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छुट्टियों में स्कूली बच्चे हस्तशिल्प कला को करेंगे संरक्षित, भाषा एवं संस्कृति विभाग ने शुरू की 'अभिरूचि' कक्षाएं

गर्मियों की छुट्टियों का सदुपयोग करने के लिए भाषा एवं संस्कृति विभाग ने नई पहल शुरू की है. विभाग ने अभिरूचि कक्षाएं शुरू की है, जिसमें बच्चों को लुप्त होती हस्तशिल्प कलाओं के रूबरू करने के साथ उसके संरक्षण का भी काम किया जाएगा.

स्कूली बच्चे
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Published : Jul 26, 2019, 9:40 PM IST

धर्मशाला: गर्मियों की छुट्टियों में स्कूली छात्रों के लिए अनूठी पहल करते हुए भाषा एवं संस्कृति विभाग ने अभिरूचि कक्षाएं शुरू की हैं. इन कक्षाओं में बच्चे हस्तशिल्प चीजें तैयार करना सीखेंगे.

इन कक्षाओं के संचालन का उद्देश्य लुप्त हो रही कलाओं का संरक्षण करने के साथ ही बच्चों को अपनी संस्कृति से मिलवाने का है.

वीडियो

अभिरूचि कक्षाओं में बच्चों को पारम्परिक सजावट की चीजें बनाना सिखाया जाएगा. यह हस्तशिल्प उत्पाद चीड़ की पत्तियों से बनाए जाएंगे. अभिरूचि कक्षाएं 10 से 15 दिनों तक आयोजित करवाई जाएंगी.

जिला भाषा अधिकारी सुरेश राणा ने कहा कि विभाग ने स्कूलों में चल रही ग्रीष्मकालीन छुट्टियों में बच्चों के समय का सदुपयोग करने के लिए अभिरूचि कक्षाएं शुरू की हैं.

धर्मशाला: गर्मियों की छुट्टियों में स्कूली छात्रों के लिए अनूठी पहल करते हुए भाषा एवं संस्कृति विभाग ने अभिरूचि कक्षाएं शुरू की हैं. इन कक्षाओं में बच्चे हस्तशिल्प चीजें तैयार करना सीखेंगे.

इन कक्षाओं के संचालन का उद्देश्य लुप्त हो रही कलाओं का संरक्षण करने के साथ ही बच्चों को अपनी संस्कृति से मिलवाने का है.

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अभिरूचि कक्षाओं में बच्चों को पारम्परिक सजावट की चीजें बनाना सिखाया जाएगा. यह हस्तशिल्प उत्पाद चीड़ की पत्तियों से बनाए जाएंगे. अभिरूचि कक्षाएं 10 से 15 दिनों तक आयोजित करवाई जाएंगी.

जिला भाषा अधिकारी सुरेश राणा ने कहा कि विभाग ने स्कूलों में चल रही ग्रीष्मकालीन छुट्टियों में बच्चों के समय का सदुपयोग करने के लिए अभिरूचि कक्षाएं शुरू की हैं.

Intro:धर्मशाला- ग्रीष्मकालीन व बरसात की छुटिटयों में बच्चों के समय के सदुपयोग की अनूठी पहल करते हुए भाषा एवं संस्कृति विभाग ने बच्चों के लिए अभिरूचि कक्षाएं शुरू की हैं। इन कक्षाओं के माध्यम से बच्चे हस्तशिल्प उत्पाद तैयार करना सीख रहे हैं। इन कक्षाओं के संचालन का उद्देश्य लुप्त हो रही कला का संरक्षण करने के साथ बच्चों को अपनी संस्कृति से रुबरु करवाना है।

Body:हरि कृश्ण मुरारी बच्चों को प्रशिक्षण देगें व इसमें बच्चों को पारम्परिक सजावटी उत्पाद बनाना सिखाया जाएगा। यह हस्तशिल्प उत्पाद चीड़ की पत्तियों से बनाए जाएंगे। अभिरुचि कक्षाएं 10 से 15 दिनों तक आयोजित करवाई जाएंगी। इसमें बच्चे स्वयं उत्पाद बनाना सीखेंगे। Conclusion:जिला भाषा अधिकारी सुरेश राणा ने कहा कि विभाग द्वारा छुटिटयों में बच्चों के समय का सदुपयोग करने के लिए विभाग द्वारा हस्तशिल्प उत्पादों की ट्रेनिंग तथा लुप्त हो रही कला के संरक्षण हेतू विभाग द्वारा अभिरूचि कक्षाएं शुरू की गई हैं। इन कक्षाओं का आयोजन 10 से 15 दिनों तक किया जाएगा। इन कक्षाओं में बच्चे चीड़ पत्तियों से हस्तशिल्प उत्पाद बनाना सीखेंगे
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