धर्मशाला: हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड ने बोर्ड कक्षाओं के परिणाम घोषित कर दिए हैं. कोरोना वायरस की वजह से इस साल रिजल्ट घोषित करने में देरी हुई है. वहीं, बीते दो सालों की टॉपर लिस्ट की बात की जाए तो 10वीं कक्षा की मेरिट सूची में सरकारी स्कूलों के छात्र अपनी जगह नहीं बना पाए हैं.
पिछले साल 10वीं कक्षा की मेरिट में सरकारी स्कूल का 1 छात्र था, जबकि इस साल सरकारी स्कूलों के चार छात्रों ने मेरिट में स्थान हासिल किया है. हालांकि 12 वीं कक्षा की मेरिट लिस्ट में सरकारी स्कूल बेहतर कर रहे हैं. पिछले साल सरकारी स्कूलों के 29 छात्रों ने मेरिट में स्थान प्राप्त किया था, जबकि इस साल 46 छात्रों ने मेरिट में स्थान हासिल किया है.
मैट्रिक की मेरिट सूची के 10 स्थानों पर 37 छात्रों ने स्थान प्राप्त किया है, लेकिन हैरानी की बात ये है कि इन 37 स्टूडेंट्स में से 33 स्टूडेंटस निजी स्कूलों के हैं, जबकि सरकारी स्कूलों के मात्र 4 छात्र ही मेरिट में जगह बना पाए हैं. इस साल सरकारी स्कूलों ने अपने आंकड़ों को बढ़ाया है. पिछली साल कुल 39 छात्र मेरिट लिस्ट में थे, जिसमें से सरकारी स्कूल का 1 छात्र, जबकि निजी स्कूल के 38 छात्र मेरिट लिस्ट में थे.
जमा दो के घोषित परीक्षा परिणाम की मेरिट में सरकारी स्कूलों का स्थान बढ़ा है. दसवीं के घोषित परिणाम में सरकारी स्कूल के केवल 4 छात्र ही मेरिट में जगह बना पाए हैं. वहीं जमा दो के घोषित परिणाम की मेरिट सूची में कुल 83 स्टूडेंट्स ने स्थान हासिल किया है. जिसमें से 46 स्थानों पर सरकारी स्कूलों के स्टूडेंटस ने कब्जा किया है, जबकि 37 निजी स्कूलों के विद्यार्थियों ने स्थान हासिल किया है. वहीं, पिछले साल 12वीं कक्षा में 58 विद्यार्थियों ने मेरिट में अपना स्थान प्राप्त किया था, जबकि निजी स्कूलों और सरकारी स्कूलों के 29-29 छात्रों ने मेरिट में अपना स्थान हासिल किया था.
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पिछले साल मैट्रिक के रिजल्ट की पास प्रतिशतता 60.79 फीसदी रही थी, जबकि इस साल पास प्रतिशतता 68.11 फीसदी पहुंची है. साल 2015-16 में मैट्रिक की पास प्रतिशतता 66.88 फीसदी रही थी, जबकि साल 2016-17 में 67.57 फीसदी, वर्ष 2017-18 में 63.39 फीसदी, साल 2018-19 में 60.79 फीसदी रही थी.
इस बार के मैट्रिक रिजल्ट पर नजर दौड़ाएं तो परीक्षा में 1 लाख 4 हजार 323 परीक्षार्थी बैठे थे, जिसमें से 70 हजार 571 पास हुए, 27 हजार 197 फेल हुए, 5 हजार 617 छात्रों को कम्पार्टमेंट घोषित किए गए. हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड की जमा दो की पास प्रतिशतता में चार साल में इजाफा हुआ है. साल 2017 में पास प्रतिशतता 72.89 फीसदी रही थी, जबकि इस साल पास प्रतिशतता 76.07 फीसदी पहुंच गई है. साल 2018 में पास प्रतिशतता 70.18 फीसदी थी, वहीं, साल 2019 में परीक्षा परिणाम 62.10 फीसदी रहा था.
पूर्व शिक्षिका चन्द्र रेखा डढवाल ने बताया कि निजी स्कूलों और सरकारी स्कूलों में एक फर्क जो दिखता में वो आर्थिक स्थिति का होता है, जबकि परिजनों के दिमाग में भी रहता है कि निजी स्कूलों में अच्छी पढ़ाई होती है और वहां अंग्रेजी बोलना सिखाया जाता है. उन्होंने कहा कि जब तक सरकारी स्कूल की नीतियों में बदलाव नहीं होगा, तब तक इन कमजोरी से बचना मुश्किल है. 12वीं कक्षा के अंक बच्चों के लिए महत्वपूर्ण होते हैं, क्योंकि इन्ही अंकों के आधार पर आगे प्रवेश मिलता है.
स्कूल शिक्षा बोर्ड के चैयरमेन सुरेश कुमार सोनी ने कहा कि इस साल सिर्फ 86 नकल की कॉपियां मिली हैं. साथ ही इस बार नकल बहुत कम हुई है, क्योंकि शिक्षकों और प्रशासन ने नकल रोकने में सहयोग किया है. उन्होंने कहा कि अतिरिक्त विषय के पेपर नहीं लिए गए थे, जबकि जिस बच्चे के चार विषय में सबसे ज्यादा अंक है उस विषय के अंकों के आधार पर इस पेपर में दिए गए हैं. जिससे बच्चों को लाभ हुआ है.