हमीरपुर: महान सेनानायक रहे जनरल जोरावर सिंह के हमीरपुर जिला क्षेत्र अंसरा गांव को वीर गांव घोषित करने की विश्व हिंदू परिषद ने मांग उठाई है. विश्व हिंदू परिषद के पदाधिकारियों ने हमीरपुर में शनिवार को प्रेस वार्ता कर यह मांग उठाई है. इसके साथ ही विश्व हिंदू परिषद के पदाधिकारियों ने नादौन धनेटा का नामकरण जनरल जोरावर के नाम से करने, प्रदेश के पाठ्यक्रम में जनरल जोरावर की जीवनी को शामिल किया जाया, जनरल जोरावर कॉलेज धनेटा जोकि अब सरकारी कॉलेज में बदल गया हैं उसका नामकरण इस वीर योद्धा के नाम पर रखे जाने की मांग उठाई गई है.
विश्व हिंदू परिषद हिमाचल प्रदेश (Vishwa Hindu Parishad Himachal Pradesh) के प्रांत सह मंत्री पंकज भारतीय ने कहा कि विश्व हिंदू परिषद ने देश के महान योद्धा और सेनानायक रहे उन महान हस्तियों को समाज के सामने लाने का बीड़ा उठाया है जो वर्तमान में इतिहास के पन्नों में नजर नहीं आते हैं. उन्होंने कहा कि ऐसे ही एक महान सेनानायक जनरल जोरावर सिंह हुए (Birth of General Zorawar Singh) जिनका जन्म (General Zorawar Singh Villege in Hamirpur) 15 अप्रैल 1784 को गांव अंसरा, तहसील नादौन, हमीरपुर हिमाचल प्रदेश में हुआ था. प्रदेश मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और शिक्षा मंत्री यह मांग रखी गई है कि महान सेनानायक जनरल जोरावर सिंह के गांव को वीर गांव घोषित किए जाने के साथ ही स्थानीय स्कूल का नाम और उनके गांव को जाने वाली सड़क का नामकरण भी इस योद्धा के नाम से किए जाने की मांग उठाई थी.
ये भी पढ़ें- Atal Bihari Vajpayee Jayanti: मंडी में भाजपा ने मनाया सुशासन दिवस, वाजपेयी के पदचिह्नों पर चलने का संकल्प
गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर में राजपूत परिवार (History of General Zorawar Singh) में 13 अप्रैल 1786 में जन्मे जनरल जोरावर सिंह को उनकी बहादुरी के लिए जाना जाता है. वह अपनी योग्यता से जम्मू रियासत की सेना में राशन प्रभारी से लेकर किश्तवाड़ के वजीर बने. रियासी में बना जनरल जोरावर (General Zorawar Singh Himachal pradesh) का किला उनकी बहादुरी की याद दिलाता है. जोरावर सिंह का बहादुरी का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि दुश्मन भी उनकी युद्ध पद्धति के कायल थे.
डोगरा शासक महाराजा गुलाब सिंह (Dogra ruler Maharaja Gulab Singh) की फौज में सबसे काबिल जनरल जोरावर सिंह ने उन्नीसवीं शदाब्दी में खून जमाने वाली ठंड में लद्दाख और तिब्बत को जम्मू रियासत का हिस्सा बनाया था. तिब्बत जीतने के बाद 12 दिसंबर 1841 में तिब्बती सैनिकों के अचानक हुए हमले में जनरल जोरावर सिंह गोली लगने से शहीद हुए थे. उनकी युद्ध को लेकर रणनीति का अध्ययन भारतीय सेना आज भी करती है. इसलिए भारतीय सेना हर साल 15 अप्रैल को जनरल जोरावर सिंह दिवस मनाकर हर हाल में देश की रक्षा का प्रण लेती है.
ये भी पढ़ें- Rajasthan Aircraft Crash: जैसलमेर में मिग-21 क्रैश, पायलट विंग कमांडर हर्षित सिन्हा शहीद