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एक साल से क्षतिग्रस्त मकान की नहीं ली गई सुध, आश्रय की तलाश में भटक रहे 'अनाथ'

अधवानी पंचायत के गांव टोरू में अपने माता-पिता को खो चुके मनीष और राजीव के पास रहने वाला मकान गिरने की कगार पर है. बच्चों के चाचा व मामा ने सरकार और प्रशासन से मांग की है कि इनके क्षतिग्रस्त मकान को ठीक करके इनको राहत प्रदान की जाए.

orphans children demand to repair house
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Published : Sep 13, 2020, 10:47 PM IST

ज्वालामुखी/कांगड़ाः उपमंडल ज्वालामुखी क्षेत्र की अधवानी पंचायत के गांव टोरू में अपने माता-पिता को खो चुके मनीष और राजीव के पास रहने वाला मकान गिरने की कगार पर है. समय रहते इस मकान की मरम्मत नहीं की जाती है तो हादसा होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है.

मकान की बात करें तो ये पिछले एक साल से क्षतिग्रस्त हुआ है और लगातार हो रही बारिश से मकान को और भी नुकसान पहुंचा है. स्लेटपोश मकान को यदि समय रहते ठीक नही किया गया तो ये कभी भी ढह सकता है. हालांकि उस दौरान क्षतिग्रस्त हुए मकान का स्थानीय पटवारी द्वारा इसका निरीक्षण करने के बाद परिवार को साच हजार रुपए इसे ठीक करवाने के लिए मुहैया करवाए थे, लेकिन ये नाम मात्र ही साबित हुए हैं.

जानकारी के अनुसार इस परिवार की मकान के साथ लगती रसोई पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई है जबकि अब दूसरी ओर मकान भी गिरने की कगार पर है. बच्चों के चाचा बलबीर के अनुसार 2 अगस्त को इनके पिता व उसके भाई अमर सिंह की मृत्यु हो गई जबकि इनकी माता का निधन 2014 में हो गया था.

माता-पिता का साया छिन जाने के बाद ये दोनों युवक मकान की सहायता के लिए तरस रहे हैं. दोनों युवकों में 23 साल का मनीष उम्र में बड़ा जरूर है, लेकिन वह दिमागी तौर पर बीमार रहता है, जबकि राजीव अभी 17 साल का है. राजीव अपने मामा जोकि ऊना के अम्ब के एक क्षेत्र में रहते हैं वहां 11वीं कक्षा की पढ़ाई कर रहा है.

जर्जर मकान के ढहने का खतरा

मनीष और राजीव के मकान को लगातार ढहने का खतरा बना हुआ है. मौसमी मार के कारण इनके मकान का कुछ हिस्सा ढह भी चुका है. जिन कमरों में यह रहते हैं, वहां पर लगातार गिरने का भय बना रहता है. बारिश में अक्सर पानी कमरों के भीतर आ जाता है जिससे बिस्तर और कपड़े तक गिले हो जाते हैं.

बता दें कि पुराना मकान होने के कारण और मौसम की मार के कारण इनके पास अब सिर ढकने के आश्रय की तलाश है. इन बच्चों के पास रोजगार के लिए आर्थिक साधन की भी कमी है. इनका परिवार गरीबी रेखा से नीचे गुजर-बसर करता था लेकिन पिता की मृत्यु के बाद हालत और खराब हो गए हैं. लिहाजा दोनों युवक अपने मामा और चाचा के साथ रह रहे हैं. हालांकि पंचायत द्वारा इन्हें बीपीएल सूची में शामिल किया गया है. बच्चों के चाचा व मामा ने सरकार और प्रशासन से आग्रह किया है कि इनके क्षतिग्रस्त मकान को ठीक करके इनको राहत प्रदान की जाए.

प्रधानमंत्री आवास योजना में किया है शामिल

वहीं, अधवानी पंचायत की सेक्रेटरी अंजना का इस मामले को लेकर कहना है कि इनके पिता की मृत्यु पर दिए जाने वाला बीस हजार क्लेम इनको प्रदान किया गया है. इसके साथ ही आपदा प्रबंधन के तहत इनके क्षतिग्रस्त मकान का केस शामिल कर दिया गया है ताकि इनको भविष्य में कोई समस्या न हो. साथ ही परिवार को बीपीएल सूची में भी डाला दिया गया है.

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ज्वालामुखी/कांगड़ाः उपमंडल ज्वालामुखी क्षेत्र की अधवानी पंचायत के गांव टोरू में अपने माता-पिता को खो चुके मनीष और राजीव के पास रहने वाला मकान गिरने की कगार पर है. समय रहते इस मकान की मरम्मत नहीं की जाती है तो हादसा होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है.

मकान की बात करें तो ये पिछले एक साल से क्षतिग्रस्त हुआ है और लगातार हो रही बारिश से मकान को और भी नुकसान पहुंचा है. स्लेटपोश मकान को यदि समय रहते ठीक नही किया गया तो ये कभी भी ढह सकता है. हालांकि उस दौरान क्षतिग्रस्त हुए मकान का स्थानीय पटवारी द्वारा इसका निरीक्षण करने के बाद परिवार को साच हजार रुपए इसे ठीक करवाने के लिए मुहैया करवाए थे, लेकिन ये नाम मात्र ही साबित हुए हैं.

जानकारी के अनुसार इस परिवार की मकान के साथ लगती रसोई पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई है जबकि अब दूसरी ओर मकान भी गिरने की कगार पर है. बच्चों के चाचा बलबीर के अनुसार 2 अगस्त को इनके पिता व उसके भाई अमर सिंह की मृत्यु हो गई जबकि इनकी माता का निधन 2014 में हो गया था.

माता-पिता का साया छिन जाने के बाद ये दोनों युवक मकान की सहायता के लिए तरस रहे हैं. दोनों युवकों में 23 साल का मनीष उम्र में बड़ा जरूर है, लेकिन वह दिमागी तौर पर बीमार रहता है, जबकि राजीव अभी 17 साल का है. राजीव अपने मामा जोकि ऊना के अम्ब के एक क्षेत्र में रहते हैं वहां 11वीं कक्षा की पढ़ाई कर रहा है.

जर्जर मकान के ढहने का खतरा

मनीष और राजीव के मकान को लगातार ढहने का खतरा बना हुआ है. मौसमी मार के कारण इनके मकान का कुछ हिस्सा ढह भी चुका है. जिन कमरों में यह रहते हैं, वहां पर लगातार गिरने का भय बना रहता है. बारिश में अक्सर पानी कमरों के भीतर आ जाता है जिससे बिस्तर और कपड़े तक गिले हो जाते हैं.

बता दें कि पुराना मकान होने के कारण और मौसम की मार के कारण इनके पास अब सिर ढकने के आश्रय की तलाश है. इन बच्चों के पास रोजगार के लिए आर्थिक साधन की भी कमी है. इनका परिवार गरीबी रेखा से नीचे गुजर-बसर करता था लेकिन पिता की मृत्यु के बाद हालत और खराब हो गए हैं. लिहाजा दोनों युवक अपने मामा और चाचा के साथ रह रहे हैं. हालांकि पंचायत द्वारा इन्हें बीपीएल सूची में शामिल किया गया है. बच्चों के चाचा व मामा ने सरकार और प्रशासन से आग्रह किया है कि इनके क्षतिग्रस्त मकान को ठीक करके इनको राहत प्रदान की जाए.

प्रधानमंत्री आवास योजना में किया है शामिल

वहीं, अधवानी पंचायत की सेक्रेटरी अंजना का इस मामले को लेकर कहना है कि इनके पिता की मृत्यु पर दिए जाने वाला बीस हजार क्लेम इनको प्रदान किया गया है. इसके साथ ही आपदा प्रबंधन के तहत इनके क्षतिग्रस्त मकान का केस शामिल कर दिया गया है ताकि इनको भविष्य में कोई समस्या न हो. साथ ही परिवार को बीपीएल सूची में भी डाला दिया गया है.

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