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चीड़ की पत्तियां बनेंगी रोजगार का जरिया, ACC प्रबंधन और वन विभाग के बीच जल्द साइन होगा MOU

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Published : Jul 29, 2021, 5:26 PM IST

बिलासपुर वन विभाग जाइका परियोजना की मदद से पायलटबेस पर नये प्रोजेक्ट की शुरुआत करने जा रहा है. इस नए प्रोजेक्ट के तहत वन विभाग जंगलों से चीढ़ की पत्तियों को इकट्ठा कराकर उससे ब्रिकेट्स तैयार कराएगा. जल्द ही वन विभाग और एसीसी सीमेंट प्रबंधन के बीच एमओयू साइन होगा. ब्रिकेट्स निर्माण के लिए चीढ़ के जंगलों के नजदीक वाली पंचायतों में 26 कमेटियां गठित की गई हैं.

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फोटो.

बिलासपुर: जंगलों में पैदा हो रही चीड़ पत्तियां अब लोगों के रोजगार का जरिया बनेंगी. वन विभाग जापान अंतरराष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (जाइका) परियोजना के तहत बिलासपुर जिले में पायलट बेस पर नये प्रोजेक्ट की शुरुआत कर रहा है, जिसके लिए शीघ्र ही एसीसी सीमेंट (ACC Ciment) फैक्टरी प्रबंधन के साथ एमओयू साइन किया जाएगा. चीड़ पत्तियों (Pine Leaves) को कंप्रेस कर ब्रिकेट्स (Briquettes) बनाने के लिए बाकायदा कमेटियों को मशीनरी भी उपलब्ध करवाई जाएगी.

कमेटियां ब्रिकेट्स तैयार करेंगी और इसकी पैकिंग के बाद एसीसी फैक्टरी (ACC Factory) को सप्लाई भेजी जाएगी. प्रोजेक्ट सफल रहा तो इस प्रोजेक्ट को पूरे हिमाचल प्रदेश में लागू किया जाएगा. इस प्रोजेक्ट के शुरू करने के पीछे कई मकसद हैं. एक तो फायर सीजन में जंगलों में लगने वाली आग से वन संपदा सुरक्षित रहेगी. वहीं, स्थानीय लोगों को घर बैठे रोजी रोटी का जुगाड़ हो पाएगा.

वीडियो.

जानकारी के मुताबिक बिलासपुर जिले में 20 हजार हेक्टेयर एरिया (20 thousand Hectares area) में चीड़ के जंगल (Pine Forest) हैं. चीड़ जंगलों में हर साल फायर सीजन (Fire Season) के दौरान आगजनी की घटनाएं होती हैं, जिनमें लाखों की वन संपदा व जीव जंतु जल जाते हैं. चीड़ के जंगलों को आग से बचाने के लिए वन विभाग ने महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट पर पायलट आधार पर काम करना शुरू किया है. जिले भर में चीड़ के जंगलों से सटी पंचायतों में 26 कमेटियों का गठन किया गया है. यह कमेटियां वनों में चीड़ पत्तियां एकत्रित करने का कार्य करेंगी, जिसके एवज में निर्धारित राशि विभाग की ओर से इनके ज्वाइंट बैंक अकाउंट्स (Joint Bank Account) में जमा करवाई जाएगी.

अहम बात यह है कि वन विभाग पंचायत स्तर पर गठित की गई कमेटियों को चीड़ पत्तियों को कंप्रेस कर ब्रिकेट्स तैयार करने के लिए बाकायदा मशीनरी भी उपलब्ध करवाएगा, लेकिन यह मशीनरी विभाग की होगी, कमेटियां इसका इस्तेमाल कर सकेंगी. चीड़ पत्तियों के छोटे-छोटे पीस बनाकर मशीन में कंप्रेस कर ब्रिकेट्स बनाए जाएंगे. जिन्हें एसीसी फैक्टरी को भेजा जाएगा. इसके लिए वन विभाग और एसीसी फैक्टरी प्रबंधन के बीच टाइअप हो गया है, जल्द ही लिखित समझौता भी होगा.

दरअसल, पहले भी चीड़ पत्तियों को एकत्रित कर एसीसी भेजने को लेकर योजना पर काम शुरू हुआ था, लेकिन यह आगे नहीं बढ़ पाई. क्योंकि ट्रांसपोर्टेशन (Transportation) का खर्चा ज्यादा पड़ रहा था. अब एक बार दोबारा इस महत्वाकांक्षी परियोजना पर काम शुरू हुआ है. जायका परियोजना के तहत जिले में पायलट बेस पर इस प्रोजेक्ट पर काम किया जा रहा है और सक्सेस होने पर इसे पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा.

उधर, वनमंडल अधिकारी बिलासपुर अवनी राय भूषण ने बताया कि जाइका के तहत 28 लाख रुपए की लागत से पायलट बेस पर यह प्रोजेक्ट शुरू किया जा रहा है, जिसके तहत जल्द ही एसीसी प्रबंधन के साथ एमओयू साइन किया जाएगा. इस प्रोजेक्ट को लेकर सैद्धांतिक तौर पर सहमति बन चुकी है. जिले में पंचायत स्तर (Panchayat Leval) पर गठित 26 कमेटियों (26 Committee) को मशीनरी उपलब्ध करवाई जाएगी, जहां चीड़ पत्तियों को कंप्रेस कर इसके ब्रिकेट्स बनाए जाएंगे.
ये भी पढ़ें: भाजपा ने कांग्रेस से 50 वर्षों का लेखा मांगा तो जवाब देना हो जाएगा मुश्किलः सीएम जयराम

बिलासपुर: जंगलों में पैदा हो रही चीड़ पत्तियां अब लोगों के रोजगार का जरिया बनेंगी. वन विभाग जापान अंतरराष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (जाइका) परियोजना के तहत बिलासपुर जिले में पायलट बेस पर नये प्रोजेक्ट की शुरुआत कर रहा है, जिसके लिए शीघ्र ही एसीसी सीमेंट (ACC Ciment) फैक्टरी प्रबंधन के साथ एमओयू साइन किया जाएगा. चीड़ पत्तियों (Pine Leaves) को कंप्रेस कर ब्रिकेट्स (Briquettes) बनाने के लिए बाकायदा कमेटियों को मशीनरी भी उपलब्ध करवाई जाएगी.

कमेटियां ब्रिकेट्स तैयार करेंगी और इसकी पैकिंग के बाद एसीसी फैक्टरी (ACC Factory) को सप्लाई भेजी जाएगी. प्रोजेक्ट सफल रहा तो इस प्रोजेक्ट को पूरे हिमाचल प्रदेश में लागू किया जाएगा. इस प्रोजेक्ट के शुरू करने के पीछे कई मकसद हैं. एक तो फायर सीजन में जंगलों में लगने वाली आग से वन संपदा सुरक्षित रहेगी. वहीं, स्थानीय लोगों को घर बैठे रोजी रोटी का जुगाड़ हो पाएगा.

वीडियो.

जानकारी के मुताबिक बिलासपुर जिले में 20 हजार हेक्टेयर एरिया (20 thousand Hectares area) में चीड़ के जंगल (Pine Forest) हैं. चीड़ जंगलों में हर साल फायर सीजन (Fire Season) के दौरान आगजनी की घटनाएं होती हैं, जिनमें लाखों की वन संपदा व जीव जंतु जल जाते हैं. चीड़ के जंगलों को आग से बचाने के लिए वन विभाग ने महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट पर पायलट आधार पर काम करना शुरू किया है. जिले भर में चीड़ के जंगलों से सटी पंचायतों में 26 कमेटियों का गठन किया गया है. यह कमेटियां वनों में चीड़ पत्तियां एकत्रित करने का कार्य करेंगी, जिसके एवज में निर्धारित राशि विभाग की ओर से इनके ज्वाइंट बैंक अकाउंट्स (Joint Bank Account) में जमा करवाई जाएगी.

अहम बात यह है कि वन विभाग पंचायत स्तर पर गठित की गई कमेटियों को चीड़ पत्तियों को कंप्रेस कर ब्रिकेट्स तैयार करने के लिए बाकायदा मशीनरी भी उपलब्ध करवाएगा, लेकिन यह मशीनरी विभाग की होगी, कमेटियां इसका इस्तेमाल कर सकेंगी. चीड़ पत्तियों के छोटे-छोटे पीस बनाकर मशीन में कंप्रेस कर ब्रिकेट्स बनाए जाएंगे. जिन्हें एसीसी फैक्टरी को भेजा जाएगा. इसके लिए वन विभाग और एसीसी फैक्टरी प्रबंधन के बीच टाइअप हो गया है, जल्द ही लिखित समझौता भी होगा.

दरअसल, पहले भी चीड़ पत्तियों को एकत्रित कर एसीसी भेजने को लेकर योजना पर काम शुरू हुआ था, लेकिन यह आगे नहीं बढ़ पाई. क्योंकि ट्रांसपोर्टेशन (Transportation) का खर्चा ज्यादा पड़ रहा था. अब एक बार दोबारा इस महत्वाकांक्षी परियोजना पर काम शुरू हुआ है. जायका परियोजना के तहत जिले में पायलट बेस पर इस प्रोजेक्ट पर काम किया जा रहा है और सक्सेस होने पर इसे पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा.

उधर, वनमंडल अधिकारी बिलासपुर अवनी राय भूषण ने बताया कि जाइका के तहत 28 लाख रुपए की लागत से पायलट बेस पर यह प्रोजेक्ट शुरू किया जा रहा है, जिसके तहत जल्द ही एसीसी प्रबंधन के साथ एमओयू साइन किया जाएगा. इस प्रोजेक्ट को लेकर सैद्धांतिक तौर पर सहमति बन चुकी है. जिले में पंचायत स्तर (Panchayat Leval) पर गठित 26 कमेटियों (26 Committee) को मशीनरी उपलब्ध करवाई जाएगी, जहां चीड़ पत्तियों को कंप्रेस कर इसके ब्रिकेट्स बनाए जाएंगे.
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