कांगड़ाः फलों का राजा आम इस बार ऑन सीजन होने के बावजूद मौसम और कोरोना की दोहरी मार झेल रहा है. आम की सबसे अधिक पैदावार करने वाले जिला कांगड़ा के बागवानों के चेहरों पर इस वर्ष मायूसी दिखाई दे रही है. जिला के फतेहपुर, इंदौरा, नूरपुर, जवाली, नागाबाड़ी, बासा बजीरा सहित अन्य इलाकों में बड़े स्तर पर आम की पैदावार होती है.
इस बार ऑन सीजन है, लेकिन बागवानों को मौसम और कोरोना की दोहरी मार पड़ रही है. तूफान से आधी फसल को तबाह कर दिया और अब जो फसल बची है, उसे कोरोना वायरस की वजह से बाजार में बेचने में परेशानी आएगी.
वहीं, बागवान अमित पठानिया, विक्रम डढवाल ने बताया कि इस बार आम की पैदावार ठीक हुई है, लेकिन लॉकडाउन की वजह से खरीददार नहीं मिल रहे है. दूसरी तरफ अगर लॉकडाउन ऐसे ही चलता रहा तो आम बगीचे में ही सड़ जाएगा. किसानों का कहना है कि सब्जी मंडी में भी आम के खरीददार कम मिलने से इस बार नुकसान होने की संभावना है. इनका कहना है कि दूसरे राज्यों में भी लॉकडाउन की वजह से इस बार आम बेचना मुश्किल हो जाएगा.
इस बारे में जब जसूर सब्जी मंडी समिति अध्य्क्ष रविन्द्र सिंह ने बताया कि इस बार बम्पर फसल होने की उम्मीद है, अगर सीजन शुरू होने तक लॉकडाउन खत्म हो जाता है, तो किसानों को अच्छे दाम मिल सकते हैं.
वहीं, दूसरी और मार्केटिंग बोर्ड के सुपरवाइजर ब्रिज भूषण डोगरा ने बताया कि पिछले वर्ष 1300 क्विंटल आम बाजार में बिकने के लिए आया था. उन्होंने उम्मीद जताई कि इस बार आम की फसल दोगुनी होगी, साथ ही इस बात की चिंता भी जाहिर करते हुए कहा कि हालात ऐसे ही रहे तो बाहर से कोई व्यक्ति आम खरीदने नहीं आएगा और अधिकतम आम की फसल ऐसे ही खराब हो जाएगी.
गौरतलब है कि जिला कांगड़ा में दशहरी, लंगड़ा, चौसा, ग्रीन, फजली, तोतापुरी, आम्रपाली और रामकेला जैसी प्रजातियों का आम होता है. आम की दशहरी प्रजाति का तुड़ान जून मध्य में शुरू हो जाता है और जुलाई तक ये जोरों पर रहता है. फिलहाल जिला के किसान यही उम्मीद लगाए बैठे हैं कि हालात जल्द सामान्य हो और उनकी फसल के अच्छे दाम मिलें.