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पशुपालकों के लिए अच्छी खबर, इस फीड के इस्तेमाल से बढ़ा सकते हैं दूध उत्पादन - पशुओं में बढ़ा सकते हैं दूध उत्पादन

कहलूर वायो रिसर्च सेंटर घुमारवी के वैज्ञानिक डॉ. अमित ठाकुर ने बताया कि पशुपालकों व किसानों के अपने मवेशियों के लिए अजोला फीड का प्रयोग करके अपने उत्पादन को बढ़ा सकते हैं.

azolla feed can increase milk production
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Published : Sep 12, 2019, 2:37 PM IST

बिलासपुरः पशुपालकों व किसानों के अपने मवेशियों के लिए अजोला फीड का प्रयोग करके अपने उत्पादन को बढ़ा सकते हैं. किसान व पशुपालक बाजार से आधे दामों पर कैटल फीड व जैव उर्वरक खुद तैयार कर पाएंगे. साथ ही इस फीड के इस्तेमाल से पशुओं में दूध उत्पादन भी बढ़ेगा. ये जानकारी कहलूर वायो रिसर्च सेंटर घुमारवी के वैज्ञानिक डॉ. अमित ठाकुर ने दी.


डॉ. अमित ठाकुर ने बताया कि अपनी टीम के साथ मिलकर रिसर्च सेण्टर में किसानों की मदद के लिए केआरबीसी अजोला स्टार्टर किट तैयार की है. जिससे किसानों व पशुपालकों को भारी मिलेगा. डॉ. अमित ने बताया कि स्वच्छ पर्यावरण के साथ-साथपशुधन के बेहतर विकास के लिए स्वस्थ एवंम पौष्टिक आहार प्रदान करना भी जरूरी है. देश के कुछ ही किसान अपने लाइव स्टॉक के लिए ऐसे फीड का उपयोग करते हैं क्योंकि वे बहुत महंगे हैं.

वीडियो.


डॉ. अमित ठाकुर ने बताया कि अजोला एक प्रकार का फर्न है जो प्रोटीन 20-25 फीसदी जरूरी अमीनो एसिड, विटामिन, विटामिन ए, विटामिन बी 12 और बीटा कैरोटीन, कैल्शियम, लौह, फास्फोरस, पोटेशियम, तांबा, मैग्नीशियम जैसे मिनरल्स से भरपूर होता है. यह गुण अजोला को एक पूर्ण आहार के साथ-साथ एक पूर्ण जैविक उर्वरक भी बनाता है.


अजोला का उपयोग पशु चारे के रूप में भी किया जा सकता है. उन्होंने दावा किया कि अजोला पर आधारित कई शोध हुए हैं जिनसे साबित हुआ है कि अज़ोला दूध उत्पादन बढ़ाने में मदद करता है. इसे गाय, भैंस, खरगोश, मछली, बत्तख, सुअर आदि को खिलाने के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है.

डॉ. अमित ठाकुर ने बताया कि लैब में तैयार की गई इस अजोला स्टार्टर किट में शुद्ध अजोला बीज और इसकी खेती का मैनुअल दिया गया है. जिसमे इसकी खेती करने के तरीके के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है. जिससे किसानों के लिए बिना किसी उर्वरक के न्यूनतम लागत पर अजोला उगाना आसान होगा.

ये भी पढ़ें- बिलासपुर में बाल विज्ञान सम्मेलन का आगाज, 75 पाठशालाओं के 479 बाल वैज्ञानिक लेंगे भाग

बिलासपुरः पशुपालकों व किसानों के अपने मवेशियों के लिए अजोला फीड का प्रयोग करके अपने उत्पादन को बढ़ा सकते हैं. किसान व पशुपालक बाजार से आधे दामों पर कैटल फीड व जैव उर्वरक खुद तैयार कर पाएंगे. साथ ही इस फीड के इस्तेमाल से पशुओं में दूध उत्पादन भी बढ़ेगा. ये जानकारी कहलूर वायो रिसर्च सेंटर घुमारवी के वैज्ञानिक डॉ. अमित ठाकुर ने दी.


डॉ. अमित ठाकुर ने बताया कि अपनी टीम के साथ मिलकर रिसर्च सेण्टर में किसानों की मदद के लिए केआरबीसी अजोला स्टार्टर किट तैयार की है. जिससे किसानों व पशुपालकों को भारी मिलेगा. डॉ. अमित ने बताया कि स्वच्छ पर्यावरण के साथ-साथपशुधन के बेहतर विकास के लिए स्वस्थ एवंम पौष्टिक आहार प्रदान करना भी जरूरी है. देश के कुछ ही किसान अपने लाइव स्टॉक के लिए ऐसे फीड का उपयोग करते हैं क्योंकि वे बहुत महंगे हैं.

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डॉ. अमित ठाकुर ने बताया कि अजोला एक प्रकार का फर्न है जो प्रोटीन 20-25 फीसदी जरूरी अमीनो एसिड, विटामिन, विटामिन ए, विटामिन बी 12 और बीटा कैरोटीन, कैल्शियम, लौह, फास्फोरस, पोटेशियम, तांबा, मैग्नीशियम जैसे मिनरल्स से भरपूर होता है. यह गुण अजोला को एक पूर्ण आहार के साथ-साथ एक पूर्ण जैविक उर्वरक भी बनाता है.


अजोला का उपयोग पशु चारे के रूप में भी किया जा सकता है. उन्होंने दावा किया कि अजोला पर आधारित कई शोध हुए हैं जिनसे साबित हुआ है कि अज़ोला दूध उत्पादन बढ़ाने में मदद करता है. इसे गाय, भैंस, खरगोश, मछली, बत्तख, सुअर आदि को खिलाने के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है.

डॉ. अमित ठाकुर ने बताया कि लैब में तैयार की गई इस अजोला स्टार्टर किट में शुद्ध अजोला बीज और इसकी खेती का मैनुअल दिया गया है. जिसमे इसकी खेती करने के तरीके के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है. जिससे किसानों के लिए बिना किसी उर्वरक के न्यूनतम लागत पर अजोला उगाना आसान होगा.

ये भी पढ़ें- बिलासपुर में बाल विज्ञान सम्मेलन का आगाज, 75 पाठशालाओं के 479 बाल वैज्ञानिक लेंगे भाग

Intro:स्लग - किसानो व पशुपालको के लिए संजीवनी है एजोला आधे खर्चे में कैटल फीड व जैव उर्वरक एजोला से
किसानो व पशुपालको को अब दोगुना लाभ मिलेगा ! एक तरफ जहाँ किसान व पशुपालक बाजार से आधे दामो पर कैटल फीड व जैव उर्वरक खुद तैयार कर पाएंगे वहीँ दूसरी और इस फीड के प्रयोग से पशुओ में दूध उत्पादन भी बढ़ेगा ! यह दावा कहलूर वायो रिसर्च सेंटर घुमारवी के वैज्ञानिक डा अमित ठाकुर व उनकी टीम ने किया है जिन्होंने अपने रिसर्च सेण्टर में किसानो की मदद हेतु केआरबीसी एजोला स्टार्टर किट तैयार की है ! डा अमित ने बताया कि स्वच्छ पर्यावरण के साथ.साथ पशुधन के बेहतर विकास के लिए पशुधन को एक स्वस्थ एवंम पौष्टिक आहार प्रदान करना भी आवश्यक है। देश के कुछ ही किसान अपने लाइव स्टॉक के लिए ऐसे फ़ीड का उपयोग करते हैं क्योंकि वे बहुत महंगे हैं। ऐसे फ़ीड 100 फीसदी प्राकृतिक नहीं हैं और इनमें सभी सूक्ष्म पोषक तत्व भी नहीं होते है । उन्होंने बताया कि एजोला एक प्रकार का फर्न है जो प्रोटीन 20-25 फीसदी आवश्यक अमीनो एसिड, विटामिन , विटामिन ए, विटामिन बी 12 और बीटा कैरोटीन , कैल्शियम, लौह , फास्फोरस, पोटेशियम, तांबा, मैग्नीशियम जैसे मिनरल्स से भरपूर होता है। यह गुण अज़ोला को एक पूर्ण आहार के साथ साथ एक पूर्ण जैविक उर्वरक भी बनाता है। अजोला का उपयोग पशु चारे के रूप में भी किया जा सकता है। उन्होंने दावा किया कि एजोला पर आधारित कई शोधो ने साबित किया है कि अज़ोला दूध उत्पादन बढ़ाने में मदद करता है। इसे गाय, भैंस, खरगोश, मछली, बत्तख, सुअर आदि को खिलाने के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। एजोला एक उच्च प्रोटीन और खनिज युक्त सामग्री के अलावाए पानी में बहुत तेजी से बढ़ता हैए जो कि पोल्ट्री और डेयरी किसानों के महंगा चारा खरीदने के वित्तीय बोझ को कम कर सकता है। एजोला की खेती प्रक्रिया के बारे में सुंदर बात यह है कि इसके विकास के लिए कम जगह की आवश्यकता होती है। केबीआरसी ने बिना किसी उर्वरक के इसे तैयार किया है जिससे इसकी खेती की लागत में और कमी आई है। एजोला बहुत जल्द अपने बायोमास को दोगुना कर सकता है। पशुपालको के अलावा यह किसानो के लिए भी बेहद लाभदायक है ! किसान इसे अपने खेतो में जैव उर्वरक के रूप में भी इस्तेमाल कर सकते है ! इसके इस्तेमाल से मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार आता है ! यह मिट्टी की नमी को बनाए रखता है और नाइट्रोजन निर्धारण में मदद करता है। इस प्रकार यह यूरिया उर्वरक का वैकल्पिक विकल्प हो सकता है। दक्षिण भारत में अज़ोला धान के उत्पादन को बढ़ाने के लिए चावल के खेतों में अनाबेना के साथ उगाया जाता है। फ़ीड और उर्वरकों के साथ.साथ यह प्रदूषित पानी को भी शुद्ध करता है ! इसके अलावा यह पानी में मच्छर के लारवा को नष्ट करता है ! लैब में तैयार की गई इस एजोला स्टार्टर किट मे शुद्ध एजोला बीज और इसकी खेती का मैनुअल दिया गया है । जिसमे इसकी खेती करने के तरीके के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है ! जिससे किसानों के लिए बिना किसी उर्वरक के न्यूनतम लागत पर एजोला उगाना आसान होगा। एजोला आधारित फ़ीड किसान की फ़ीड आवश्यकता को कम कर सकता है क्योंकि यह बाजार में उपलब्ध फ़ीड के साथ 1:1 अनुपात में दिया जा सकता है ! इस प्रकार यह दूध उत्पादन में वृद्धि करके किसानों की आय मे भी बढ़ोतरी कर सकता है ।

बाइट। वैज्ञानिक डा अमित ठाकुरBody:Byte vishulConclusion:स्लग - किसानो व पशुपालको के लिए संजीवनी है एजोला आधे खर्चे में कैटल फीड व जैव उर्वरक एजोला से
किसानो व पशुपालको को अब दोगुना लाभ मिलेगा ! एक तरफ जहाँ किसान व पशुपालक बाजार से आधे दामो पर कैटल फीड व जैव उर्वरक खुद तैयार कर पाएंगे वहीँ दूसरी और इस फीड के प्रयोग से पशुओ में दूध उत्पादन भी बढ़ेगा ! यह दावा कहलूर वायो रिसर्च सेंटर घुमारवी के वैज्ञानिक डा अमित ठाकुर व उनकी टीम ने किया है जिन्होंने अपने रिसर्च सेण्टर में किसानो की मदद हेतु केआरबीसी एजोला स्टार्टर किट तैयार की है ! डा अमित ने बताया कि स्वच्छ पर्यावरण के साथ.साथ पशुधन के बेहतर विकास के लिए पशुधन को एक स्वस्थ एवंम पौष्टिक आहार प्रदान करना भी आवश्यक है। देश के कुछ ही किसान अपने लाइव स्टॉक के लिए ऐसे फ़ीड का उपयोग करते हैं क्योंकि वे बहुत महंगे हैं। ऐसे फ़ीड 100 फीसदी प्राकृतिक नहीं हैं और इनमें सभी सूक्ष्म पोषक तत्व भी नहीं होते है । उन्होंने बताया कि एजोला एक प्रकार का फर्न है जो प्रोटीन 20-25 फीसदी आवश्यक अमीनो एसिड, विटामिन , विटामिन ए, विटामिन बी 12 और बीटा कैरोटीन , कैल्शियम, लौह , फास्फोरस, पोटेशियम, तांबा, मैग्नीशियम जैसे मिनरल्स से भरपूर होता है। यह गुण अज़ोला को एक पूर्ण आहार के साथ साथ एक पूर्ण जैविक उर्वरक भी बनाता है। अजोला का उपयोग पशु चारे के रूप में भी किया जा सकता है। उन्होंने दावा किया कि एजोला पर आधारित कई शोधो ने साबित किया है कि अज़ोला दूध उत्पादन बढ़ाने में मदद करता है। इसे गाय, भैंस, खरगोश, मछली, बत्तख, सुअर आदि को खिलाने के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। एजोला एक उच्च प्रोटीन और खनिज युक्त सामग्री के अलावाए पानी में बहुत तेजी से बढ़ता हैए जो कि पोल्ट्री और डेयरी किसानों के महंगा चारा खरीदने के वित्तीय बोझ को कम कर सकता है। एजोला की खेती प्रक्रिया के बारे में सुंदर बात यह है कि इसके विकास के लिए कम जगह की आवश्यकता होती है। केबीआरसी ने बिना किसी उर्वरक के इसे तैयार किया है जिससे इसकी खेती की लागत में और कमी आई है। एजोला बहुत जल्द अपने बायोमास को दोगुना कर सकता है। पशुपालको के अलावा यह किसानो के लिए भी बेहद लाभदायक है ! किसान इसे अपने खेतो में जैव उर्वरक के रूप में भी इस्तेमाल कर सकते है ! इसके इस्तेमाल से मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार आता है ! यह मिट्टी की नमी को बनाए रखता है और नाइट्रोजन निर्धारण में मदद करता है। इस प्रकार यह यूरिया उर्वरक का वैकल्पिक विकल्प हो सकता है। दक्षिण भारत में अज़ोला धान के उत्पादन को बढ़ाने के लिए चावल के खेतों में अनाबेना के साथ उगाया जाता है। फ़ीड और उर्वरकों के साथ.साथ यह प्रदूषित पानी को भी शुद्ध करता है ! इसके अलावा यह पानी में मच्छर के लारवा को नष्ट करता है ! लैब में तैयार की गई इस एजोला स्टार्टर किट मे शुद्ध एजोला बीज और इसकी खेती का मैनुअल दिया गया है । जिसमे इसकी खेती करने के तरीके के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है ! जिससे किसानों के लिए बिना किसी उर्वरक के न्यूनतम लागत पर एजोला उगाना आसान होगा। एजोला आधारित फ़ीड किसान की फ़ीड आवश्यकता को कम कर सकता है क्योंकि यह बाजार में उपलब्ध फ़ीड के साथ 1:1 अनुपात में दिया जा सकता है ! इस प्रकार यह दूध उत्पादन में वृद्धि करके किसानों की आय मे भी बढ़ोतरी कर सकता है ।

बाइट। वैज्ञानिक डा अमित ठाकुर
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