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कभी हॉकी स्टिक खरीदने के नहीं थे पैसे! आज डलहौजी के वरुण कुमार Hockey Team में बने जीत के भागीदार

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Published : Aug 5, 2021, 7:22 PM IST

गुरुवार को भारतीय पुरुष हॉकी टीम ( Indian men's hocky team) ने टोक्यो के ओआई स्टेडियम में जर्मनी को 5-4 से हराकर 41 साल बाद हॉकी का ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम कर लिया है. डलहौजी का बेटा वरुण कुमार भी भारत की इस जीत में भागीदार बना है. वरुण कुमार डलहौजी उपमंडल की ओसल पंचायत के रहने वाले हैं. वो इस समय पंजाब के जालंधर में रह रहे हैं. हॉकी टीम की जीत पर उनके पिता ने कहा कि पूरे भारत के लिए आज खास दिन है. इस दौरान वरुण के पिता ने उनके बचपन के दिनों को याद किया.

hockey player varun kumar
टोक्यो ओलंपिक में हॉकी में भारत को ब्रॉन्ज मेडल

डलहौजी/चंबा: टोक्यो ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल (Bronze medal in Tokyo Olympics) कब्जाने वाली टीम के साथ भारत जश्न मना रहा है. गुरुवार को भारतीय पुरुष हॉकी टीम ( Indian men's hocky team) ने टोक्यो के ओआई स्टेडियम में जर्मनी को 5-4 से हराकर 41 साल बाद हॉकी का ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम कर लिया है. भारत के लिए यह शानदार जीत है और इस जीत के साथ ही भारत ने इतिहास रच दिया है. इस जीत पर जहां पूरे देश में खुशी की लहर है, वहीं डलहौजी में भी जश्न का माहौल है. डलहौजी का बेटा वरुण कुमार भी भारत की इस जीत में भागीदार बना है. पुरुष हॉकी टीम के खिलाड़ी वरुण कुमार ने जब अपने घर पर वीडियो कॉल किया तो उनके परिवार वाले खुशी से झूम उठे. सभी ने वरुण को दिल से बधाई दी और आशीर्वाद दिया.

बता दें कि 25 जुलाई 1995 को जन्मे वरुण कुमार डलहौजी उपमंडल की ओसल पंचायत के रहने वाले हैं, और इस समय पंजाब के जालंधर में रह रहे हैं. वरुण कुमार के पिता ब्रह्मानंद भी नौकरी के सिलसिले में जालंधर में ही रह रहे हैं. डलहौजी के बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले वरुण के पिता पेशे से ट्रक ड्राइवर हैं, जो पंजाब के मिट्ठापुर गांव में ट्रक चलाकर परिवार का जीवन यापन करते हैं वरुण ने डीएवी स्कूल में पढ़ाई की है.

hockey player varun kumar
हॉकी खिलाड़ी वरुण कुमार.

उनके पिता ने कहा कि पूरे भारत के लिए आज खास दिन है. इस दौरान वरुण के पिता ने उनके बचपन के दिनों को याद किया. बचपन के दिनों में वरुण कुमार मजदूरी का काम करते थे. वरुण के पिता, ब्रह्म नंद एक ट्रक ड्राइवर होने के चलते मुश्किल से अपना गुजारा कर पाते हैं. वरुण कुमार को हॉकी खेलने का जुनून था, लेकिन हॉकी स्टिक खरीदने के भी उनके पास पैसे नहीं थे. यही कारण था कि वरुण स्कूल के बाद अपने सपनों को साकार करने के लिए लकड़ी के फट्ठे उठा कर पैसे कमाते थे, ताकि वे हॉकी स्टिक और अन्य सामान खरीद सकें.

वरुण ने जिंदगी में काफी संघर्ष किया. वह और भारतीय कप्तान मनप्रीत सिंह (Indian captain Manpreet Singh) बचपन के दोस्त थे. स्कूल में दोनों एक साथ हॉकी खेला करते थे. शुरुआत में वरुण हॉकी को लेकर गंभीर नहीं थे. हालांकि मनप्रीत ने उन्हें प्रेरित किया. दोनों साथ में सुरजीत हॉकी एकेडमी पहुंचे. वरुण को जो भी पैसे घर से और मैचों से मिलते वह उसे हॉकी की चीजें खरीदने के लिए बचाते थे. हालांकि फिर भी उनकी जरूरतें पूरी नहीं होती थी, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. हॉकी का असर उनकी पढ़ाई पर भी पढ़ा. वह लगातार स्कूल नहीं जा पाते थे. हॉकी खेलने से पहले वह पढ़ाई में काफी अच्छे थे लेकिन धीरे-धीरे सब उनसे छूट गया.

वीडियो.

साल 2012 में उन्हें पंजाब की टीम में डेब्यू किया जबकि तब वह केवल 17 ही साल के थे. अपने शानदार डिफेंस के कारण स्टेट चैंपियनशिप में वह लोगों की नजरों में आ गए थे. उसी साल वह जूनियर वर्ल्ड कप की टीम (junior world cup team) के लिए भी चुने गए थे, लेकिन इंजरी के कारण वह खेल नहीं पाए. इसके बाद उन्हें साल 2016 में वर्ल्ड कप के लिए चुना गया. उन्होंने यहां अपने प्रदर्शन से टीम को दूसरी बार यह खिताब जीताने में मदद की. इसके अगले ही साल उन्होंने सीनियर टीम में डेब्यू किया और बेल्जियम के खिलाफ गोल करके टीम को जीत दिलाई थी. साल 2016 में ही हॉकी इंडिया लीग (Hockey India League) में उन्हें महज 18 साल की उम्र में पंजाब वॉरियर्स ने खरीद लिया था.

वहीं, वीरवार को विधानसभा में विपक्ष के विधायक सुखविंदर सिंह सुक्खू (MLA Sukhwinder Singh Sukhu) और आशा कुमारी ने कहा कि हॉकी में हिंदुस्तान ने 41 साल बाद कांस्य पदक जीता है जोकि गर्व की बात है. इस टीम में डलहौजी उपमंडल की ओसल पंचायत के रहने वाले वरुण कुमार भी शामिल हैं जोकि हिमाचल के लिए गर्व की बात है. वरुण शुरू से ही उत्कृष्ट खिलाड़ी रहा है जूनियर वर्ड कप में भी वरुण ने अच्छा प्रदर्शन किया ओर वरुण को उचित इनाम मिलना चाहिए. इसके बारे में आज विधानसभा में मुख्यमंत्री के समक्ष उठाया गया है और वरुण को नौकरी देने की भी मांग की गई ताकि वे लंबे समय तक अपना खेल किसी रुकावट के खेल सकें.

सुखविंदर सिंह सुक्खू भी ने कहा कि हॉकी में देश के लिए टीम ने कांस्य पदक जीता है और इस टीम में चंबा जिला से संबंध रखने वाला वरुण भी शामिल हैं जोकि हिमाचल के लिए गर्व की बात है. सुक्खू ने सरकार से वरुण को एक करोड़ देने की मांग की ओर कहा कि यदि सरकार इन खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करती है तो अन्य युवा भी खेलो की ओर प्रोत्साहित होंगे. साथ ही उन्होंने सरकार से खेलों को बढ़ावा देने का आग्रह भी किया.

ये भी पढ़ें: शाबाश भारतीय हॉकी टीम, ऐतिहासिक जीत पर पूर्व कप्तान पद्मश्री चरणजीत सिंह ने दी बधाई

ये भी पढ़ें: टोक्यो ओलंपिक: भारतीय हॉकी टीम ने 41 साल बाद जीता मेडल, CM जयराम बोले- टीम ने देशवासियों को किया गौरवान्वित

डलहौजी/चंबा: टोक्यो ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल (Bronze medal in Tokyo Olympics) कब्जाने वाली टीम के साथ भारत जश्न मना रहा है. गुरुवार को भारतीय पुरुष हॉकी टीम ( Indian men's hocky team) ने टोक्यो के ओआई स्टेडियम में जर्मनी को 5-4 से हराकर 41 साल बाद हॉकी का ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम कर लिया है. भारत के लिए यह शानदार जीत है और इस जीत के साथ ही भारत ने इतिहास रच दिया है. इस जीत पर जहां पूरे देश में खुशी की लहर है, वहीं डलहौजी में भी जश्न का माहौल है. डलहौजी का बेटा वरुण कुमार भी भारत की इस जीत में भागीदार बना है. पुरुष हॉकी टीम के खिलाड़ी वरुण कुमार ने जब अपने घर पर वीडियो कॉल किया तो उनके परिवार वाले खुशी से झूम उठे. सभी ने वरुण को दिल से बधाई दी और आशीर्वाद दिया.

बता दें कि 25 जुलाई 1995 को जन्मे वरुण कुमार डलहौजी उपमंडल की ओसल पंचायत के रहने वाले हैं, और इस समय पंजाब के जालंधर में रह रहे हैं. वरुण कुमार के पिता ब्रह्मानंद भी नौकरी के सिलसिले में जालंधर में ही रह रहे हैं. डलहौजी के बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले वरुण के पिता पेशे से ट्रक ड्राइवर हैं, जो पंजाब के मिट्ठापुर गांव में ट्रक चलाकर परिवार का जीवन यापन करते हैं वरुण ने डीएवी स्कूल में पढ़ाई की है.

hockey player varun kumar
हॉकी खिलाड़ी वरुण कुमार.

उनके पिता ने कहा कि पूरे भारत के लिए आज खास दिन है. इस दौरान वरुण के पिता ने उनके बचपन के दिनों को याद किया. बचपन के दिनों में वरुण कुमार मजदूरी का काम करते थे. वरुण के पिता, ब्रह्म नंद एक ट्रक ड्राइवर होने के चलते मुश्किल से अपना गुजारा कर पाते हैं. वरुण कुमार को हॉकी खेलने का जुनून था, लेकिन हॉकी स्टिक खरीदने के भी उनके पास पैसे नहीं थे. यही कारण था कि वरुण स्कूल के बाद अपने सपनों को साकार करने के लिए लकड़ी के फट्ठे उठा कर पैसे कमाते थे, ताकि वे हॉकी स्टिक और अन्य सामान खरीद सकें.

वरुण ने जिंदगी में काफी संघर्ष किया. वह और भारतीय कप्तान मनप्रीत सिंह (Indian captain Manpreet Singh) बचपन के दोस्त थे. स्कूल में दोनों एक साथ हॉकी खेला करते थे. शुरुआत में वरुण हॉकी को लेकर गंभीर नहीं थे. हालांकि मनप्रीत ने उन्हें प्रेरित किया. दोनों साथ में सुरजीत हॉकी एकेडमी पहुंचे. वरुण को जो भी पैसे घर से और मैचों से मिलते वह उसे हॉकी की चीजें खरीदने के लिए बचाते थे. हालांकि फिर भी उनकी जरूरतें पूरी नहीं होती थी, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. हॉकी का असर उनकी पढ़ाई पर भी पढ़ा. वह लगातार स्कूल नहीं जा पाते थे. हॉकी खेलने से पहले वह पढ़ाई में काफी अच्छे थे लेकिन धीरे-धीरे सब उनसे छूट गया.

वीडियो.

साल 2012 में उन्हें पंजाब की टीम में डेब्यू किया जबकि तब वह केवल 17 ही साल के थे. अपने शानदार डिफेंस के कारण स्टेट चैंपियनशिप में वह लोगों की नजरों में आ गए थे. उसी साल वह जूनियर वर्ल्ड कप की टीम (junior world cup team) के लिए भी चुने गए थे, लेकिन इंजरी के कारण वह खेल नहीं पाए. इसके बाद उन्हें साल 2016 में वर्ल्ड कप के लिए चुना गया. उन्होंने यहां अपने प्रदर्शन से टीम को दूसरी बार यह खिताब जीताने में मदद की. इसके अगले ही साल उन्होंने सीनियर टीम में डेब्यू किया और बेल्जियम के खिलाफ गोल करके टीम को जीत दिलाई थी. साल 2016 में ही हॉकी इंडिया लीग (Hockey India League) में उन्हें महज 18 साल की उम्र में पंजाब वॉरियर्स ने खरीद लिया था.

वहीं, वीरवार को विधानसभा में विपक्ष के विधायक सुखविंदर सिंह सुक्खू (MLA Sukhwinder Singh Sukhu) और आशा कुमारी ने कहा कि हॉकी में हिंदुस्तान ने 41 साल बाद कांस्य पदक जीता है जोकि गर्व की बात है. इस टीम में डलहौजी उपमंडल की ओसल पंचायत के रहने वाले वरुण कुमार भी शामिल हैं जोकि हिमाचल के लिए गर्व की बात है. वरुण शुरू से ही उत्कृष्ट खिलाड़ी रहा है जूनियर वर्ड कप में भी वरुण ने अच्छा प्रदर्शन किया ओर वरुण को उचित इनाम मिलना चाहिए. इसके बारे में आज विधानसभा में मुख्यमंत्री के समक्ष उठाया गया है और वरुण को नौकरी देने की भी मांग की गई ताकि वे लंबे समय तक अपना खेल किसी रुकावट के खेल सकें.

सुखविंदर सिंह सुक्खू भी ने कहा कि हॉकी में देश के लिए टीम ने कांस्य पदक जीता है और इस टीम में चंबा जिला से संबंध रखने वाला वरुण भी शामिल हैं जोकि हिमाचल के लिए गर्व की बात है. सुक्खू ने सरकार से वरुण को एक करोड़ देने की मांग की ओर कहा कि यदि सरकार इन खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करती है तो अन्य युवा भी खेलो की ओर प्रोत्साहित होंगे. साथ ही उन्होंने सरकार से खेलों को बढ़ावा देने का आग्रह भी किया.

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