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Deo Tibba Mountain: धर्मशाला की अंजलि शर्मा ने दियो टिब्बा पर लहराया तिरंगा

धर्मशाला के गमरू की अंजलि शर्मा ने (Mountaineer Anjali Sharma) पीर-पंजाल की सबसे मुश्किल चोटियों में से एक दियो टिब्बा पर अल्पाइन स्टाइल में फतेह कर तिरंगा लहराया है. इसमें उसने बिना पोर्टर और घोड़े के खुद ही अपना सभी सामान कैरी करते हुए अपने सात सदस्यीय टीम के साथ चढ़ाई की. बता दें कि अब तक अजंलि एक दर्जन से अधिक मुश्किल चोटियों को फतह कर चुकी है, बावजूद कोई भी मान-सम्मान सरकार और गद्दी समुदाय से नहीं मिल पाया है.

Anjali Sharma hoisted the tricolour on the Deo Tibba
धर्मशाला की अंजलि शर्मा ने दियो टिब्बा पर लहराया तिरंगा
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Published : Jun 30, 2022, 7:58 PM IST

कांगड़ा: हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला के गमरू की बेटी अंजलि शर्मा एक (Mountaineer Anjali Sharma) बार फिर से शिखर पर पहुंची है. गद्दी समुदाय से संबंध रखने वाली धर्मशाला की अजंलि ने इस बार पीर-पंजाल की सबसे मुश्किल चोटियों में से एक दियो टिब्बा, छह हजार एक सौ दस मीटर की चोटी को अल्पाइन स्टाइल में फतेह कर तिरंगा लहराया है. इस सीजन की छोटी आयु में ही टैक्रिकल चोटी दियो टिब्बा में चढ़ाई करने वाली और गद्दी समुदाय की पहली महिला बन गई है. पिता का साया बचपन में ही खो चुकी बेटी अपने पहाड़ जैसे ऊंचे हौसलों के बलबूते लगातार चोटियों की चढ़ाई कर रही है.

अंजलि को स्पोंसर की दरकार, सरकार और गद्दी समुदाय से नहीं मिली सहायता: अब अंजलि ने जम्मू-कश्मीर से पीर-पंजाल पर्वत श्रृंखला में ही स्थित नुन या कुन सात हजार मीटर चोटी को फतेह करने का लक्ष्य रखा है. हालांकि इसके लिए अब अजंलि शर्मा को स्पॉन्सर की दरकार है. अब तक अजंलि एक दर्जन से अधिक मुश्किल चोटियों को फतह कर चुकी है, बावजूद कोई भी मान-सम्मान सरकार और गद्दी समुदाय से नहीं मिल पाया है. इतना ही नहीं आर्थिक रूप से भी किसी भी प्रकार की सहायता नहीं मिल पाई है. हालांकि इससे पहले मई में ही अजंलि शर्मा ने गद्दी समुदाय का पारंपरिक पहनावा नुआचड़ी पहनकर लेह-लद्दाख की अति मुश्किल चोटी यूनम पीक को फतेह कर गद्दियों को ही इस चढ़ाई को समर्पित किया था, बावजूद इसके अब तक कोई मान-सम्मान न मिलने से मायूसी ही हाथ लग रही है.

अजंलि को हर पहाड़ी या चोटी चढ़ने से पहले खुद ही बजट इकट्ठा करना पड़ता है, इतना ही नहीं कई बार बहुत कम बजट होने के कारण पहाड़ चढ़ते हुए जल चुकी स्कीन को ठीक करवाने के लिए मेडिकल जांच व दवाईयों के लिए बजट तक उपलब्ध नहीं हो पाता है. ऐसे में पहाड़ जैसे हौंसले रखने वाली बेटी की हिम्मत टूटने भी लगती है. धर्मशाला के गमरू की रहने वाली अंजलि शर्मा के जीवन में चाहे छोटी सी उम्र में ही पिता का हाथ छूट गया हो, लेकिन उसने पहाड़ जैसे हौसलों के दम पर बड़े-बड़े पहाड़ों की चोटियां फतेह करने का मुकाम अपने नाम करने का सिलसिला शुरू कर लिया है.

फ्रेंडशिप पीक को 5 बार कर चुकी है फतह: गमरू की अंजलि ने गर्ल्स स्कूल धर्मशाला में अपनी शुरुआती पढ़ाई की है. इसके बाद इग्नू से ग्रेजुएशन और अब पीजी की पढ़ाई भी जारी रखी है. अंजलि ने अटल बिहारी पर्वतारोहण संस्थान मनाली से वर्ष 2010-11 में ही बेसिक और एंडवास कोर्स पूरा कर लिया था. इसके बाद लगातार विभिन्न प्रकार के कोर्स करते हुए सरकारी संस्थानों में छात्रों को गाइड कोर्स करने में प्रशिक्षण भी दिया. अंजलि शर्मा ने वर्ष 2017 में धौलाधार की सबसे ऊंची चोटी हनुमान टिब्बा की चढ़ाई चढ़ी. 2018 में बतौर लीडर पीर-पंजाल की ऊंची चोटी फ्रेंडशिप पीक की चढ़ाई की, इसे वह लगातार पांच बार फतेह कर चुकी हैं.

अंजलि का अगला लक्ष्य है ये: 14 मई को भी अंजलि ने छह हजार 110 मीटर ऊंचाई वाली यूनम पीक को अल्पाइन स्टाइल में फतेह किया है. इसमें उसने बिना पोर्टर और घोड़े के खुद ही अपना सभी सामान कैरी करते हुए अपने सात सदस्यीय टीम के साथ चढ़ाई की. उधर, अंजलि शर्मा का कहना है कि गद्दी समुदाय हिमाचल ही नहीं, विश्व की सबसे प्राचीन जनजाति में से एक है. गद्दी समुदाय पहाड़ी क्षेत्रों में ही भ्रमण करते हुए अपना जीवन-यापन करते रहे हैं. अंजलि ने विशेष बातचीत में बताया कि अब उनका लक्ष्य जेएंडके में नुन या कुन सात हजार मीटर और माउंट एवरेस्ट चोटी फतेह करने का है. उनका कहना है कि सरकार व गद्दी समुदाय से भी उन्हें काफी उम्मीदें है, लेकिन अब तक न कोई मान-सम्मान न ही आर्थिक मदद मिल पाई है.

कांगड़ा: हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला के गमरू की बेटी अंजलि शर्मा एक (Mountaineer Anjali Sharma) बार फिर से शिखर पर पहुंची है. गद्दी समुदाय से संबंध रखने वाली धर्मशाला की अजंलि ने इस बार पीर-पंजाल की सबसे मुश्किल चोटियों में से एक दियो टिब्बा, छह हजार एक सौ दस मीटर की चोटी को अल्पाइन स्टाइल में फतेह कर तिरंगा लहराया है. इस सीजन की छोटी आयु में ही टैक्रिकल चोटी दियो टिब्बा में चढ़ाई करने वाली और गद्दी समुदाय की पहली महिला बन गई है. पिता का साया बचपन में ही खो चुकी बेटी अपने पहाड़ जैसे ऊंचे हौसलों के बलबूते लगातार चोटियों की चढ़ाई कर रही है.

अंजलि को स्पोंसर की दरकार, सरकार और गद्दी समुदाय से नहीं मिली सहायता: अब अंजलि ने जम्मू-कश्मीर से पीर-पंजाल पर्वत श्रृंखला में ही स्थित नुन या कुन सात हजार मीटर चोटी को फतेह करने का लक्ष्य रखा है. हालांकि इसके लिए अब अजंलि शर्मा को स्पॉन्सर की दरकार है. अब तक अजंलि एक दर्जन से अधिक मुश्किल चोटियों को फतह कर चुकी है, बावजूद कोई भी मान-सम्मान सरकार और गद्दी समुदाय से नहीं मिल पाया है. इतना ही नहीं आर्थिक रूप से भी किसी भी प्रकार की सहायता नहीं मिल पाई है. हालांकि इससे पहले मई में ही अजंलि शर्मा ने गद्दी समुदाय का पारंपरिक पहनावा नुआचड़ी पहनकर लेह-लद्दाख की अति मुश्किल चोटी यूनम पीक को फतेह कर गद्दियों को ही इस चढ़ाई को समर्पित किया था, बावजूद इसके अब तक कोई मान-सम्मान न मिलने से मायूसी ही हाथ लग रही है.

अजंलि को हर पहाड़ी या चोटी चढ़ने से पहले खुद ही बजट इकट्ठा करना पड़ता है, इतना ही नहीं कई बार बहुत कम बजट होने के कारण पहाड़ चढ़ते हुए जल चुकी स्कीन को ठीक करवाने के लिए मेडिकल जांच व दवाईयों के लिए बजट तक उपलब्ध नहीं हो पाता है. ऐसे में पहाड़ जैसे हौंसले रखने वाली बेटी की हिम्मत टूटने भी लगती है. धर्मशाला के गमरू की रहने वाली अंजलि शर्मा के जीवन में चाहे छोटी सी उम्र में ही पिता का हाथ छूट गया हो, लेकिन उसने पहाड़ जैसे हौसलों के दम पर बड़े-बड़े पहाड़ों की चोटियां फतेह करने का मुकाम अपने नाम करने का सिलसिला शुरू कर लिया है.

फ्रेंडशिप पीक को 5 बार कर चुकी है फतह: गमरू की अंजलि ने गर्ल्स स्कूल धर्मशाला में अपनी शुरुआती पढ़ाई की है. इसके बाद इग्नू से ग्रेजुएशन और अब पीजी की पढ़ाई भी जारी रखी है. अंजलि ने अटल बिहारी पर्वतारोहण संस्थान मनाली से वर्ष 2010-11 में ही बेसिक और एंडवास कोर्स पूरा कर लिया था. इसके बाद लगातार विभिन्न प्रकार के कोर्स करते हुए सरकारी संस्थानों में छात्रों को गाइड कोर्स करने में प्रशिक्षण भी दिया. अंजलि शर्मा ने वर्ष 2017 में धौलाधार की सबसे ऊंची चोटी हनुमान टिब्बा की चढ़ाई चढ़ी. 2018 में बतौर लीडर पीर-पंजाल की ऊंची चोटी फ्रेंडशिप पीक की चढ़ाई की, इसे वह लगातार पांच बार फतेह कर चुकी हैं.

अंजलि का अगला लक्ष्य है ये: 14 मई को भी अंजलि ने छह हजार 110 मीटर ऊंचाई वाली यूनम पीक को अल्पाइन स्टाइल में फतेह किया है. इसमें उसने बिना पोर्टर और घोड़े के खुद ही अपना सभी सामान कैरी करते हुए अपने सात सदस्यीय टीम के साथ चढ़ाई की. उधर, अंजलि शर्मा का कहना है कि गद्दी समुदाय हिमाचल ही नहीं, विश्व की सबसे प्राचीन जनजाति में से एक है. गद्दी समुदाय पहाड़ी क्षेत्रों में ही भ्रमण करते हुए अपना जीवन-यापन करते रहे हैं. अंजलि ने विशेष बातचीत में बताया कि अब उनका लक्ष्य जेएंडके में नुन या कुन सात हजार मीटर और माउंट एवरेस्ट चोटी फतेह करने का है. उनका कहना है कि सरकार व गद्दी समुदाय से भी उन्हें काफी उम्मीदें है, लेकिन अब तक न कोई मान-सम्मान न ही आर्थिक मदद मिल पाई है.

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