कांगड़ा: पालमपुर में प्रदेश भाजपा महामंत्री एवं हिमाचल प्रदेश वूल फेडरेशन के अध्यक्ष, त्रिलोक कपूर ने पत्रकारवार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि 15 फरवरी से हिमाचल प्रदेश की सर्दियों में जो भेड़ पालक चरवाही के लिए आते हैं उनके लिए पहले की तरह फिर से वूल फेडरेशन द्वारा भेड़पालक जागरूकता एवं प्रशिक्षण शिविरों, सरकार भेड़ पालकों के द्वार कार्यक्रम का आयोजन (Sheep Farmer Awareness Training) किया जा रहा है.
यह शिविर जनजातीय विकास विभाग हिमाचल प्रदेश के द्वारा प्रायोजित किए जा रहे हैं व इसके अंतर्गत आगुंतक भेड़पालकों को एक प्राथमिक उपचार किट जिसके तहत जरूरी औषधियां तथा एक छोटी सोलर स्वचलित टॉर्च भी दी जाएगी. इन कैंपों में आने जाने का 200 रुपए प्रति व्यक्ति व भोजन का आयोजन किया जाएगा. शिविर में पशुपालन विभाग तथा पालमपुर यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञ भेड़पालकों को भेड़-बकरियों के विभिन्न वैज्ञानिक पहलुओं पर जानकारी देंगे और स्थानीय पशु चिकित्सक उनके इलाकों में आ रही पशु संबंधी कठिनाइयों का निराकरण करेंगे.
इन कैंपों में स्थानीय प्रशासन, वन विभाग के अधिकारी तथा जिला पशुपालन विभाग के उच्चाधिकारी भी भाग लेंगे और भेड़पालकों की जो भी समस्याएं होंगी उनके समाधान पर भी चर्चा की जाएगी. त्रिलोक कपूर ने कहा कि नस्ल सुधार कार्यक्रम के तहत लगभग 4 करोड़ की योजना के तहत ऑस्ट्रेलिया से 250 भेड़ और मेढ़े फार्म में मंगवाए गए हैं. जिसे आने वाले समय में भेड़पालकों को वितरित किया जाएगा.
प्रथम शिविर 15 फरवरी 2022 को नूरपुर में वन विश्राम गृह बदनी परिसर, 16 फरवरी को देहरा में लोक निर्माण विभाग के विश्राम गृह परिसर में, 17 फरवरी को ऊना में उपनिदेशक पशुपालन विभाग के परिसर में, 18 फरवरी को बिलासपुर के स्वारघाट में एमएचडब्ल्यूएसडीपी विश्राम रेस्ट हाऊस परिसर में, 19 फरवरी को जिला सिरमौर के नाहन में एमएचडब्ल्यूडीपी रेस्ट हाऊस परिसर में शिविर का आयोजन किया जाएगा.
त्रिलोक कपूर ने कहा कि यह कैंप 2008-09 से लेकर 2011-12 तक पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल की सरकार में लगाए जाते थे. उसके बाद वर्तमान में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी इन कैंपों के (Sheep Farmer Awareness Training) आयोजन हेतु पिछले वर्ष भी स्वीकृति प्रदान की थी. पिछले वर्ष भी इन शिविरों का आयोजन भेड़पालकों के हित में किया गया था. भेड़पालक जागरूकता एवं प्रशिक्षण शिविर नूरपुर में मुख्यातिथि वन एवं युवा सेवाएं मंत्री राकेश पठानिया होगें और बाकी जगह भी स्थानीय विधायक इन शिविरों में उपस्थित होगें.
गौर हो कि हिमाचल प्रदेश में काफी संख्या में वनों पर निर्भर समुदाय अपना जीवन-यापन करते हैं तथा 12 महीने खुले में अपनी भेड़-बकरियों के साथ चरवाही करते हैं. यह अपनी भेड़-बकरियों के साथ प्रदेश के निचले इलाकों में व साथ लगते राज्यों में अपना डेरा लगाकर चरवाही करते हैं. पिछले 2-3 दशकों से कुछ समय में देखा गया है कि यह कारोबार निरंतर घटता जा रहा है तथा वर्तमान में भेड़ों की संख्या 7,91,345 तथा बकरियों की संख्या 11,8,413 है जो कि कुल जानवरों की संख्या का 40 प्रतिशत है.
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