बिलासपुर: सर्वदलीय भाखड़ा विस्थापित समिति (All Party Bhakra Displaced Committee) ने बिलासपुर नगर के सभी भाखड़ा विस्थापितों को सचेत करते हुए कहा है कि वे पिछले दो वर्षों से कोरोना महामारी के कारण अतिक्रमण हटाने के अभियान के बंद रहने के कारण यह सोच कर न बैठे रहें कि अब उनके अतिक्रमणों पर सरकार का पीला पंजा नहीं चलेगा. परिधि गृह में सम्पन्न बैठक के बाद समिति के महासचिव जयकुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि अतिक्रमण हटाने का अभियान सरकार की अपनी विवशता से रुका पड़ा था, लेकिन अब सरकार न्यायालय के आदेशों की अनुपालना करने जा रही है, जिस पर जिला प्रशासन द्वारा कार्रवाई शुरू की जा रही है.
उन्होंने कहा कि जल्द ही उपायुक्त से एक शिष्टमंडल मिला कर सभी विषयों बारे अवगत कराया जाएगा, जबकि मुख्यमंत्री से मिल कर सभी समस्याओं के सुलझाव का भी आग्रह किया जाएगा. उन्होंने कहा कि इससे पूर्व भी नगर में विस्थापितों द्वारा किए गए कथित अतिक्रमण संबंधी विस्तार से पैमाईस की जा चुकी है, लेकिन इस समय की वास्तविक स्थिति का पता लगा कर उपयुक्त कानूनी कार्रवाई करने के लिए सरकार ने सक्रिय कदम उठाने आरंभ कर दिए हैं. जिस कार्य के लिए राजस्व अधिकारियों की नियुक्ति भी कर दी गई है.
उपस्थित सभी विस्थापित नेताओं ने स्पष्ट किया कि 13 शताब्दी पुराने बिलासपुर नगर से बिना किसी सहमिति से उन्हें उजाड़ा गया था और सरकार द्वारा सारी संपत्ति अधिगृहीत कर ली गई थी. जबकि उनकी संपत्ति का बहुत कम मुआवजा दिया गया था. उन्होंने बताया कि सरकार ने उन्हें अपने बार-बार के वादों और घोषणाओं के अनुसार न तो उनका उचित बसाव ही किया और न ही उन्हें उनकी भूमि, पेड़ों आदि का कोई मुआवजा ही दिया है, जिस कारण वे आज तक दर-दर की ठोकरें खाने और पिछले 60 वर्षों में अपने ही स्तर पर निर्मित किए गए घर-घरौंदों को बचाने की जदोजहद में लगे हुए हैं.
ये भी पढ़ें: शिमला में नरभक्षी तेंदुए को पकड़ने में नाकाम साबित हो रहा वन विभाग, राजधानी में दो बच्चों की ले चुका है जान
बैठक में उपस्थित सभी विस्थापित नेताओं का कहना था कि उनकी अधिगृहीत की गई सारी भूमि नगर की अथवा ब्यापरिक मूल्यवान भूमि थी जिसके बदले में वे किसी ग्रामीण क्षेत्र में नहीं बल्कि शहर में ही भूमि लेंगे. ताकि पूर्व की भांति ब्यापार चला कर अपना व अपने परिवारों का भरण–पोषण कर सके. उन्होंने कहा कि पिछले 60 वर्षों में निरंतर बढ़ते परिवारों के कारण उन्हें आवंटित प्लॉट के साथ लगती सरकारी भूमि को विकसित करके उसे अपने उचित बसाव के प्रयास में विवशतावश प्रयोग किया है. उस भूमि को उन्हें देय भूमि के बदले एडजस्ट करना चाहिए या अतिक्रमण किए गए भूमि को उन्हें आवंटित प्लॉट की भांति लीज पर दे दिया जाए या फिर 1983-85 में किए गए नगर के बंदोवस्त के आधार पर उस अतिक्रमित भूमि को नियमित कर दिया जाए. ताकि उनके बसे-बसाए परिवारों को दोबारा से उजड़ने से बचाया जा सके.
समिति ने बैठक में अन्य प्रस्तावों में सरकार से आग्रह किया कि नगर के भाखड़ा विस्थापितों के सभी परिवारों के रिकॉर्ड को आधुनिक तकनीक से राजस्व रिकार्ड से जोड़ा जाए और वर्षों से लंबित पड़े लीज रेंट को विस्थापित परिवारों से नियमानुसार प्राप्त करने की व्यवस्था की जाए.
ये भी पढ़ें: पीएम नरेंद्र मोदी के सोलर एनर्जी के सपने को नई ऊंचाइयां दे रहा हिमाचल, अब ग्रीन सिटी होगी राजधानी शिमला