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गोबिंद सागर जलाशय में बढ़ा मछली उत्पादन, मछुआरों ने इस बार पकड़ी 9.03 टन मछली

इस बार प्रदेश के जलाशयों में मत्स्य प्रजनन काल यानी क्लोज सीजन की समयावधि में बदलाव किया गया था. वहीं, मत्स्य विभाग के निदेशक एवं प्रारक्षी सतपाल मेहता ने बताया कि गोबिंदसागर जलाशय से 9.03 टन, कोलडैम 264 किलो, पौंग जलाश्य में 7.2 टन और चमेरा व रणजीत सागर से 2.1 टन मछली पकड़ी गई.

Gobind Sagar reservoir bilaspur fish
Gobind Sagar reservoir bilaspur fish
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Published : Aug 17, 2020, 8:14 PM IST

बिलासपुरः हिमाचल के जलाश्यों और सामान्य नदी व सहायक नदियों-नालों में 12 हजार से अधिक मछुआरे मछली पकड़ कर अपनी रोजी रोटी कमाते हैं. वर्तमान में प्रदेश के पांच जलाश्य गोबिंदसागर, पौंग, चमेरा, कोलडैम और रणजीत सागर में 5 हजार 300 से अधिक मछुआरे मछली पकड़ने का कार्य कर रहे हैं.

हिमाचल के सामान्य जलों, ट्राऊट जलों में 6 हजार से अधिक मछुआरे फैंकवां जाल के साथ मछली पकड़ने के कार्य करते हैं. इन सभी मछुआरा परिवारों को निरंतर मछली मिलती रहे और लोगों को प्रोटीनयुक्त प्राणी आहार मछली के रूप में मिलता रहे. इसके लिए हिमाचल प्रदेश मत्स्य पालन विभाग कार्यरत है. यह कहना है मत्स्य विभाग के निदेशक सतपाल मेहता का.

मत्स्य विभाग के निदेशक एवं प्रारक्षी सतपाल मेहता ने बताया कि इतने विशाल मानव निर्मित जलाश्यों की सघन निगरानी करना विभाग के लिए चुनौती से कम नहीं है, लेकिन मत्स्य विभाग इस चुनौती के समाधान के लिए प्रतिवर्ष सामान्य जलों में दो महीने के लिए मछली पकड़ने पर पूरी तरह से रोक लगाता है.

इस समय के दौरान अधिकतर महत्वपूर्ण प्रजातियों की मछलियां प्राकृतिक प्रजनन करती हैं. जिससे इन जलों में स्वतः मछली बीज संग्रहण हो जाता है. उन्होंने बताया कि इस कार्य के लिए विभाग को मत्स्य धन संरक्षण का कार्य बड़ी तत्परता से करना पड़ता है.

विभागीय अधिकारी ने बताया कि पहले बंद सीजन 1 जून से 31 जुलाई तक होता था, लेकिन 22 मई 2020 से हिमाचल प्रदेश मत्स्य नियम 2020 लागू होने से इस बार विभाग द्वारा 16 जून से 15 अगस्त तक बंद सीजन लागू किया गया.

सतपाल मैहता ने बताया कि इस बार विभाग ने 35 लाख के करीब 70 एमएम आकार से अधिक का मत्स्य बीज इन जलाश्यों में संग्रहित किया था. दो महीने के बंद के बाद बढ़े मत्स्य उत्पादन से विभाग के साथ-साथ मछुआरों का मनोबल भी बढ़ा है. उन्होंने बताया कि गोबिंदसागर जलाश्य से 9.03 टन, कोलडैम 264 किलो, पौंग जलाश्य में 7.2 टन और चमेरा व रणजीत सागर से 2.1 टन मछली पकड़ी गई.

ये भी पढ़ें- फर्जी डिग्री मामले पर राणा का सरकार से सवाल, आखिर इतने बड़े फर्जीवाड़े पर सरकार क्यों है खामोश?

ये भी पढ़ें- बिक्रम सिंह ने जस्वां प्रागपुर के अप्पर कलोहा में की विकास कार्यों की समीक्षा

बिलासपुरः हिमाचल के जलाश्यों और सामान्य नदी व सहायक नदियों-नालों में 12 हजार से अधिक मछुआरे मछली पकड़ कर अपनी रोजी रोटी कमाते हैं. वर्तमान में प्रदेश के पांच जलाश्य गोबिंदसागर, पौंग, चमेरा, कोलडैम और रणजीत सागर में 5 हजार 300 से अधिक मछुआरे मछली पकड़ने का कार्य कर रहे हैं.

हिमाचल के सामान्य जलों, ट्राऊट जलों में 6 हजार से अधिक मछुआरे फैंकवां जाल के साथ मछली पकड़ने के कार्य करते हैं. इन सभी मछुआरा परिवारों को निरंतर मछली मिलती रहे और लोगों को प्रोटीनयुक्त प्राणी आहार मछली के रूप में मिलता रहे. इसके लिए हिमाचल प्रदेश मत्स्य पालन विभाग कार्यरत है. यह कहना है मत्स्य विभाग के निदेशक सतपाल मेहता का.

मत्स्य विभाग के निदेशक एवं प्रारक्षी सतपाल मेहता ने बताया कि इतने विशाल मानव निर्मित जलाश्यों की सघन निगरानी करना विभाग के लिए चुनौती से कम नहीं है, लेकिन मत्स्य विभाग इस चुनौती के समाधान के लिए प्रतिवर्ष सामान्य जलों में दो महीने के लिए मछली पकड़ने पर पूरी तरह से रोक लगाता है.

इस समय के दौरान अधिकतर महत्वपूर्ण प्रजातियों की मछलियां प्राकृतिक प्रजनन करती हैं. जिससे इन जलों में स्वतः मछली बीज संग्रहण हो जाता है. उन्होंने बताया कि इस कार्य के लिए विभाग को मत्स्य धन संरक्षण का कार्य बड़ी तत्परता से करना पड़ता है.

विभागीय अधिकारी ने बताया कि पहले बंद सीजन 1 जून से 31 जुलाई तक होता था, लेकिन 22 मई 2020 से हिमाचल प्रदेश मत्स्य नियम 2020 लागू होने से इस बार विभाग द्वारा 16 जून से 15 अगस्त तक बंद सीजन लागू किया गया.

सतपाल मैहता ने बताया कि इस बार विभाग ने 35 लाख के करीब 70 एमएम आकार से अधिक का मत्स्य बीज इन जलाश्यों में संग्रहित किया था. दो महीने के बंद के बाद बढ़े मत्स्य उत्पादन से विभाग के साथ-साथ मछुआरों का मनोबल भी बढ़ा है. उन्होंने बताया कि गोबिंदसागर जलाश्य से 9.03 टन, कोलडैम 264 किलो, पौंग जलाश्य में 7.2 टन और चमेरा व रणजीत सागर से 2.1 टन मछली पकड़ी गई.

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