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'गद्दी समुदाय की वंचित उपजातियों को 'गद्दी' शब्द से जल्द जोड़े सरकार वरना होगा आंदोलन'

हिमालयन गद्दी यूनियन हिमाचल प्रदेश ने गद्दी समुदाय की वंचित उपजातियों के साथ गद्दी शब्द जोड़ने की मांग उठाई है. उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार सहित गद्दी समुदाय से संबंधित नेताओं से भी मुलाकात की है. सभी ने मांग को पूरा किये जाने की बात रखी लेकिन अभी तक इस पर अमल नहीं हो सका है.

Himalayan Gaddi Union Himachal Pradesh
हिमालयन गद्दी यूनियन हिमाचल प्रदेश
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Published : Apr 27, 2022, 6:22 PM IST

कांगड़ा: हिमालयन गद्दी यूनियन हिमाचल प्रदेश ने गद्दी समुदाय की वंचित उपजातियों के साथ गद्दी शब्द (Himalayan Gaddi Union Himachal Pradesh) जोड़ने की मांग उठाई है. गद्दी समुदाय की छह वंचित उपजातियों को राजस्व रिकार्ड से दुरुस्त नहीं किया गया है. इसमें सिप्पी, हाली, वाड़ी, डोगरी, रिहाड़े व डागी को गद्दी शब्द से नहीं जोड़ा गया है. वंचित उपजातियों के सभी रीति-रिवाज, संस्कृति, पहनावा व रहन-सहन भी एक सम्मान है.


हिमालयन गद्दी यूनियन के अध्यक्ष मोहिंद्र सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को इस संबंध में वर्ष 2019 में ज्ञापन सौंपा था. जिसके बाद इस विषय की जांच पड़ताल करने के निर्देश दिए थे. जिस पर राजस्व रिकॉर्ड में दुरुस्त किये जाने की बात कही है. उन्होंने कहा कि उन्होंने किसी भी तरह के आरक्षण की मांग नहीं उठाई है और न ही आयोग बनाने की बात कही है. लेकिन सरकार की ओर से की गई छानबीन के बाद भी क्यों नोटिफिकेशन जारी नहीं की जा रही है.

यहां तक इस मामले में डीसी कांगड़ा ने भी जांच की और उसमें पाया गया (Himalayan Gaddi Union Himachal Pradesh) कि गद्दी शब्द उक्त उपजातियों के साथ जोड़ना सही है. तीन-तीन बार रिपोर्ट जाने के बाद और गद्दी कल्याण बोर्ड की बैठक में भी प्रस्ताव जाने के बाद भी इस मामले पर सरकार की लापरवाही से लोगों में आक्रोश है. हिमालयन गद्दी यूनियन के अध्यक्ष मोहिंद्र सिंह ने कहा कि कांगड़ा-चंबा के 10 विधानसभा क्षेत्रों में अधिक संख्या में उपजातियों के लोग रहते हैं, ऐसे में ये लोग सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. उन्होंने कहा कि राजस्व रिकॉर्ड की त्रुटि को ठीक किया जाना बेहद जरूरी है.

लोगों में आक्रोश है कि सभी तथ्य होने पर भी उपजातियों के साथ गद्दी शब्द जोड़ने की अनुमति नहीं मिल रही है. उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार सहित गद्दी समुदाय से संबंधित नेताओं से भी मुलाकात की है. सभी ने मांग को पूरा किये जाने की बात रखी लेकिन अभी तक इस पर अमल नहीं हो सका है. उन्होंने कहा कि विपक्ष में बैठे नेता भी इस संबंध में गद्दी शब्द जोड़ने की बात कह रहे हैं, तो सीएम क्यों अपने ही लोगों को दरकिनार कर रहें है. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर 15 मई से पहले-पहले इस मामले को सुलझाया नहीं जाता है, तो हिमालयन गद्दी यूनियन सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर होगी. वहीं, अगर सही समय पर मांगें न मानी गई तो उपजातियों को आगामी उपचुनावों में अपना रुख बदलना पड़ सकता है.

कांगड़ा: हिमालयन गद्दी यूनियन हिमाचल प्रदेश ने गद्दी समुदाय की वंचित उपजातियों के साथ गद्दी शब्द (Himalayan Gaddi Union Himachal Pradesh) जोड़ने की मांग उठाई है. गद्दी समुदाय की छह वंचित उपजातियों को राजस्व रिकार्ड से दुरुस्त नहीं किया गया है. इसमें सिप्पी, हाली, वाड़ी, डोगरी, रिहाड़े व डागी को गद्दी शब्द से नहीं जोड़ा गया है. वंचित उपजातियों के सभी रीति-रिवाज, संस्कृति, पहनावा व रहन-सहन भी एक सम्मान है.


हिमालयन गद्दी यूनियन के अध्यक्ष मोहिंद्र सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को इस संबंध में वर्ष 2019 में ज्ञापन सौंपा था. जिसके बाद इस विषय की जांच पड़ताल करने के निर्देश दिए थे. जिस पर राजस्व रिकॉर्ड में दुरुस्त किये जाने की बात कही है. उन्होंने कहा कि उन्होंने किसी भी तरह के आरक्षण की मांग नहीं उठाई है और न ही आयोग बनाने की बात कही है. लेकिन सरकार की ओर से की गई छानबीन के बाद भी क्यों नोटिफिकेशन जारी नहीं की जा रही है.

यहां तक इस मामले में डीसी कांगड़ा ने भी जांच की और उसमें पाया गया (Himalayan Gaddi Union Himachal Pradesh) कि गद्दी शब्द उक्त उपजातियों के साथ जोड़ना सही है. तीन-तीन बार रिपोर्ट जाने के बाद और गद्दी कल्याण बोर्ड की बैठक में भी प्रस्ताव जाने के बाद भी इस मामले पर सरकार की लापरवाही से लोगों में आक्रोश है. हिमालयन गद्दी यूनियन के अध्यक्ष मोहिंद्र सिंह ने कहा कि कांगड़ा-चंबा के 10 विधानसभा क्षेत्रों में अधिक संख्या में उपजातियों के लोग रहते हैं, ऐसे में ये लोग सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. उन्होंने कहा कि राजस्व रिकॉर्ड की त्रुटि को ठीक किया जाना बेहद जरूरी है.

लोगों में आक्रोश है कि सभी तथ्य होने पर भी उपजातियों के साथ गद्दी शब्द जोड़ने की अनुमति नहीं मिल रही है. उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार सहित गद्दी समुदाय से संबंधित नेताओं से भी मुलाकात की है. सभी ने मांग को पूरा किये जाने की बात रखी लेकिन अभी तक इस पर अमल नहीं हो सका है. उन्होंने कहा कि विपक्ष में बैठे नेता भी इस संबंध में गद्दी शब्द जोड़ने की बात कह रहे हैं, तो सीएम क्यों अपने ही लोगों को दरकिनार कर रहें है. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर 15 मई से पहले-पहले इस मामले को सुलझाया नहीं जाता है, तो हिमालयन गद्दी यूनियन सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर होगी. वहीं, अगर सही समय पर मांगें न मानी गई तो उपजातियों को आगामी उपचुनावों में अपना रुख बदलना पड़ सकता है.

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