूह द्वारा तैयार किए जा रहे दीये महज 60 रुपय दर्जन में उपलब्ध है. हालांकि डिजाइनर दीयों की कीमत अलग है. लेकिन, बिना केमिकल के तैयार किए जा रहे इन उत्पादों से जहां एक तरफ बीमारियों का खतरा कम हुआ है, तो वहीं दूसरी ओर स्वदेशी को भी बढ़ावा मिल रहा है.

शुरुआती चरण में ही इस कार्य में जुटी महिलाओं को पहले सीजन में 3000 से 5000 रुपये की कमाई हुई है. इस सीजन में हर स्वयं सहायता समूह ने 12 से 13 हजार दीये बेचकर लगभग 50 से 60 हजार की आमदनी की है. मई और जून महीने में इस कार्य को अधिक किया जाता है. अब इन स्वयं सहायता समूहों को विभाग के जरिए भी ऑर्डर मिलने शुरू हो (Self Help Group Training in Hamirpur) गए हैं.

पिछले सीजन में तो इन स्वयं सहायता समूह ने तैयार उत्पादों को लिफाफे में भेजा था, लेकिन इस बार डिब्बों में पैकिंग के जरिए बेचने की योजना बनाई जा रही है. सतगुरु स्वयं सहायता समूह हमीरपुर, हरिओम स्वयं सहायता समूह बसाहरहल, अखिल स्वयं सहायता समूह भुम्पल इस कार्य में जुटे हैं. अब भविष्य में यह योजना है कि ऑनलाइन भी इन उत्पादों को बेचा जाए. यह स्वयं सहायता समूह मोमबत्तियां (Organic candle making Hamirpur) भी तैयार कर रहे हैं.

डीआरडीए हमीरपुर (DRDA Hamirpur) के प्रोजेक्ट डायरेक्टर केडीएस कंवर ने बताया कि स्वयं सहायता समूह की तरफ से इस तरह की ट्रेनिंग दिए जाने की मांग की गई थी. 3 स्वयं सहायता समूह अधिकारियों को ट्रेनिंग के बाद सफल तरीके से कर रहे हैं. वहीं, निखिल स्वयं सहायता समूह की प्रधान रूमा देवी ने कहा कि साल 2019 में उन्होंने ग्रुप बनाया था, इसके बाद उन्हें प्रोडक्ट तैयार करने की ट्रेनिंग मिली. उन्होंने कहा कि महीने में 3000 से 4000 हजार की कमाई अब महिलाओं को इस कार्य से हो रही है.

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