हमीरपुर: खून की कमी के कारण मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में मौत के जूझ रहे व्यक्ति के परिजन खून के लिए 5 घंटे तक भटकते रहे. ऐसा नहीं था कि मेडिकल कॉलेज के ब्लड बैंक में खून की कमी थी. ब्लड बैंक में तो खून भरपूर था, बस अस्पताल के स्टॉफ में ही मानवता की कमी थी. यही कारण रहा कि संसाधन उपलब्ध होने के बावजूद भी एक मरीज की जान बचाने के लिए उसके परिजनों को घंटों संघर्ष करना पड़ा.
दरअसल, जियालाल नाम के मरीज को मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में एडमिट किया गया. खून की कमी के कारण जियालाल की तबीयत खराब हो गई थी. डॉक्टर ने उन्हें एडमिट करते ही ब्लड चढ़ाये जाने की हिदायत दी. जिसके बाद मरीज को वार्ड में दाखिल कर दिया गया. परिजन ब्लड का इंतजाम करने के लिए मेडिकल कॉलेज के ब्लड बैंक में पहुंचे तो उन्हें मरीज का सैंपल लाए जाने की हिदायत दी गई. जब परिजन वार्ड में भर्ती अपने मरीज का सैंपल लेने के लिए नर्स से कहा तो नर्स उनकी बातें यह कहकर टाल दी कि सैंपल ब्लड बैंक का कर्मी लेता है.
परिजन दोबारा ब्लड बैंक पहुंचे तो यहां पर कर्मचारियों ने भी सैंपल लेने से इनकार कर दिया. परिजन परेशान होकर डॉक्टर के पास पहुंचे और नर्स को उनके पास लाने की हिदायत दी. डॉक्टर ने कहा कि सैंपल लेना मौके पर मौजूद नर्स का ही काम है. बावजूद इसके नर्स ने एक बार फिर सैंपल लेने से मना कर दिया. ब्लड बैंक के कर्मचारियों और नर्स की टालमटोल के बीच परेशान होकर मरीज के परिजन ने मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पर शिकायत की.
इस बीच उन्हें मेडिकल कॉलेज हमीरपुर के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. रमेश चौहान का नंबर मिला. चिकित्सा अधीक्षक के हस्तक्षेप के बाद नर्स ने मरीज का सैंपल लिया, लेकिन तब तक ब्लड बैंक के कर्मचारी छुट्टी करके लौट चुके थे. चिकित्सा अधीक्षक के हस्तक्षेप के बाद इमरजेंसी में ब्लड बैंक के कर्मचारी फिर अस्पताल में लौटे और मरीज को ब्लड उपलब्ध करवाया गया.
ऐसे में सवाल यह उठता है कि मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में जब ब्लड भी मौजूद था और स्टाफ से ड्यूटी पर था तो एक मरीज जोकि जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहा था तो उसको आखिर क्यों ब्लड के लिए 5 घंटे तक इंतजार करना पड़ा. ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि मेडिकल कॉलेज स्टाफ की लापरवाही के कारण इससे पहले भी मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ा है.
मरीज के तीमारदार रमन का कहना है कि मेडिकल कॉलेज हमीरपुर के स्टाफ की लापरवाही के कारण यदि उनके मरीज की जान चली जाती है तो इसके लिए कौन जिम्मेदार होता. उन्होंने कहा कि वह कई घंटों तक ब्लड बैंक और अस्पताल के वार्ड के चक्कर लगाते रहे, लेकिन उनकी कहीं भी सुनवाई नहीं हुई. कई घंटे तक मिन्नतें करने के बाद उन्हें मरीज के लिए ब्लड उपलब्ध हुआ.
उधर, मेडिकल कॉलेज हमीरपुर के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. रमेश चौहान का कहना है कि समस्या ध्यान में आने के बाद मरीज को ब्लड उपलब्ध करवाया गया है. उन्होंने बताया कि मामले में जांच की जा रही है. इस तरह की लापरवाही बरतने वाले कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.