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हिंदी लेखन में माहिर हैं अजय सोनी, लिखावट ऐसी मानो प्रिंटर से छपा हो

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Published : Sep 14, 2021, 7:25 PM IST

हिंदी दिवस पर हम आपको मिलाएंगे हमीरपुर जिला के एक ऐसे हिंदी लेखक से जिनके लिखावट प्रिंटिंग से कम नहीं है. हम बात कर रहे हैं हमीरपुर में सोने के कारीगर का काम करने वाले अजय सोनी की. अजय सोनी यूं तो 3 भाषाओं तमिल हिंदी और अंग्रेजी में लिख लेते हैं, लेकिन हिंदी से उनका प्रेम बहुत पुराना है वह हिंदी को इतना बारीक लिख लेते हैं जितना अखबार में छपा होता है और इतना सुंदर और बनावट से लिखते हैं कि देखने और पढ़ने वाले का मन मोह लेते हैं.

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फोटो.

हमीरपुर: हिंदी दिवस पर हम आपको मिलाएंगे हमीरपुर जिला के एक ऐसे हिंदी लेखक से जिनके लिखावट प्रिंटिंग से कम नहीं है. जी हां हिंदी में कुछ ऐसा लिखते हैं कि आपको शब्दों की बनावट प्रिंटर की प्रिंटिंग जैसे ही प्रतीत होगी.

हम बात कर रहे हैं हमीरपुर में सोने के कारीगर का काम करने वाले अजय सोनी की. अजय सोनी यूं तो 3 भाषाओं तमिल हिंदी और अंग्रेजी में लिख लेते हैं, लेकिन हिंदी से उनका प्रेम बहुत पुराना है वह हिंदी को इतना बारीक लिख लेते हैं जितना अखबार में छपा होता है और इतना सुंदर और बनावट से लिखते हैं कि देखने और पढ़ने वाले का मन मोह लेते हैं.

भारतवर्ष में 14 सितम्बर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है. 14 सितम्बर 1949 को हिंदी को राजभाषा का दर्जा मिला था. हिंदी भाषा हमारे देश की संस्कृति और संस्कार का प्रतिबिम्ब हैं. देश में कई लोग ऐसे हैं जिनका हिंदी के प्रति अगाध स्नेह पाया जाता है. कुछ हिंदी में कविताओं, तो कुछ कहानियों और साहित्य के माध्यम से अपना योगदान दे रहे हैं.

हमीरपुर के अजय सोनी का हिंदी लेखन की अदभुत बनावट से सहज ही लोगों का दिल जीत लेते हैं. सोनी की लिखावट को देखकर ऐसा प्रतीत होता है जैसे ये उन्होंने नहीं बल्कि कम्पयुटर से प्रिंट निकाला गया हो. मोतियों से लिखावट की अदभुत कला के माहिर अजय सोनी हमीरपुर के कई कार्यालयों, व्यापार मंडल और विभिन्न संगठनों के लिए हिंदी लेखन से अपना योगदान दे चुके हैं. कई बार लोग प्रिटिंग प्रेस में जाने में की बजाए सोनी से ही पोस्टर बनावाने को तरजीह देते हैं.

हमीरपुर शहर के बीचों बीच स्वर्णकार का काम करने वाले अजय सोनी की लिखावट देख हर कोई दंग रह जाता है. क्योंकि हो भी क्यों न अजय की अंगुलियां जब कागज पर चलती है तो ऐसा लगता है कि मानो कोई मशीन लिख रही है. सुन्दर लिखावट के लिए मशहूर अजय सोनी की लिखावट स्कूल समय से ही सुन्दर है.

अजय सोनी ने बताया कि 1992 में स्कूल छोड़ा है और बाल स्कूल में अध्यापक स्व. रत्न शान के आर्शीवाद से लिखावट बना पाए हैं. उन्होंने बताया कि आज कल मात्र भाषा हिंदी को लोग पीछे छोड़ रहे हैं, लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए और स्कूलों में भी हिंदी के ज्ञान को ज्यादा से ज्यादा देना चाहिए.

अजय सोनी का मानना है कि सरकारी कार्यालय में भी अंग्रेजी की बजाए हिंदी में ज्यादा काम होना चाहिए. उन्होंने कहा कि दिन भर सोने का काम करतेहै और रात के समय एक घंटे तक हिंदी लिखने की प्रेक्टिस करते हैताकि लिखावट और सुन्दर बन सके.

व्यापार मंडल हमीरपुर के महासचिव अश्वनी जगोता ने कहा कि अजय सोनी की लिखावट मोतियों की तरह है और हर कोई उसकी लिखावट का हमीरपुर में दीवाना है. उन्होंने कहा कि व्यापार मंडल जब भी कोई संदेश लिखवाते हैं तब सोनी सेवाएं लेते हैं और प्रिटिंग प्रेस में जाने की जरूरत नहीं पड़ती. उन्होंने यह भी बताया कि अजय सोनी अपनी सेवाएं निशुल्क देते हैं.

ये भी पढ़ें- CM जयराम ठाकुर सहित भाजपा पदाधिकारी दिल्ली तलब, राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज

हमीरपुर: हिंदी दिवस पर हम आपको मिलाएंगे हमीरपुर जिला के एक ऐसे हिंदी लेखक से जिनके लिखावट प्रिंटिंग से कम नहीं है. जी हां हिंदी में कुछ ऐसा लिखते हैं कि आपको शब्दों की बनावट प्रिंटर की प्रिंटिंग जैसे ही प्रतीत होगी.

हम बात कर रहे हैं हमीरपुर में सोने के कारीगर का काम करने वाले अजय सोनी की. अजय सोनी यूं तो 3 भाषाओं तमिल हिंदी और अंग्रेजी में लिख लेते हैं, लेकिन हिंदी से उनका प्रेम बहुत पुराना है वह हिंदी को इतना बारीक लिख लेते हैं जितना अखबार में छपा होता है और इतना सुंदर और बनावट से लिखते हैं कि देखने और पढ़ने वाले का मन मोह लेते हैं.

भारतवर्ष में 14 सितम्बर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है. 14 सितम्बर 1949 को हिंदी को राजभाषा का दर्जा मिला था. हिंदी भाषा हमारे देश की संस्कृति और संस्कार का प्रतिबिम्ब हैं. देश में कई लोग ऐसे हैं जिनका हिंदी के प्रति अगाध स्नेह पाया जाता है. कुछ हिंदी में कविताओं, तो कुछ कहानियों और साहित्य के माध्यम से अपना योगदान दे रहे हैं.

हमीरपुर के अजय सोनी का हिंदी लेखन की अदभुत बनावट से सहज ही लोगों का दिल जीत लेते हैं. सोनी की लिखावट को देखकर ऐसा प्रतीत होता है जैसे ये उन्होंने नहीं बल्कि कम्पयुटर से प्रिंट निकाला गया हो. मोतियों से लिखावट की अदभुत कला के माहिर अजय सोनी हमीरपुर के कई कार्यालयों, व्यापार मंडल और विभिन्न संगठनों के लिए हिंदी लेखन से अपना योगदान दे चुके हैं. कई बार लोग प्रिटिंग प्रेस में जाने में की बजाए सोनी से ही पोस्टर बनावाने को तरजीह देते हैं.

हमीरपुर शहर के बीचों बीच स्वर्णकार का काम करने वाले अजय सोनी की लिखावट देख हर कोई दंग रह जाता है. क्योंकि हो भी क्यों न अजय की अंगुलियां जब कागज पर चलती है तो ऐसा लगता है कि मानो कोई मशीन लिख रही है. सुन्दर लिखावट के लिए मशहूर अजय सोनी की लिखावट स्कूल समय से ही सुन्दर है.

अजय सोनी ने बताया कि 1992 में स्कूल छोड़ा है और बाल स्कूल में अध्यापक स्व. रत्न शान के आर्शीवाद से लिखावट बना पाए हैं. उन्होंने बताया कि आज कल मात्र भाषा हिंदी को लोग पीछे छोड़ रहे हैं, लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए और स्कूलों में भी हिंदी के ज्ञान को ज्यादा से ज्यादा देना चाहिए.

अजय सोनी का मानना है कि सरकारी कार्यालय में भी अंग्रेजी की बजाए हिंदी में ज्यादा काम होना चाहिए. उन्होंने कहा कि दिन भर सोने का काम करतेहै और रात के समय एक घंटे तक हिंदी लिखने की प्रेक्टिस करते हैताकि लिखावट और सुन्दर बन सके.

व्यापार मंडल हमीरपुर के महासचिव अश्वनी जगोता ने कहा कि अजय सोनी की लिखावट मोतियों की तरह है और हर कोई उसकी लिखावट का हमीरपुर में दीवाना है. उन्होंने कहा कि व्यापार मंडल जब भी कोई संदेश लिखवाते हैं तब सोनी सेवाएं लेते हैं और प्रिटिंग प्रेस में जाने की जरूरत नहीं पड़ती. उन्होंने यह भी बताया कि अजय सोनी अपनी सेवाएं निशुल्क देते हैं.

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