हमीरपुर: मेडिकल कॉलेज अस्पताल हमीरपुर में बर्न युनिट के निर्माण के नाम पर सरकारी धन के दुरूपयोग का मामला एक जांच रिपोर्ट के सार्वजनिक होने से गरमा गया है. दरअसल पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के कार्यकाल में हमीरपुर अस्पताल में अग्निकांड से ग्रस्त मरीजों के उपचार के लिए केंद्र सरकार की एक योजना के तहत बर्न यूनिट स्थापित किया गया था.
जानकारी के अनुसार इस बहुमंजिला भवन के निर्माण और मरीजों के उपचार के लिए कीमती उपकरण व फर्नीचर की खरीद के लिए केंद्र सरकार ने बजट जारी किया था लेकिन हमीरपुर मेडिकल कॉलेज के अधिकारियों ने करोड़ों की लागत से बने बर्न यूनिट में मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल का कार्यालय खोल दिया. अब जब स्वास्थ्य विभाग की तरफ से हमीरपुर मेडिकल कॉलेज में दोबारा बर्न यूनिट के संचालन की मुहिम शुरू हुई तो इसमें चौंकने वाले मामले सामने आए.
विभाग ने जिस चिकित्सक को बर्न यूनिट का नोडल अधिकारी नियुक्त कर बर्न यूनिट को फिर से चलाने के आदेश दिए. उन्होंने अपनी रिपोर्ट में कहा कि यहां पर वर्तमान में बर्न यूनिट नहीं है और ना ही फर्नीचर व अन्य मेडिकल उपकरण इस भवन में हैं. इसके साथ ही सरकार ने भी अपने स्तर पर इस मामले की जांच के आदेश दिए है. जांच अधिकारी ने भी अपने ऑडिट रिपोर्ट में ऑब्जेक्शन लगाए हैं.
सरकार ने इस मामले में मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक और मुख्य चिकित्सा अधिकारी हमीरपुर से रिपोर्ट मांगी है. वहीं, स्टेट बैंक ऑफ पटियाला अब एसबीआई हमीरपुर में चल रहे मेडिकल कॉलेज के बैंक खाते को बंद करके इस खाते को हिमाचल ग्रामीण बैंक में खोला गया। राष्ट्रीय बैंक से बैंक खाते को क्षेत्रीय बैंक में ट्रांसफर करने पर भी अस्पताल प्रबंधन में विवाद खड़ा हो गया है. मेडिकल कॉलेज का जो सफर में नया भवन प्रस्तावित है जिसके चलते सरकार की ओर से इस बैंक खाते में करोड़ों रुपए भवन निर्माण अन्य उपकरणों की खरीद के लिए ट्रांसफर होने की संभावना है.
बताया जा रहा है कि हाल ही में मेडिकल कॉलेज के एक अधिकारी के निजी भवन में हिमाचल ग्रामीण बैंक की शाखा भी खुल गई हैए जिस से संबंधित अधिकारी को अच्छी खासी मासिक आमदनी शुरू हो गई है. सीएमओ हमीरपुर डॉ अर्चना सोनीने कहा कि मेडिकल कॉलेज में बर्न यूनिट मामले की जांच चल रही है. इस बारे में शीघ्र ही रिपोर्ट तैयार करके शिमला स्थित उच्च अधिकारी को भेजी जाएगी.
उधर, डॉ. राधाकृष्णन मेडिकल कॉलेज हमीरपुर के अतिरिक्त निदेशक संजीव कुमार ने कहा कि मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल 30 सितंबर 2020 को सेवानिवृत्त हो चुके हैं लेकिन अभी तक सरकारी वाहन कॉलेज प्रशासन को हैंड ओवर नहीं हुआ है. इस मामले में उच्च अधिकारी ही कुछ बता सकते हैं.
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