चंबा: आज हम आपको एशिया के पहले कुष्ठ रोग अस्पताल के बारें में बताएंगे. इस अस्पताल को चंबा जिला के सारोल में 1875 में डॉ. हचिसन ने बनवाया था. डॉ. हचिसन ब्रिटेन के रहने वाले थे और वैले मिशन के सदस्य थे. उस समय रियासत काल का दौर था. चंबा के राजाओं ने इस कुष्ठ रोग अस्पताल की देखभाल का जिमा लिया था.
1952 में ये कुष्ठ रोग चिकित्सालय सरकार के अधीन हो गया, उसके बाद इस चिकित्सालय का जिम्मा प्रदेश सरकार के हाथों में आ गया था. जब कुष्ठ रोग अस्पताल का निर्माण करवाया गया था, तो इस अस्पताल में बिस्तरों की संख्या 37 हुआ करती थी, लेकिन धीरे-धीरे समय बीतता गया और ये संख्या कम होती गई.
आलम ये है कि इस अस्पताल में मरीजों की संख्या करीब आठ रह गई है, जबकि कुष्ठ रोग अस्पताल में कुछ ऐसे मरीज भी हैं, जो पिछले 50 सालों से अपना इलाज करवा रहे हैं.
इस कुष्ठ रोग चिकित्सालय में मरीज परिवार की तरह रहते है. मरीजों में चार महिलाएं और चार पुरुष शामिल हैं. मरीजों के रहने खाने और पीने का खर्चा सरकार द्वारा उठाया जा रहा है.
एशिया का पहला कुष्ठ रोग अस्पताल का तमगा पहने वाला ये हॉस्पिटल अब सरकार की बेरुखी का शिकार हो गया है. आलम ये है कि अस्पताल की दूसरी मंजिल में दरारे पड़ गई हैं और पहली मंजिल में ही 8 मरीजों का इलाज किया जा रहा है.
कुष्ठ रोग अस्पताल में इलाज करवा रहे मरीजों ने बताया कि वो इस अस्पताल में कई सालों से अपना इलाज करवा रहे हैं. अस्पताल में स्टाफ भी अच्छा है, लेकिन सरकार को अस्पताल के भवन और इसकी हालत में सुधार करना चाहिए.
क्या है कुष्ठ रोग और कैसे फैलता है ये रोग
कुष्ठ रोग को भारत में कोढ़ भी कहा जाता है. कुष्ठ रोग सदियों पुराना रोग है, जिसे छूआछूत की बीमारी भी कहा जाता है. ये रोग माइकोबैक्टीरियम लेप्री नामक बैक्टीरिया द्वारा फैलाया जाने वाला बैक्टीरियल इंनफेक्शन है. ये लंबे समय तक रहने वाला और जल्द फैलने वाला रोग है. मुख्य रुप से ये इंनफेक्शन शरीर की नसों, हाथ-पैर, नाक की परत और ऊपरी श्वासन तंत्र को प्रभावित करता है.
कुष्ठ रोग से सबसे ज्यादा प्रभावित लोग भारत, अफ्रीका और दक्षिणी अमरीका में है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 1,80000 लोग कुष्ठ रोग से प्रभावित है जो ज्यादातर अफ्रीका और भारत में है.
कुष्ठ रोग के प्रकार
तंत्रिका कुष्ठ रोग
तंत्रिका कुष्ठ रोग से मनुष्य के शरीर के प्रभावित अंगों की सवेदंशीलता समाप्त हो जाती है| चाहे प्रभावित हिस्से को काट भी देगे तो रोगी को कुछ भी पता नहीं चलता है. यानि की उसको दर्द महसूस नही होता.
ग्रन्थि कुष्ठ रोग
ग्रन्थि कुष्ठ रोग से शरीर में विभिन्न रंग के चकते व धब्बे पड़ जाते हैं. शरीर में गाठें उभर आती हैं.
मिश्रित कुष्ठ रोग
मिश्रित कुष्ठ रोग में रोगी के प्रभावित अंगों की समाप्त सवेदंशीलता के साथ साथ दाग धब्बे पड़ जाते है और शरीर के प्रभावित क्षेत्र में गाठें निकल आती हैं.
कुष्ठ रोग के लक्षण
- शरीर में चकते, धब्बे और चकते और धबो के क्षेत्र में असवेदंशीलता होना.
- प्रभावित क्षेत्र में गाठों का उभरना.
- प्रभावित क्षेत्र से मवाद व द्रव का बहना.
- घाव का ठीक ना होना और लगातार खून का निकलना.
- धीरे धीरे अंगों और त्वचा का गलना और नष्ट हो.