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Doctors' Day पर हमीरपुर मेडिकल कॉलेज में दंत प्रत्यारोपण सुविधा शुरू

मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में दंत प्रत्यारोपण (डेंटल इम्प्लांट) सुविधा शुरू की गई है. मेडिकल कॉलेज के प्रिंसीपल ने कहा कि यह सुविधा रोगियों को बहुत ही सस्ती व सुलभ दरों पर उपलब्ध होगी और इसमें मानक जीवाणु-नाशन और संक्रमण नियंत्रण प्रोटोकॉल का पूरी तरह से पालन किया जाएगा.

Hamirpur Medical College
फोटो.
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Published : Jul 1, 2020, 8:08 PM IST

हमीरपुरः डॉ. राधाकृष्णन राजकीय मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में दंत प्रत्यारोपण (डेंटल इम्प्लांट) सुविधा शुरू हो गई है. मेडिकल कॉलेज के प्रिंसीपल डॉ. अनिल चौहान ने जानकारी दी है. उन्होंने कहा कि दांत के रोगियों को सस्ती व सुलभ दरों पर सुविधा मिलेगी.

उन्होंने कहा कि दंत चिकित्सा में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अनुप्रिया शर्मा के निर्देशन में शुरू की गई है. यह प्रदेश के सरकारी संस्थानों में अपनी तरह की पहली सुविधा है. विभाग को अत्याधुनिक मशीनरी से सुसज्जित किया गया है और दंत प्रत्यारोपण के लिए विशेषज्ञों की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है.

यह सुविधा रोगियों को बहुत ही सस्ती व सुलभ दरों पर उपलब्ध होगी और इसमें मानक जीवाणु-नाशन (स्टरलाईजेशन) और संक्रमण (इन्फेक्शन) नियंत्रण प्रोटोकॉल का पूरी तरह से पालन किया जाएगा.

डॉ. अनुप्रिया शर्मा ने कहा कि दंत प्रत्यारोपण में एक टाइटेनियम स्क्रू को जबड़े में एक कृत्रिम दांत की जड़ के रूप में प्रतिस्थापित किया जाता है. इसे आगामी तीन महीने तक जबड़ों में छोड़ दिया जाता है, ताकि यह जबड़ों की हड्डी के साथ एकीकृत हो सके. इसके बाद तीन से छह महीने में इसके ऊपर क्राऊन को जोड़ा जाता है. यह खोए हुए/टूटे हुए दांतों को बदलने की आधुनिक सर्जिकल तकनीक है.

डॉ. अनिल चौहान ने डॉक्टर्स डे के अवसर पर मेडिकल कॉलेज में यह सुविधा शुरू करने के लिए दंच चिकित्सा विभाग की पूरी टीम को बधाई दी और इस दिशा में किए गए उनके निरंतर प्रयासों की सराहना भी की.

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हमीरपुरः डॉ. राधाकृष्णन राजकीय मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में दंत प्रत्यारोपण (डेंटल इम्प्लांट) सुविधा शुरू हो गई है. मेडिकल कॉलेज के प्रिंसीपल डॉ. अनिल चौहान ने जानकारी दी है. उन्होंने कहा कि दांत के रोगियों को सस्ती व सुलभ दरों पर सुविधा मिलेगी.

उन्होंने कहा कि दंत चिकित्सा में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अनुप्रिया शर्मा के निर्देशन में शुरू की गई है. यह प्रदेश के सरकारी संस्थानों में अपनी तरह की पहली सुविधा है. विभाग को अत्याधुनिक मशीनरी से सुसज्जित किया गया है और दंत प्रत्यारोपण के लिए विशेषज्ञों की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है.

यह सुविधा रोगियों को बहुत ही सस्ती व सुलभ दरों पर उपलब्ध होगी और इसमें मानक जीवाणु-नाशन (स्टरलाईजेशन) और संक्रमण (इन्फेक्शन) नियंत्रण प्रोटोकॉल का पूरी तरह से पालन किया जाएगा.

डॉ. अनुप्रिया शर्मा ने कहा कि दंत प्रत्यारोपण में एक टाइटेनियम स्क्रू को जबड़े में एक कृत्रिम दांत की जड़ के रूप में प्रतिस्थापित किया जाता है. इसे आगामी तीन महीने तक जबड़ों में छोड़ दिया जाता है, ताकि यह जबड़ों की हड्डी के साथ एकीकृत हो सके. इसके बाद तीन से छह महीने में इसके ऊपर क्राऊन को जोड़ा जाता है. यह खोए हुए/टूटे हुए दांतों को बदलने की आधुनिक सर्जिकल तकनीक है.

डॉ. अनिल चौहान ने डॉक्टर्स डे के अवसर पर मेडिकल कॉलेज में यह सुविधा शुरू करने के लिए दंच चिकित्सा विभाग की पूरी टीम को बधाई दी और इस दिशा में किए गए उनके निरंतर प्रयासों की सराहना भी की.

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