बिलासपुर: जिले में कैच द रेन अभियान के तहत 826 प्राकृतिक जल स्त्रोतों का नवीकरण होगा. उपायुक्त ने इस संदर्भ में मंगलवार को आईपीएच अधिकारियों के साथ बैठक करके पूरी तैयारियों का विवरण लिया. उन्होंने बताया कि 32 पारंपरिक बावड़ियों का नवीकरण किया गया, जिसमें से स्वारघाट खंड में 22 और घुमारवीं खंड में 10 स्त्रोतों पर 25.50 लाख रूपये व्यय किए गए. उन्होंने बताया कि चिन्हित 53 बोरवेल को रिचार्ज करने के लिए 26.50 लाख रूपये व्यय किए जा रहे.उन्होंने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि वह जल संरक्षण के संदेश को जन-जन तक पहुंचाने पर विशेष बल दें. उन्होंने बताया कि कैच द रेन अभियान के तहत जल शक्ति केंद्र बनाया गया. जो जल संरक्षण व निर्माण तकनीक आदि मार्गदर्शक के रूप में कार्य कर रहा है. उन्होंने जल शक्ति विभाग और खंड विकास अधिकारियों को इस अभियान को गति देने और लोगों को जल संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ाने के निर्देश दिए.
उन्होंने जल शक्ति और पंचायती राज विभाग से कहा कि वह पारंपरिक जल स्त्रोत, बावड़ियों, बोर-कुओं इत्यादि की सूची एकत्रित कर शीघ्र डाटा तैयार करें ,ताकि इन्हें मिशन मोड में ठीक करवाया जा सके. उन्होंने बताया कि वाटरशेड के 27 कार्य प्रगति पर है जिनमें से 8 कार्य पूर्ण कर दिए गए है. वहीं,इसके अलावा उपायुक्त पंकज राय की अध्यक्षता में सप्ताहिक बैठक आयोजित की गई. उन्होंने बताया कि पाठकों की सुविधा के लिए जिला पुस्तकालय के जीर्णोद्धार के लिए 86 लाख रुपये खर्च किए जा रहे और घुमारवीं में निर्मित की जाने वाले पुस्तकालय के लिए भी राशि स्वीकृत कर दी गई है.
उन्होंने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि शहर में स्थापित शौचालयों की दशा सुधारी जाए ,ताकि हर वार्ड में शौचालय साफ व स्वच्छ हालत में रहे और लोगों को असुविधा का सामना न करना पड़े. इसके अतिरिक्त जो शौचालय खस्ता हालत में उन्हें तोड़ा जाएगा ,ताकि वहां अन्य संभावनाओं पर विचार किया जा सके. उन्होंने कहा कि लोगों की सुविधा के लिए भगेड़ चैक पर लगभग 7.50 लाख रुपये की लागत से रेन शैल्टर का निर्माण किया जा रहा है. इसके अतिरिक्त भगेड़ चेक पर काॅमन सर्विस सेंटर का निर्माण भी किया जाएगा. उन्होंने कहा कि व्यास गुफा को श्रद्वालुओं और पर्यटकों के लिए विकसित किया जा रहा और साथ ही गोबिंद सागर झील में यात्रियों की सुविधा के लिए घाटों की मरम्मत भी की जा रही है.
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उन्होंने कहा कि सडकों के किनारे बेतरतीब खोखो या भवनों के अवैध निर्माण होने की वजह से आय दिन दुर्घटनाए होती रहती और राहगीरों को भी भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा. भगेड़ चैक, घाघस पुल और सलापड पुल के साथ लोगों द्वारा सरकारी भूमि पर अवैध खोखे निर्मित किए गये थे. उन्हे माननीय उच्च न्यायालय के आदेशानुसार कार्यवाही करते हुए हटा दिया गया.
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