हमीरपुर: हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध सिद्धपीठ बाबा बालक नाथ मंदिर (Baba Balak Nath Temple) के न्यासियों को लाखों रुपये के मानदेय के भुगतान मामले की जांच शुरू हो गई है. आरटीआई एक्टिविस्ट दिनेश शर्मा के खुलासे के बाद यह जांच शुरू हुई है. आरटीआई से जुटाई गई जानकारियों को आधार बनाकर एक्टिविस्ट दिनेश शर्मा ने इसकी शिकायत स्टेट विजिलेंस और एंटी करप्शन ब्यूरो शिमला को की है.
इस मामले में अब राज्य सतर्कता एवं भ्रष्टाचार रोधी ब्यूरो शिमला की एसपी अंजुम आरा ने डीसी एवं मंदिर आयुक्त हमीरपुर देबश्वेता बनिक को पत्र भेजकर मामले की जानकारी मांगी है. (trust of Baba Balak Nath) आपको बता दें कि पिछले दिनों आरटीआई एक्टिविस्ट दिनेश शर्मा ने सूचना का अधिकार के तहत प्रदेश के मुख्य आयुक्त (मंदिर) एवं भाषा एवं संस्कृति विभाग से मंदिर न्यासियों को मिलने वाले मानदेय के बारे में सूचना एकत्रित कर इसे मीडिया से साझा किया था.
आरटीआई के मुताबिक मुख्य आयुक्त कार्यालय से प्राप्त सूचना के तहत बाबा बालक नाथ मंदिर दियोटसिद्ध के न्यासियों को प्रत्येक बैठक में भाग लेने के लिए एक हजार रुपये मानदेय और बस यात्रा भत्ता मिलता है. पिछले 35 वर्षों में लाखों रुपये ट्रस्टियों के मानदेय पर खर्च हो चुके हैं.
इसके विपरीत शिव मंदिर बैजनाथ, चिंतपूर्णी, बज्रेश्वरी सहित हिमाचल की अन्य शक्तिपीठों में न्यासियों को ऐसा वित्तीय लाभ देने की व्यवस्था नहीं है. ऐसे में विजिलेंस से पत्र मिलते ही उपायुक्त कार्यालय हमीरपुर ने मामले में आगामी कार्रवाई के एसडीएम एवं अध्यक्ष बाबा बालकनाथ मंदिर न्यास दियोटसिद्ध स्थित बड़सर को निर्देश दिए हैं. आरटीआई के आधार पर आरोप लगाए गए हैं कि जब अन्य मंदिर ट्रस्ट मनोनीत न्यासियों को एक पैसा मानदेय नहीं देते तो बाबा बालक नाथ ट्रस्ट किस आधार पर श्रद्धालुओं के चढ़ाए धन को ट्रस्टियों पर लुटा रहा है.
आपको बता दें कि आरटीआई में जो खुलासा हुआ है उसके मुताबिक पिछले साढ़े तीन साल में 14 लाख 13 हजार 710 रुपये ट्रस्टियों की जेब में गए हैं. यह पैसा रिकवर कर मंदिर के खजाने में जमा होना चाहिए. वहीं, एसडीएम बड़सर एवं अध्यक्ष बाबा बालकनाथ मंदिर न्यास दियोटसिद्ध शशि पाल ने कहा कि इस मामले में जांच शुरू कर दी गई है.
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