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शाहतलाई चैत्र मेले में उमड़ा श्रद्धालुओं का जनसैलाब, अब तक 10 लाख श्रद्धालुओं ने किए दर्शन

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Published : Apr 11, 2019, 6:03 PM IST

Updated : Apr 11, 2019, 7:20 PM IST

उत्तर भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल तपोस्थली शाहतलाई चैत्र मेले में श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ रहा है. अब तक यहां पर 10 लाख श्रद्धालुओं ने बाबा के दर्शन कर सुख-समृद्धि के लिए आशीर्वाद लिया.

शाहतलाई चैत्र मेले में उमड़ा श्रद्धालुओं का जनसैलाब

बिलासपुर: उत्तर भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल तपोस्थली शाहतलाई चैत्र मेले में श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ रहा है. अब तक यहां पर 10 लाख श्रद्धालुओं ने बाबा के दर्शन कर सुख-समृद्धि के लिए आशीर्वाद लिया. मेले में प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु दर्शन करने पहुंच रहे हैं. चारों ओर बाबा बालक नाथ जी के भजनों और पौणाहारी के जयकारों से गूंज उठा है.

Shahtalai chaitra mela
बाबा बालकनाथ

बताया जाता है कि प्राचीन काल में बाबा जी ने शाहतलाई में माता रत्नों के घर में चाकरी कर 12 वर्ष तक उनकी गायों को चराया था. शाहतलाई में 12 वर्ष पूरे होने के बाद बाबा जी मोर पर सवार होकर धौलागिरी पर्वत के नाम से प्रसिद्ध पहाड़ी गुफा में चले गए थे. बाबा बालकनाथ का गुफा में रहने वाले राक्षस से युद्ध हुआ था, लेकिन बाबा जी ने राक्षस के क्षमा याचना पर माफ कर दिया था और आज तक भी यह प्रथा चलती आ रही है कि बाबा बालक नाथ जी की गुफा में रोट प्रसाद चढ़ावे के रूप में चढ़ता है.

शाहतलाई चैत्र मेले में उमड़ा श्रद्धालुओं का जनसैलाब

प्राचीन मान्यता अनुसार इस महीने श्रद्धालु धार्मिक नगरी में पहुंचकर बाबा के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. हालांकि अब साल भर रविवार और शनिवार को कस्बे में श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिलती है.

बिलासपुर: उत्तर भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल तपोस्थली शाहतलाई चैत्र मेले में श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ रहा है. अब तक यहां पर 10 लाख श्रद्धालुओं ने बाबा के दर्शन कर सुख-समृद्धि के लिए आशीर्वाद लिया. मेले में प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु दर्शन करने पहुंच रहे हैं. चारों ओर बाबा बालक नाथ जी के भजनों और पौणाहारी के जयकारों से गूंज उठा है.

Shahtalai chaitra mela
बाबा बालकनाथ

बताया जाता है कि प्राचीन काल में बाबा जी ने शाहतलाई में माता रत्नों के घर में चाकरी कर 12 वर्ष तक उनकी गायों को चराया था. शाहतलाई में 12 वर्ष पूरे होने के बाद बाबा जी मोर पर सवार होकर धौलागिरी पर्वत के नाम से प्रसिद्ध पहाड़ी गुफा में चले गए थे. बाबा बालकनाथ का गुफा में रहने वाले राक्षस से युद्ध हुआ था, लेकिन बाबा जी ने राक्षस के क्षमा याचना पर माफ कर दिया था और आज तक भी यह प्रथा चलती आ रही है कि बाबा बालक नाथ जी की गुफा में रोट प्रसाद चढ़ावे के रूप में चढ़ता है.

शाहतलाई चैत्र मेले में उमड़ा श्रद्धालुओं का जनसैलाब

प्राचीन मान्यता अनुसार इस महीने श्रद्धालु धार्मिक नगरी में पहुंचकर बाबा के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. हालांकि अब साल भर रविवार और शनिवार को कस्बे में श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिलती है.

Intro:उत्तरी भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल तपोस्थली शाहतलाई चैत्र मेले में बनी हुई आस्था के चलते करीब 10 लाख श्रद्धालुंवो ने बाबा के दर्शन किए ओर बाबा जी से आने घर की शुख समृद्धि के लिए आशीर्वाद लिया Body:Vishul , byteConclusion:उत्तरी भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल तपोस्थली शाहतलाई चैत्र मेले में बनी हुई आस्था के चलते करीब 10 लाख श्रद्धालुंवो ने बाबा के दर्शन किए ओर बाबा जी से आने घर की शुख समृद्धि के लिए आशीर्वाद लिया

बताया जाता है कि प्राचीन समय से चली आ रही श्रद्धालुओं की आस्था आज भी उनके ऊपर बनी हुई है ओर बाबा जी ने शाहतलाई में माता रत्नों के घर में चकरी कर 12 वर्ष तक उनकी गऊओं को चराया था
लेकिन जैसे ही 12 वर्ष पूर्ण होने को आए तो बाबा जी ने कौतक रचा था क्योंकि बाबा जी पूर्व जन्म माता रत्नों , जोकि धर्मो नाम के घर में 12 पल विश्राम किया था उसी का कर्ज उतारने के लिए बाबा जी ने 12 वर्ष तक माता रत्नों की सेवा करने के लिए चाकरी की थी

उसी समय से गुरूनाझाड़ी मंदिर व तपोस्थली मंदिर, रोटी लस्सी और बाबा जी अखंड धुणा मंदिर शाहतलाई में प्रसिद्ध हुए थे

शाहतलाई में 12 वर्ष पूरे होने के बाद बाबा जी मोर पर सवार होकर धौलागिरी पर्वत के नाम से प्रसिद्ध पहाड़ी गुफा मैं चले गए थे ओर गुफा में रहने वाले राक्षस से उनका घोर युद्ध हुआ था , लेकिन बाबा जी ने राक्षस के क्षमा याचना पर माफ कर दिया था और आज तक भी यह प्रथा चलती आ रही है कि बाबा बालक नाथ जी की गुफा में रोट प्रसाद चढ़ावे के रूप में चढ़ता है

जबकि प्राचीन से चली आई प्रथा के अनुसार पहाड़ी की गुफा में रहने वाले राक्षस के लिए बकरे को चढ़ाते हैं। लेकिन दियोटसिद्ध बकरा स्थली पर केवल उसे बिजेरते हैं। अगर बकरा स्थली पर बकरा बिजरता है तो उसकी यात्रा बाबा जी ने मंजूर की है ऐसा मान्यता और आस्था आज भी श्रद्धालुओं की जुड़ी हुई है

वहीं कस्बे के छोर पर बहने वाली नदी चरण गंगा खड्ड से श्रद्धालु पानी भरकर गंगा जल की तरह यहां से ले जाते हैं। और धूना लगाकर बाबा जी की महिमा का गुणगान भी नाचते गाते बजाते करते हैं ऐसा दृश्य चैत्र मास में धार्मिक नगरी को मनमोहक बना देता है। ऐसी आस्था श्रद्धालुओं में आज तक चली हुई आ रही है और इसी कारण चैत्र मास मेले में करीब 10 लाख से भी अधिक श्रद्धालु बाबा जी के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त कर चुके है

धार्मिक नगरी में 14 मार्च मकर संक्रांति से 13 अप्रैल तक चलने वाले 1 महीने के हर वर्ष चैत्र मास मेले कस्बे को पूरी तरह आस्था के सैलाब में श्रद्धालु जोड़ देते हैं और पूरा कस्बा बाबा बालक नाथ जी के भजनों और पौनाहारी के जयकारों से गूंज उठता है

प्राचीन मान्यता अनुसार इस महीने श्रद्धालु धार्मिक नगरी में पहुंचकर बाबा के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं हालांकि अब साल भर रविवार और शनिवार को कस्बे में श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिलती है
Last Updated : Apr 11, 2019, 7:20 PM IST
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