पालमपुरः राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कृषि विश्वविद्यालय की गतिविधियों का विस्तार और अनुसंधान के लाभ को किसानों तक पहुंचाने के लिए विशेष प्रयास करने पर जोर दिया है. यह बात राज्यपाल ने मंगलवार को चौधरी सरवन कुमार कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर में सीनेट की बैठक की अध्यक्षता करते हुए कही.
राज्यपाल ने कहा कि जलवायु परिवर्तन आज दुनिया के सामने एक बड़ी चुनौती है, जिसका सीधा संबंध कृषि, बागवानी और खाद्य सुरक्षा से है. उन्होंने कहा कि एक ओर कृत्रिम बुद्धिमत्ता, मशीन लर्निंग, डीप लर्निंग, रोबोटिक्स, बायो-इंजीनियरिंग और नैनोटेक्नोलाजी में हमारे काम और रहन-सहन को पूरी तरह से बदलने की क्षमता है.
वहीं दूसरी ओर भविष्य में इसमें चुनौतियों का सामना करने की संभावना भी है, लेकिन यह आज पर निर्भर करता है कि हम कैसा निर्णय लेते हैं. उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी का ज्ञान होना जरुरी है.
प्रौद्योगिकी और आध्यात्मिकता में समन्वय की जरुरत
राज्यपाल दत्तात्रेय ने कहा कि अगर नैतिकता के बुनियादी मूल्यों के बिना विज्ञान विकसित होता है, तो हमारा ज्ञान हमें विनाश की ओर ले जाएगा. इसलिए, प्रौद्योगिकी और आध्यात्मिकता में समन्वय लाने की जरुरत है.
राज्यपाल ने कहा कि इसी तरह कौशल विकास और नए कौशल सीखना युवाओं के सामने सबसे बड़ी चुनौती है. अनुसंधान विद्वानों का मानना है कि आने वाले तीन दशकों में वर्तमान रोज़गार का 50 प्रतिशत समाप्त हो जाएगा और जो नए अवसर पैदा होंगे उनके लिए नए कौशल की जरुरत होगी. उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि युवा इन चुनौतियों के लिए खुद को तैयार करेंगे.
युवा वैज्ञानिक से अधिक समर्पण का आह्वान
उन्होंने युवा वैज्ञानिकों से अपने क्षेत्र में अधिक समर्पण और विकसित कौशल के साथ काम करने का आह्वान किया. राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने चिंता व्यक्त की कि कृषि और बागवानी के अधिकांश स्नातक खेत या खेती के काम करने के इच्छुक नहीं है. उन्होंने कहा कि पिछले कुछ महीनों में उन्होंने कृषि और बागवानी विश्वविद्यालयों के छात्रों से बातचीत करने के बाद उनके मन में ऐसी धारणा उत्पन्न हुई, जो चिंता का विषय है.
प्राकृतिक खेती से किसानों की आय होगी दोगुनी
उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि साल 2021 तक कृषि विश्वविद्यालय का हिमाचल प्रदेश को प्राकृतिक कृषि राज्य बनाने में विशेष योगदान रहेगा. उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती से किसानों की आय दोगुनी होगी और इनके उत्पाद स्वास्थ्य की दृष्टि से भी लाभदायक सिद्ध होंगे.
राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय वैज्ञानिकों को गांव और किसानों के साथ जुड़ने का निर्देश दिया और युवा वैज्ञानिकों को अपनी पारंपरिक खेती में अनुसंधान करने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने मॉडल प्रशिक्षण के साथ महिला किसानों को प्रशिक्षित करने और एक मिशन के रूप में काम करने के भी निर्देश दिए.
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