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किसान संघर्ष समिति ने रोका कुठेहड़ जल विद्युत प्रोजेक्ट का काम, ये है कारण

भरमौर उपमंडल में किसान संघर्ष समिति ने मांगों को लेकर रावी नदी पर निर्माणाधीन 240 मैगावाट की कुठेहड़ जल विद्युत परियोजना का लामू में एडिट टू का काम रोक दिया है. समिति का कहना है कि जब तक उनकी मांगों को पूरा नहीं किया जाता, वे काम नहीं होने देंगे.

Kisan Sangharsh Samiti demands
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Published : Jun 29, 2020, 9:05 PM IST

चंबाः जिला चंबा के भरमौर उपमंडल में रावी नदी पर निर्माणाधीन 240 मैगावाट की कुठेहड़ जल विद्युत परियोजना का लामू में जारी एडिट टू का काम रोक दिया है. किसान संघर्ष समिति ने परियोजना प्रबंधन पर अनदेखी का आरोप लगाते हुए यह कदम उठाया है. समिति का कहना है कि पिछले काफी समय से लोगों को कंपनी द्वारा गुमराह किया जा रहा है.

किसान संघर्ष समिति ने कहा कि लोग लंबे समय से भूमि अधिग्रहण कानून के तहत जमीन का चार गुना मुआवजा दिया जाने की मांग कर रहे हैं. साथ में जो भी फलदार पौधे, सेब, अखरोट और फसलें का भी मुआवजा दिया जाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन कंपनी उनकी मांगों पर चुपी साधे हुए है.

वीडियो.

किसान संघर्ष समिति ने कहा कि 20 लोगों की जमीन भूमि अधिग्रहण के तहत ली गई और 80 परिवारों की विक्रय के तहत ली गई है. जमीन लेने से पहले लोगों को अधिग्रहण के बारे में बताया भी नहीं गया. किसान संघर्ष समिति ने कहा कि जब तक मांगों को पूरा नहीं किया जाएगा और तब तक यहां पर कार्य को चलने नहीं दिया जाएगा.

समिति के संयोजक विक्की का कहना है कि उनकी मांगों में सभी किसानों को जमीन भूमि अधिग्रहण कानून के तहत चार गुणा मुआवजे का भुगतान, उस जमीन में आने वाले पेड़ों जिसमें सेब, अखरोट व अन्य फलदार व गैर फलदार पौधों का मुआवजा दिया जाए. साथ ही आरएंडआर प्लान के तहत परियोजना निर्माण में स्थानीय प्रभावित किसानों को निर्माण कार्य दिया जाए. इसके अलावा सभी स्थानीय लोगों को प्राथमिकता के आधार पर स्थाई रोजगार दिया जाए.

ये भी पढ़ें- हेयर ड्रेसर व ब्यूटी पार्लर कारोबार से जुड़े लोगों से राज्यपाल की अपील, सरकारी दिशा निर्देशों का करें पालन

ये भी पढ़ें- घुमारवीं में पानी के टैंक में मिला महिला का शव, मामला दर्ज

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किसान संघर्ष समिति ने कहा कि लोग लंबे समय से भूमि अधिग्रहण कानून के तहत जमीन का चार गुना मुआवजा दिया जाने की मांग कर रहे हैं. साथ में जो भी फलदार पौधे, सेब, अखरोट और फसलें का भी मुआवजा दिया जाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन कंपनी उनकी मांगों पर चुपी साधे हुए है.

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किसान संघर्ष समिति ने कहा कि 20 लोगों की जमीन भूमि अधिग्रहण के तहत ली गई और 80 परिवारों की विक्रय के तहत ली गई है. जमीन लेने से पहले लोगों को अधिग्रहण के बारे में बताया भी नहीं गया. किसान संघर्ष समिति ने कहा कि जब तक मांगों को पूरा नहीं किया जाएगा और तब तक यहां पर कार्य को चलने नहीं दिया जाएगा.

समिति के संयोजक विक्की का कहना है कि उनकी मांगों में सभी किसानों को जमीन भूमि अधिग्रहण कानून के तहत चार गुणा मुआवजे का भुगतान, उस जमीन में आने वाले पेड़ों जिसमें सेब, अखरोट व अन्य फलदार व गैर फलदार पौधों का मुआवजा दिया जाए. साथ ही आरएंडआर प्लान के तहत परियोजना निर्माण में स्थानीय प्रभावित किसानों को निर्माण कार्य दिया जाए. इसके अलावा सभी स्थानीय लोगों को प्राथमिकता के आधार पर स्थाई रोजगार दिया जाए.

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