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डल झील की तर्ज पर अब गोविंद सागर झील में नजर आएंगे शिकारे, पर्यटन विभाग ने कसी कमर

हिमाचल प्रदेश पर्यटन विभाग गोविंद सागर झील को श्रीनगर की डल झील की तर्ज पर पर्यटकों को सुविधा देने की तैयारी में है. भाखड़ा बांध से करीब 90 किलोमीटर के दायरे में शिकारे स्थापित किए जाएंगे. हिमाचल सरकार ने पर्यटकों को लुभाने के लिए यह योजना बनाई है.

shikara will run in govind sagar lake
गोविंद सागर झील
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Published : Dec 9, 2019, 3:38 PM IST

बिलासपुर: डल झील की तर्ज पर अब बिलासपुर की गोविंद सागर झील में भी शिकारे नजर आएंगे. भाखड़ा बांध से करीब 90 किलोमीटर के दायरे में शिकारे स्थापित किए जाएंगे. हिमाचल सरकार ने पर्यटकों को लुभाने के लिए यह योजना बनाई है. यही नहीं, झील में तैरते हुए रेस्तरां, क्रूज की संभावनाएं भी तलाशी जा रही है. साथ ही हरिद्वार और वाराणसी की तर्ज पर यहां घाटों को संवारा जाएगा.

प्रदेश पर्यटन विभाग गोविंद सागर झील को श्रीनगर की डल झील की तर्ज पर पर्यटकों को सुविधा देने की तैयारी में है. पर्यटन विभाग ने सैलानियों को जल्द ही शिकारे की सैर करवाने के लिए कमर कस ली है, ताकि मनाली, शिमला या बाहर राज्य जाने वाले सैलानियों को यहां आकर्षित किया जाए. सरकार और पर्टन विभाग की बिलासपुर को नई पर्यटन व एडवेंचर स्पोर्ट्स नगरी के रूप में विकसित करने की योजना है.

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बिलासपुर जिला का अतिरिक्त कार्यभार देख रहे हैं मंडी जिला पर्यटन अधिकारी पंकज शर्मा ने बताया कि संयुक्त टीम गोविंद सागर झील में रेस वायर का निरीक्षण करेगी. पर्यटन विभाग यहां पर शिकारा चलाने की योजना पर विचार कर रहा है.

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बिलासपुर: डल झील की तर्ज पर अब बिलासपुर की गोविंद सागर झील में भी शिकारे नजर आएंगे. भाखड़ा बांध से करीब 90 किलोमीटर के दायरे में शिकारे स्थापित किए जाएंगे. हिमाचल सरकार ने पर्यटकों को लुभाने के लिए यह योजना बनाई है. यही नहीं, झील में तैरते हुए रेस्तरां, क्रूज की संभावनाएं भी तलाशी जा रही है. साथ ही हरिद्वार और वाराणसी की तर्ज पर यहां घाटों को संवारा जाएगा.

प्रदेश पर्यटन विभाग गोविंद सागर झील को श्रीनगर की डल झील की तर्ज पर पर्यटकों को सुविधा देने की तैयारी में है. पर्यटन विभाग ने सैलानियों को जल्द ही शिकारे की सैर करवाने के लिए कमर कस ली है, ताकि मनाली, शिमला या बाहर राज्य जाने वाले सैलानियों को यहां आकर्षित किया जाए. सरकार और पर्टन विभाग की बिलासपुर को नई पर्यटन व एडवेंचर स्पोर्ट्स नगरी के रूप में विकसित करने की योजना है.

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बिलासपुर जिला का अतिरिक्त कार्यभार देख रहे हैं मंडी जिला पर्यटन अधिकारी पंकज शर्मा ने बताया कि संयुक्त टीम गोविंद सागर झील में रेस वायर का निरीक्षण करेगी. पर्यटन विभाग यहां पर शिकारा चलाने की योजना पर विचार कर रहा है.

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Intro:- कश्मीर की तर्ज पर बिलासपुर में भी चलेंगे शिकारे
- पर्यटन विभाग गोविंद सागर झील में शिकारे चलाने की बना रहा कार्ययोजना
- जम्मू कश्मीर जाने वाले पर्यटकों को बिलासपुर में ही मिलेगी यह सुविधा

स्पेशल स्टोरी...

बिलासपुर ।
कश्मीर की डल झील की तर्ज पर बिलासपुर की गोविंद सागर झील में भी शिकारे नजर आएंगे। भाखड़ा बांध से करीब 90 किलोमीटर के दायरे में यह एरिया में शिकारी स्थापित होंगे। हिमाचल सरकार ने पर्यटकों को लुभाने के लिए यहां शिकारी चलाने की योजना बनाई है। यही नहीं, झील में तैरते हुए रेस्तरां, क्रूज की संभावनाएं भी तलाशी जा रही है। साथ ही हरिद्वार और बनारस की तर्ज पर यहां के घाटों को संवारा जाएगा। पर्यटन विभाग, बीबीएमबी और वाटर स्पोर्ट्स की संयुक्त टीम गोविंद सागर झील के रेजरवायर का निरीक्षण करेगी। इसमें यह देखा जाएगा कि शिकारी और नाव कहां-कहां चलाई जा सकती है।



Body:प्रदेश पर्यटन विभाग गोविंद सागर झील को श्रीनगर की डल झील की तर्ज पर पर्यटकों को सुविधा देने की तैयारी में है। पर्यटन विभाग पहली बार यहां से शिकारों में सैलानियों को सैर करवाएगा। ताकि कुल्लू, मनाली, शिमला या बाहरी राज्यों जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड जाने वाले यात्रियों को यहां रोका जाए। बिलासपुर को नई पर्यटन व एडवेंचर स्पोर्ट्स नगरी के रूप में विकसित करने की योजना है। न्यूयॉर्क, दुबई, हांगकांग, वियतनाम के अलावा देश में अभी गोवा, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी में ही तैरते हुए रेस्तरां है।

बिलासपुर जिला का अतिरिक्त कार्यभार देख रहे हैं मंडी जिला पर्यटन अधिकारी पंकज शर्मा ने बताया कि संयुक्त टीम गोविंद सागर झील में रेस वायर का निरीक्षण करेगी। पर्यटन विभाग यहां पर शिकारा चलाने की योजना पर विचार कर रहा है।




Conclusion:ऐसा होगा कश्मीरी शिकारा
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श्रीनगर स्थित डल झील में पर्यटकों के लिए शिकारी चलाए जाते हैं। यह एक बड़ी नाव होती है जिसमें व्यक्ति पूरे परिवार के साथ बैठकर झील में घूमने का आनंद ले सकते हैं। इसी तरह से हाउसबोट भी होती है। गोविंद सागर झील में आने वाले शिकारी डल झील में चलने वाले शिकारे की तरह बनाए जा रहे हैं। पूरा शिकारा लकड़ी का बना होगा। इसमें गदे और कालीन भी बिछाया होगा। साथ ही शिकारे में पर्दे भी लगे होंगे। अगर योजना सिरे चढ़ी तो आने वाले समय में कुछ शिकारों में डबल बेड, कमरे, अटैच बाथरूम, टीवी, डायनिंग हॉल आदि की सुविधा मिलेगी।
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