हमीरपुरः स्ट्रीट लाइटें किसी भी शहर की खूबसूरती और सुरक्षा का पैमाना होती हैं, लेकिन 3000 स्ट्रीट लाइट वाले शहर हमीरपुर की गलियां रात के वक्त आज भी अंधेरे में डूबी रहती हैं. चौराहों और गलियों को रौशन करने के लिए हर साल लाखों खर्च किया जाता है लेकिन नतीजा है कि लाइट लगाने से लेकर मरम्मत तक पर लाखों खर्च करने के बाद भी अंधेरा कायम रहता है.
हालात ये हैं कि कुछ जगह स्ट्रीट लाइटें सिर्फ शोपीस ही नजर आती हैं. सर्दी की दस्तक के साथ दिन छोटे हो रहे हैं और अंधेरा जल्दी घिर आता है. ऐसे में स्ट्रीट लाइट की अहमियत और भी बढ़ जाती है, लेकिन अगर शहर में स्ट्रीट लाइटें लगी होने के बावजूद अंधेरा हो तो सवाल खड़े होना लाजमी है. लाइटों के मेंटेनेंस और संचालन का काम देख रही कंपनी इस ओर ध्यान नहीं दे रही है.
बिना लाइटों के ही लगे हैं कई पोल
लोगों का कहना है कि शहर में लगी लाइटों की गुणवत्ता इतनी खराब है कि आए दिन अंधेरा रहता है. नगर परिषद हमीरपुर के वार्ड नंबर 2 के निवासी नरेंद्र कुमार शर्मा का कहना है कि घटिया क्वालिटी के स्ट्रीट लाइट लगाई गई हैं, जो आए दिन खराब रहती हैं. उन्होंने इस मामले में जिला प्रशासन से कड़ी कार्रवाई की मांग उठाई है. उनका कहना है कि कई पोल तो बिना लाइटों के ही लगे हुए हैं.
कई बार हाउस में भी उठा स्ट्रीट लाइट का मुद्दा
वहीं, वॉर्ड पार्षद ने बताया कि स्ट्रीट लाइट का मुद्दा हाउस में कई बार उठाया गया लेकिन, नगर परिषद की ओर से सिर्फ दिलासा दिया जा रहा है. करीब दो ढाई सालों से स्ट्रीट लाइट की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. नगर परिषद हमीरपुर की अध्यक्ष सुलोचना देवी के मुताबिक शहर के कई वार्ड में स्ट्रीट लाइट की समस्या हैं. उन्होंने इसका ठीकरा ठेकेदार के सिर फोड़ा जा रहा है.
सालाना बिजली का बिल 50 लाख से अधिक
नगर परिषद हमीरपुर के कार्यकारी अधिकारी किशोरी लाल ठाकुर का कहना है कि उन्होंने कंपनी के मैनेजर से इस बाबत बात की थी लेकिन अभी तक कोई संतोषजनक जवाब नहीं आया है. शहरी विकास विभाग के निदेशक को भी इस बारे में अवगत करवा दिया गया है. उनका कहना है कि शहर में 3,000 स्ट्रीट लाइट हैं जिनका सालाना बिजली का बिल 50 लाख से अधिक है.
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि डेढ़ सौ से अधिक खाली पोल हमीरपुर नगर परिषद के एरिया में लगे हैं. इन पर पिछले डेढ़ साल में लाइट लगाने के लिए नगर परिषद कई बार हाउस में प्रस्ताव पारित कर चुकी है लेकिन, कंपनी और विभाग की तरफ से कोई सुनवाई नहीं की जा रही है.
लोग भले ही शिकायत करते रहें, लेकिन नगर परिषद के पास अपनी दलीले हैं. स्ट्रीट लाइट जैसी समस्या को सुलझाने की बजाय जिम्मेदारी की टोपी एक दूसरे के सिर पहनाई जा रही है. जनता की शिकायतें और सवाल कई हैं, लेकिन, सुनने वालों में से हरेक पास रटे रटाए बयान हैं.
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