हमीरपुर: चुनावी साल में भाजपा की सियासत का केंद्र रहे हमीरपुर जिले में सोमवार को भाजपा संगठन और सरकार धूमल के दरबार में नजर आए. मौका 10 साल तक भाजपा सरकार के मुखिया रहे पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल की शादी की 50वीं सालगिरह का था. प्रदेश सरकार के इक्का दुक्का मंत्रियों और विधायकों को छोड़ कर सब धूमल के दरबार में तलब थे. चुनावी साल में सरकार की इस समारोह के प्रति गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगा सकते है कि प्रदेश सरकार के मंत्रिमंडल की प्रस्तावित बैठक तक को टाल दिया गया.
आयोजन की खबर मिलने पर सीएम जयराम ठाकुर ने बैठक को 23 मई की बजाय 26 मई को करने का निर्णय लिया. सरकार की नहीं हिमाचल भाजपा के सरकार और कर्ता धर्ता भी धूमल के इस समारोह में बराबर हाजिरी भरते दिखे. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप के साथ ही संगठन मंत्री पवन राणा भी समारोह में पहुंचे थे. चुनावी साल में सीएम जयराम ठाकुर के बढ़ते हमीरपुर दौरों के साथ ही भाजपा संगठन भी हमीरपुर के प्रति गंभीर दिखने लगा है, यही वजह है भाजपा संगठन में महत्वपूर्ण माने जाने वाली प्रदेश कार्यसमिति की अगले माह प्रस्तावित बैठक भी हमीरपुर में ही होगी. कुल मिलाकर चुनावी साल में संगठन और सरकार के धूमल दरबार में हाजिरी के कई मायने निकाले जा रहे हैं. केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर की मेजबानी वाले समारोह में मेहमान प्रदेश सरकार और संगठन की खातिरदारी भी खूब हुई.
धूमल के जन्मदिन से सरकार की दूरी, शादी की सालगिरह पर उमड़ा प्यार: पिछले माह ही पूर्व मुख्यमंत्री धूमल ने अपना जन्मदिवस जिला मुख्यालय हमीरपुर में हजारों सर्मथकों के साथ एक निजी होटल में मनाया था. इस समारोह में केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर भी शामिल हुए थे हालांकि यह अलग बात है कि इस कार्यक्रम में अनुराग भी मेजबान की भूमिका में नहीं थे. धूमल समर्थकों ने जन्मदिन पर लाखों रूपये खर्च कर बड़ा आयोजन किया था लेकिन सरकार की इस कार्यक्रम से दूरी ही देखने को मिली थी. सीएम जयराम ठाकुर तो दूर मंत्री और संगठन के आला नेताओं ने इस कार्यक्रम से दूरी बना कर रखी थी. जन्मदिन के कार्यक्रम में एक दो मंत्रियों को छोड़ कर कोई नेता नजर नहीं आया था ऐसे में एक माह में बदले सियासी समीकरणों को राजनीतिक चश्में से देखना गलत नहीं होगा.
कांग्रेस के हमीरपुर फोक्स ने बदले समीकरण, भाजपा की चिताएं बढ़ी: बदलते सियासी समीकरणों ने हिमाचल में राजनीति का पारा चढ़ गया है. सियासी गर्माहट का अंदाजा आप इससे लगा सकते हैं कि 21 मई को कांग्रेस के धुरंदर बड़सर में एक मंच पर थे तो वहीं 23 मई को भाजपा का कुनबा इसी जिले में कदमताल करता नजर आया. क्या यह एक्शन का ही रिएक्शन है? सवाल तो कई उठ रहे हैं और प्रदेश में सियासी जानकारी इसते प्रदेश कांग्रेस संगठन में हुए बड़े फेरबदल का रिएक्शन भी मान रहे है.
कांग्रेस हाईकमान ने सुनियोजित तरीके से प्रदेशभर के नेताओं को संगठन में अहम पद देकर चुनावी नजर से फील्डिग सेट की है और इस फील्डिंग में सेंटर प्वाइंट हमीरपुर दिख रहा है. दो बार कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष रहे एवं नादौन के विधायक सुखविंदर सिंह सुक्खू को वह जिम्मा दिया गया जो हिमाचल के सबसे बड़े नेता दिवंगत वीरभद्र सिंह के पास रहता था. सुक्खू को हिमाचल कांग्रेस चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष के साथ ही टिकट आवंटन समिति का सदस्य भी बनाया गया है.
ऐसे में राजनीतिक विशेषलक यह भी कह रहे हैं कि सुक्खू के जुबानी हमलों (Dhumal 50th Wedding Anniversary) ने सरकार और संगठन को भाजपा के लिए पावर सेंटर रहे हमीरपुर जिला के लिए महीन मंथन करने पर विवश कर दिया है. प्रैसनोट जारी कर बोले कश्यप मिशन रिपीट के लिए भाजपा में एकता धूमल से मिलन के बाद मीडिया को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप की ओर से जारी औपचारिक प्रैस विज्ञप्ति के संदेश की चर्चा भी जरूरी है. आखिर क्यों भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष को यह लिखकर देना पड़ रहा है कि मिशन रिपीट के लिए भाजपा एकता के साथ बढ़ रही है?
प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप ने पूर्व सीएम धूमल को बधाई देने के बाद मीडिया को जारी बयान में कहा कि भाजपा और समाज के उत्थान के लिए तहेदिल से करने वाले महान नेता धूमल को आर्शीवाद प्राप्त करना हमेशा खुशी की बात होती है. कश्यप ने कहा कि भाजपा एकता के लिए जानी जाती है और भाजपा पूरी एकता के साथ हिमाचल में मिशन रिपीट की ओर बढ़ रही है. ऐसे में यह सवाल उठना तो लाजिमी है मीडिया को जारी समारोह के बधाई संदेश में अध्यक्ष को आखिर एकजुटता का पाठ की जरूरत क्यों पड़ी?
मोदी आगमन से पहले धूमल के सम्मान में प्रदेश सरकार मेहमान, अनुराग मेजबान: मोदी के हिमाचल आगमन से ठीक पहले पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के सम्मान में कैबिनेट की बैठक को स्थगित कर प्रदेश सरकार का मेहमान बनाना और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर का मेजबान की भूमिका में नजर आना चुनावी नजर से प्रदेश की सियासत के लिए अहम है. कार्यक्रम चाहे पारिवारिक हो लेकिन राजनीति में कुछ भी यूं नहीं होता. प्रदेश में अपना एक विशेष जनाधार रखने वाले धूमल का सम्मान भाजपा सरकार के अंतिम साल में कई सवाल भी सियासी गलियारों में छोड़ रहा है.
पीएम भाजपा सरकार के केंद्र में आठ साल पूरा होने का जश्न मनाने शिमला आ रहे हैं और यह कहना भी गलत नहीं होगा कि प्रदेश में चुनाव है तो मोदी ने हिमाचल को जशन के लिए चुना है. चुनावी साल से इतर राजनीतिक जानकार इसे आयोजन के बहाने प्रदेश जनाधारी नेताओं को एक मंच पर लाने का प्रयास भी मान रहे हैं. धूमल के दरबार में मेहमान प्रदेश सरकार का केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने मेजबान बनकर स्वागत किया और सीएम से लेकर भाजपा अध्यक्ष को खुद रास्ता बनाकर मंच तक पहुंचाया. धूमल के इस पारिवारिक कार्यक्रम में प्रदेश सरकार के मंत्री, विधायक, निगम बोर्ड के चेयरमैन, संगठन के पदाधिकारी नजर आए, हालांकि कुछ कैबिनेट मंत्री इस समारोह में नहीं दिखे.
चुनावी सालः एकाएक बढ़ सीएम के हमीरपुर दौरे: चुनावी साल और विपक्ष के नेताओं के लगातार हमलों से मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के हमीरपुर दौरे पिछले कुछ माह से बढ़ गए है. जिला में कुछ ऐसे विधानसभा क्षेत्र भी जहां सीएम जयराम ठाकुर पांच साल में एक अथवा दो बार पहुंचे है, जबकि चुनावी साल में सीएम का हमीरपुर दौरा हर माह अथवा 15 दिन बाद बन रहा है. इतना ही नहीं कांग्रेस में हुए बड़े फेरबदल के बाद नादौन के विधायक सुक्खू को अहम जिम्मा मिलने और उनके सरकार पर जुबानी हमलों को यह नतीजा माना जा रहा है कि सरकार अब हमीरपुर के लिए बिजी नहीं बल्कि फ्री है चाहे इसके लिए कैबिनेट की बैठक ही क्यों न स्थगित करनी पड़े.
धूमल को बधाई देने के लिए कई कांग्रेसी और विरोधी पहुंचे: धूमल परिवार के इस समारोह में कई कांग्रेसी नेता भी पहुंचे. कई ऐसे भाजपा नेता भी कार्यक्रम में दिखे जो 2017 के चुनावों में धूमल के धुरविरोधी रहे थे. कुछ ऐसे नेता भी समारोह में धूमल को बधाई देने पहुंचे जो भाजपा छोड़ कर कांग्रेस से होकर आएं है. ऐसे में इस समारोह के कई रंगों ने प्रदेश की सियासी फिजाओं में कई सवाल छोड़ दिए हैं.
कोई दिग्गज प्रदेश में नहीं करवा पाया रिपीट, भाजपा को धूमल का साथ जरूरी: संगठन के अहम पदों पर रहकर प्रदेश में भाजपा संगठन को हिमाचल के हर कोने में मजबूती से खड़ा करने वाले धूमल को आगमी विस चुनावों में नजरअंदाज करना भाजपा के लिए संभव नहीं है. प्रदेश के राजनीतिक इतिहास में अभी तक कोई भी दल अथवा दिग्गज नेता अपने दम पर सरकार को रिपीट नहीं करवा पाया है. दो बार के मुख्यमंत्री रहे धूमल प्रदेशभर के हर विधानसभा क्षेत्र में अपना विशेष जनाधार रखते हैं.
अंतिम चुनावों में हार के बावजूद भाजपा उन्हें हल्के में नहीं लेना चाह रही है. यही वजह की अब कार्यसमिति की बैठक में धूमल के गृह जिला हमीरपुर में ही होगी और इस बैठक में भाजपा आगामी विस चुनावों की रणनीति भी तय करेगी. सरकार और संगठन का यह कदमताल क्या रंग लाएगा यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा. चुनाव से ठीक पहले प्रदेश में भाजपा के नेतृत्व में कोई बदलाव होगा या ये सियासी कदमताल वर्तमान नेतृत्व को धूमल समर्थन से स्थायित्व का परिचायक बनाएगा?