हमीरपुर: लंबे समय से विवादों में चल रहे नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआईटी) हमीरपुर संस्थान में वर्ष 2018 से 2020 के बीच हुई नई भर्तियां जांच के दायरे में आ गई हैं. मानव संसाधन विकास मंत्रालय की जांच में नए भर्ती हुए असिस्टेंट और एसोसिएट प्रोफेसरों में बेचैनी बढ़ गई है. इसके साथ ही नए नियुक्त टीचिंग स्टाफ को प्रदान किए गए अनुचित वित्तीय लाभों पर कैंची चलने वाली है.
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान में निदेशक की प्रशासनिक और वित्तीय शक्तियां छीनना और उन्हें छुट्टी पर भेजने का संभवतया ये पहला मामला है. एनआईटी हमीरपुर के निदेशक प्रो. विनोद यादव की प्रशासनिक और वित्तीय शक्तियां छिनने के बाद उनकी मुश्किलें और बढ़ गई हैं. एनआईटी जालंधर के निदेशक प्रो. ललित अवस्थी को हमीरपुर एनआईटी का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है.
प्रो. यादव ने मार्च 2018 में एनआईटी हमीरपुर के निदेशक पद पर कार्यभार संभाला था. उनके कार्यकाल के दौरान एनआईटी हमीरपुर में एसोसिएट और असिस्टेंट प्रोफेसरों के करीब 76 पद भरे गए. भर्ती सेलेक्शन कमेटी में संस्थान के निदेशक प्रो. विनोद यादव समेत कुल 9 मेंबर थे. प्रो यादव इस कमेटी के चेयरमैन भी रहे.
अनुबंध पर भर्ती हुए कर्मचारियों को नियमित कर्मचारी की तरह ही वित्तीय लाभ प्रदान किए गए. यही नहीं एसोसिएट और असिस्टेंट पदों पर एक बाहरी राज्यों से एक समुदाय विशेष से भर्ती की गई. वहीं, संस्थान की रैंकिंग में भी 39 अंकों की गिरावट दर्ज हुई. जब इस बारे में एनआईटी हमीरपुर के रजिस्ट्रार प्रो. सुनील कुमार से बात की गई तो उन्होंने ने कहा कि अभी तक एमएचआरडी से कोई भी जांच दल संस्थान में नहीं पहुंचा है. उन्होंने इस विषय पर टिप्पणी करने से मना कर दिया.
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