बिलासपुर: गोबिंद सागर झील (Gobind Sagar Lake) में समा चुके बिलासपुर के प्राचीन ऐतिहासिक मंदिरों को पुनर्स्थापित करने के लिए 1400 करोड़ की परियोजना बनाई गई है. इस योजना को कार्यान्वित करने के लिए लार्सन एंड टूब्रो कंपनी (Larsen & Toubro Company) की टेक्निकल टीम ने प्रसासन के साथ संयुक्त रूप से शुक्रवार को निरीक्षण किया.
तीन चरणों में होगा काम: उपायुक्त बिलासपुर पंकज राय ने बताया इस दौरान इस योजना को अंतिम रूप देने के लिए सभी संभावनाओं को को तलाशा गया. DPR तैयार करने के लिए सभी चिन्हित स्थानों का निरिक्षण किया गया.उन्होने कहा इस योजना को 3 चरणों में कार्यान्वित करने का प्रस्ताव है.
अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों का लिया जाएगा सहयोग: बजट घोषणा के अनुसार इस परियोजना को अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के सहयोग से पूरा किया जाएगा. परियोजना के पहले चरण में इन मंदिरों को नाले का नौण में पुनर्स्थापित करने का प्रस्ताव है. इसी परियोजना के दूसरे चरण में सांडू के मैदान को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा. तीसरे चरण में मंडी -भराड़ी के पास बैराज बनाकर मंदिरों के आस-पास एक जलाशय बनाया जाएगा. इसमें रिवर फ्रंट और वॉकवेज इत्यादि विकसित किए जाएंगे.
इतिहास और संस्कृति पुनर्जीवित होगी: इस महत्वाकांक्षी योजना के माध्यम से जहां बिलासपुर एक आदर्श पर्यटक स्थल के रूप में विकसित होगा. वहीं, इससे बिलासपुर का पुराना इतिहास और संस्कृति भी पुनर्जीवित होगी, जिससे हर बिलासपुर वासीयों की भावनाएं जुड़ी हुई हैं. इस अवसर पर अतिरिक्त उपायुक्त अनुराग चन्द्र शर्मा, सहायक आयुक्त उपायुक्त गौरव चौधरी, पीओडीआरडीए और राजस्व विभाग की टीम मौजूद रही.