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राजेश धर्माणी ने मंत्री राजेंद्र गर्ग पर लगाए भ्रष्टाचार के आरोप, खाद्य आपूर्ति विभाग में 30 करोड़ का लगाया जा रहा चूना

बिलासपुर में आयोजित पत्रकारवार्ता में पूर्व सीपीएस और अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस सचिव राजेश धर्माणी ने आरोप लगाया है कि खाद्य आपूर्ति विभाग में अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने के (Rajesh Dharmani accuses minister rajinder garg of corruption) लिए 30 करोड़ का चूना लगाया है, भ्रष्टाचार के इस आलम में खाद्य आपूर्ति मंत्री राजेंद्र गर्ग लाग लपेट करने में लगे हैं.

Rajesh Dharmani accuses minister rajinder garg
अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस सचिव राजेश धर्माणी
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Published : Jun 26, 2022, 4:16 PM IST

बिलासपुर: बिलासपुर में आयोजित पत्रकारवार्ता में पूर्व सीपीएस और अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस सचिव राजेश धर्माणी (Indian National Congress Secretary Rajesh Dharmani) ने आरोप लगाया है कि खाद्य आपूर्ति विभाग में अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए 30 करोड़ का चूना लगाया है, भ्रष्टाचार के इस आलम में खाद्य आपूर्ति मंत्री राजेंद्र गर्ग लाग लपेट करने में लगे हैं. लेकिन कांग्रेस इस मामले को (Rajesh Dharmani accuses minister rajinder garg of corruption) उजागर करके रहेगी. उन्होंने कहा कि खाद्य आपूर्ति निगम में पीडीएस डिलीवरी सिस्टम के कंप्यूटरीकरण करने के लिए जो ई-पॉस मशीनें खरीदी गईं उनमें 30 करोड़ रुपये का टेंडर घोटाला हुआ है.

राजेश धर्माणी ने आरोप लगाया कि प्रदेश सरकार ने सारे नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए और राष्ट्रीय सुरक्षा को ताक में रखते हुए चाईनीज बायोमेट्रिक ई-पॉस मशीनें खरीदने का टेंडर दे (Biometric E-Pos Machine) दिया. कहीं न कहीं यह देश की सुरक्षा के साथ समझौता है. भारत सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए दिशा-निर्देश जारी किए हैं कि उन देशों में निर्मित बायोमेट्रिक मशीनें न ली जाएं जिनकी सीमा भारत के साथ लगती हैं. लेकिन इन आदेशों की भी परवाह नहीं की गई. उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने वोकल फॉर लोकल का नारा दिया उसमें हिमाचल की भाजपा सरकार फिस्सड्डी साबित हुई है. जिस कंपनी (ऑयसिस साईबरनेटिक्स) को धोखाधड़ी करके टेंडर दिया गया उस कंपनी को यह कार्य पहले 2017 में भी दिया गया था.

उन्होंने कहा कि इस कंपनी को यह मशीनें 5 साल के लिए खाद्यान्न डिपुओं में लगानी थी. लेकिन यह कंपनी, मशीनें डेढ़ वर्ष तक नहीं लगा पाई. राजेश धर्माणी ने कहा कि लगाई गई मशीनों के अभी पांच साल पूरे होने में डेढ़ साल बाकी हैं. पुराने टेंडर के अनुसार इनकी अवधि तीन साल और बढ़ाकर सरकार के तीस करोड़ बचाए जा सकते थे, लेकिन पहले से स्थापित ई-पॉस मशीनों में बहुत कम कीमत में इन्हीं पर आई स्कैनिंग सिस्टम लगाया जा सकता है. उन्होंने आरोप लगाया कि खाद्य आपूर्ति मंत्री ने जो ब्यान इस संदर्भ में जारी किया वो इस घोटाले को छिपाने के उद्देश्य से जारी किया गया है.अगर पुरानी कंपनी को ही दोबारा से वही मशीनें लगाने के लिए टेंडर देना था तो फिर नई मशीनों के मानकों में क्यों बदलाव किया गया. निगम द्वारा इस तरीके से टेंडर तैयार किया गया ताकि चहेती कंपनी को यह कार्य मिल सके. जबकि दूसरे 4 राज्यों में इस कंपनी को सही काम न करने की एवज में इसके विरुद्ध कार्रवाई हुई है.

अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस सचिव राजेश धर्माणी

राजेश धर्माणी ने कहा कि दिलचस्प है कि चहेती कंपनी को अवैध तरीके से लाभ देने के लिए बाकि प्रतिस्पर्धी कंपनियों के अलावा भारत सरकार की सार्वजनिक कंपनी बेसिल के वित्तीय बोली (फाइनेंशियल बिड) खोली ही नहीं गई. जबकि ये सभी कंपनियां अन्य राज्यों में सफलतापूर्वक कार्य कर रही हैं. कुछ कंपनियों ने प्री.बिड में शामिल होने का निगम से अनुरोध किया था लेकिन चहेती कंपनी को टेंडर देने की मंशा से इनके अनुरोध को अस्वीकार कर दिया गया. उन्होंने कहा कि प्रतिस्पर्धी कंपनियों की निविदाएं रद्द करने से पहले उनसे कोई स्पष्टीकरण नहीं लिया गया. उन्होंने कहा कि मामले की निष्पक्षता से जांच होनी चाहिए.

ये भी पढ़ें: PM Kisan Yojana: हिमाचल में 10 लाख किसान परिवारों को जारी की गई 1931.63 करोड़ रुपये की राशि

बिलासपुर: बिलासपुर में आयोजित पत्रकारवार्ता में पूर्व सीपीएस और अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस सचिव राजेश धर्माणी (Indian National Congress Secretary Rajesh Dharmani) ने आरोप लगाया है कि खाद्य आपूर्ति विभाग में अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए 30 करोड़ का चूना लगाया है, भ्रष्टाचार के इस आलम में खाद्य आपूर्ति मंत्री राजेंद्र गर्ग लाग लपेट करने में लगे हैं. लेकिन कांग्रेस इस मामले को (Rajesh Dharmani accuses minister rajinder garg of corruption) उजागर करके रहेगी. उन्होंने कहा कि खाद्य आपूर्ति निगम में पीडीएस डिलीवरी सिस्टम के कंप्यूटरीकरण करने के लिए जो ई-पॉस मशीनें खरीदी गईं उनमें 30 करोड़ रुपये का टेंडर घोटाला हुआ है.

राजेश धर्माणी ने आरोप लगाया कि प्रदेश सरकार ने सारे नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए और राष्ट्रीय सुरक्षा को ताक में रखते हुए चाईनीज बायोमेट्रिक ई-पॉस मशीनें खरीदने का टेंडर दे (Biometric E-Pos Machine) दिया. कहीं न कहीं यह देश की सुरक्षा के साथ समझौता है. भारत सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए दिशा-निर्देश जारी किए हैं कि उन देशों में निर्मित बायोमेट्रिक मशीनें न ली जाएं जिनकी सीमा भारत के साथ लगती हैं. लेकिन इन आदेशों की भी परवाह नहीं की गई. उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने वोकल फॉर लोकल का नारा दिया उसमें हिमाचल की भाजपा सरकार फिस्सड्डी साबित हुई है. जिस कंपनी (ऑयसिस साईबरनेटिक्स) को धोखाधड़ी करके टेंडर दिया गया उस कंपनी को यह कार्य पहले 2017 में भी दिया गया था.

उन्होंने कहा कि इस कंपनी को यह मशीनें 5 साल के लिए खाद्यान्न डिपुओं में लगानी थी. लेकिन यह कंपनी, मशीनें डेढ़ वर्ष तक नहीं लगा पाई. राजेश धर्माणी ने कहा कि लगाई गई मशीनों के अभी पांच साल पूरे होने में डेढ़ साल बाकी हैं. पुराने टेंडर के अनुसार इनकी अवधि तीन साल और बढ़ाकर सरकार के तीस करोड़ बचाए जा सकते थे, लेकिन पहले से स्थापित ई-पॉस मशीनों में बहुत कम कीमत में इन्हीं पर आई स्कैनिंग सिस्टम लगाया जा सकता है. उन्होंने आरोप लगाया कि खाद्य आपूर्ति मंत्री ने जो ब्यान इस संदर्भ में जारी किया वो इस घोटाले को छिपाने के उद्देश्य से जारी किया गया है.अगर पुरानी कंपनी को ही दोबारा से वही मशीनें लगाने के लिए टेंडर देना था तो फिर नई मशीनों के मानकों में क्यों बदलाव किया गया. निगम द्वारा इस तरीके से टेंडर तैयार किया गया ताकि चहेती कंपनी को यह कार्य मिल सके. जबकि दूसरे 4 राज्यों में इस कंपनी को सही काम न करने की एवज में इसके विरुद्ध कार्रवाई हुई है.

अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस सचिव राजेश धर्माणी

राजेश धर्माणी ने कहा कि दिलचस्प है कि चहेती कंपनी को अवैध तरीके से लाभ देने के लिए बाकि प्रतिस्पर्धी कंपनियों के अलावा भारत सरकार की सार्वजनिक कंपनी बेसिल के वित्तीय बोली (फाइनेंशियल बिड) खोली ही नहीं गई. जबकि ये सभी कंपनियां अन्य राज्यों में सफलतापूर्वक कार्य कर रही हैं. कुछ कंपनियों ने प्री.बिड में शामिल होने का निगम से अनुरोध किया था लेकिन चहेती कंपनी को टेंडर देने की मंशा से इनके अनुरोध को अस्वीकार कर दिया गया. उन्होंने कहा कि प्रतिस्पर्धी कंपनियों की निविदाएं रद्द करने से पहले उनसे कोई स्पष्टीकरण नहीं लिया गया. उन्होंने कहा कि मामले की निष्पक्षता से जांच होनी चाहिए.

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