हमीरपुर: एचआईवी एड्स से बचाव के लिए रेड रिबन प्रोग्राम (red ribbon program) के अंतर्गत जिला मुख्यालय हमीरपुर (Hamirpur Headquarter) में मंगलवार को वार्षिक कार्यशाला (Annual Workshop) का आयोजन किया गया. हिमाचल में एचआईवी एड्स (HIV Aids in Himachal) का सबसे पहला मामला 1991 में हमीरपुर जिला में ही सामने आया था और उस दौरान सबसे अधिक मामले इस जिला में ही प्राथमिक चरण में सामने आए थे. ऐसे में इस बीमारी से बचाव के लिए प्रदेशभर में रेड रिबन क्लब (Red Ribbon club) गठित किए गए थे, हमीरपुर जिले से ही इसकी शुरुआत भी की गई थी. इन क्लब और मेडिकल के क्षेत्र से जुड़े हुए सभी संस्थानों के छात्रों फैकल्टी को जागरूक करने के लिए हर साल इस तरह से कार्यशाला का आयोजन किया जाता है. इस कड़ी में ही मंगलवार को वार्षिक कार्यशाला का आयोजन किया गया था.
मुख्य चिकित्सा अधिकारी हमीरपुर डॉक्टर आरके अग्निहोत्री ने बताया कि साल 1991 में एचआईवी एड्स का पहला मामला सामने आया था. हिमाचल में सबसे पहला मामला हमीरपुर जिला में ही सामने आया था. उन्होंने कहा कि सबसे अधिक केस का लोड भी हमीरपुर जिले में ही इस दौरान रहा था. ऐसे में इस बीमारी से लोगों का बचाव करने के लिए कॉलेजों में रेड रिबन क्लब गठित किए गए थे, जिसमें कॉलेज स्टाफ को नोडल अधिकारी (Nodal Officers) बनाया गया था. यह क्लब सरकारी गैर सरकारी कॉलेजों तथा आईटीआई में गठित किए गए हैं. उन्होंने कहा कि इन क्लब के सभी सदस्यों के साथ हर साल ट्रेनिंग सेशन का आयोजन किया जाता है.
उन्होंने कहा कि सरकार की तरफ से इस बीमारी से पीड़ित लोगों के लिए सुविधाएं दी जा रही हैं. उपचार के दौरान मरीजों को अस्पताल तक आने के लिए किराया भी दिया जाता है तथा उपचार कुल नि:शुल्क है इसके अलावा मरीज के साथ आने वाले तीमारदार का खर्च भी सरकार के द्वारा ही दिया जाता है. उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इन दिनों ड्रग सिरिंज के जरिए लिया जा रहा है और इसका प्रचलन देखने को मिल रहा है. ऐसे में इस तरह की बीमारियों का खतरा और भी बढ़ जाता है. युवाओं को इसके लिए जागरूक करने का प्रयास रेड रिबन क्लब के माध्यम से किया जाता है.
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