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आज के दिन ही किया गया RBI का राष्ट्रीयकरण, जानें क्यों - आरबीआई राष्ट्रीयकरण

RBI nationalised in 1949- भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना साल अप्रैल 1935 में आरबीआई अधिनियम, 1934 के अधिनियमन के साथ हिल्टन यंग कमीशन की सिफारिश के आधार पर की गई थी. इसके बाद साल 1949 में आरबीआई को राष्ट्रीयकरण कर दिया गया. पढ़ें पूरी खबर...

RBI
भारतीय रिजर्व बैंक
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 1, 2024, 1:06 PM IST

नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना साल अप्रैल 1935 में आरबीआई अधिनियम, 1934 के अधिनियमन के साथ हिल्टन यंग कमीशन की सिफारिश के आधार पर की गई थी. हालांकि शुरुआत में इसका स्वामित्व निजी तौर पर था, लेकिन 1 जनवरी 1949 में इसका राष्ट्रीयकरण कर दिया गया और तब से इसका पूर्ण स्वामित्व वित्त मंत्रालय, भारत सरकार (भारत सरकार) के पास है. लेकिन इसे नेशनलिज्म करने में काफी समय लग गया. बता दें कि इसका राष्ट्रीयकरण भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1948 के आधार पर किया गया था. बता दें कि आरबीआई के प्रथम गवर्नर सी.डी. देशमुख थे.

साल 1949 में आरबीआई हुआ नेशनलिज्म
अगस्त 1947 में भारत के विभाजन के बाद, बैंक ने जून 1948 तक पाकिस्तान के लिए केंद्रीय बैंक के रूप में कार्य किया, जब स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ने परिचालन शुरू किया. हालांकि, शेयरधारकों के बैंक के रूप में स्थापित, आरबीआई 1949 में इसके राष्ट्रीयकरण के बाद से पूरी तरह से भारत सरकार के स्वामित्व में है. नोट जारी करने का एकाधिकार आरबीआई के पास है.

बता दें कि 1950 के दशक में, भारत सरकार ने, अपने पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में, एक केंद्रीय नियोजित आर्थिक नीति विकसित की जो कृषि क्षेत्र पर केंद्रित थी. प्रशासन ने वाणिज्यिक बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया और बैंकिंग कंपनी अधिनियम, 1949 (जिसे बाद में बैंकिंग विनियमन अधिनियम कहा गया) के आधार पर आरबीआई के हिस्से के रूप में एक केंद्रीय बैंक विनियमन की स्थापना की गई.

क्यों हुआ आरबीआई नेशनलिज्म?
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को राज्य के नियंत्रण में लाने और यह सुनिश्चित करने के लिए 1949 में राष्ट्रीयकरण किया गया था कि यह देश की मौद्रिक नीति और बैंकिंग प्रणाली को प्रभावी ढंग से नियंत्रित कर सके. राष्ट्रीयकरण का उद्देश्य भारत में वित्तीय स्थिरता और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना भी था. शनमुखम शेट्टी स्वतंत्र भारत के पहले वित्त मंत्री थे. जिस समय आरबीआई को राष्ट्रीयकरण किया गया था, उस समय गवनर सर सी. डी. देशमुख थे.

कौन है आरबीआई?
भारतीय रिजर्व बैंक, जिसे संक्षेप में RBI कहा जाता है, भारत का केंद्रीय बैंक और नियामक निकाय है जो भारतीय बैंकिंग प्रणाली के विनियमन के लिए जिम्मेदार है. यह भारत सरकार के फाइनेंस मंत्रालय के ओनरशिप में है. यह भारतीय रुपये के नियंत्रण, जारी करने और आपूर्ति बनाए रखने के लिए जिम्मेदार है. बता दें कि यह देश की मुख्य भुगतान प्रणालियों का प्रबंधन भी करता है.

आरबीआई आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए भी काम करता है. भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रण (बीआरबीएनएम) आरबीआई का एक विशेष प्रभाग है जिसके माध्यम से यह नासिक (महाराष्ट्र), देवास (मध्य प्रदेश), मैसूर (कर्नाटक) और सालबोनी (पश्चिम बंगाल) में स्थित अपने चार मुद्रा मुद्रण प्रेसों में भारतीय मुद्रा नोटों (आईएनआर) की छपाई करता है.

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साल 1949 में आरबीआई हुआ नेशनलिज्म
अगस्त 1947 में भारत के विभाजन के बाद, बैंक ने जून 1948 तक पाकिस्तान के लिए केंद्रीय बैंक के रूप में कार्य किया, जब स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ने परिचालन शुरू किया. हालांकि, शेयरधारकों के बैंक के रूप में स्थापित, आरबीआई 1949 में इसके राष्ट्रीयकरण के बाद से पूरी तरह से भारत सरकार के स्वामित्व में है. नोट जारी करने का एकाधिकार आरबीआई के पास है.

बता दें कि 1950 के दशक में, भारत सरकार ने, अपने पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में, एक केंद्रीय नियोजित आर्थिक नीति विकसित की जो कृषि क्षेत्र पर केंद्रित थी. प्रशासन ने वाणिज्यिक बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया और बैंकिंग कंपनी अधिनियम, 1949 (जिसे बाद में बैंकिंग विनियमन अधिनियम कहा गया) के आधार पर आरबीआई के हिस्से के रूप में एक केंद्रीय बैंक विनियमन की स्थापना की गई.

क्यों हुआ आरबीआई नेशनलिज्म?
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को राज्य के नियंत्रण में लाने और यह सुनिश्चित करने के लिए 1949 में राष्ट्रीयकरण किया गया था कि यह देश की मौद्रिक नीति और बैंकिंग प्रणाली को प्रभावी ढंग से नियंत्रित कर सके. राष्ट्रीयकरण का उद्देश्य भारत में वित्तीय स्थिरता और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना भी था. शनमुखम शेट्टी स्वतंत्र भारत के पहले वित्त मंत्री थे. जिस समय आरबीआई को राष्ट्रीयकरण किया गया था, उस समय गवनर सर सी. डी. देशमुख थे.

कौन है आरबीआई?
भारतीय रिजर्व बैंक, जिसे संक्षेप में RBI कहा जाता है, भारत का केंद्रीय बैंक और नियामक निकाय है जो भारतीय बैंकिंग प्रणाली के विनियमन के लिए जिम्मेदार है. यह भारत सरकार के फाइनेंस मंत्रालय के ओनरशिप में है. यह भारतीय रुपये के नियंत्रण, जारी करने और आपूर्ति बनाए रखने के लिए जिम्मेदार है. बता दें कि यह देश की मुख्य भुगतान प्रणालियों का प्रबंधन भी करता है.

आरबीआई आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए भी काम करता है. भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रण (बीआरबीएनएम) आरबीआई का एक विशेष प्रभाग है जिसके माध्यम से यह नासिक (महाराष्ट्र), देवास (मध्य प्रदेश), मैसूर (कर्नाटक) और सालबोनी (पश्चिम बंगाल) में स्थित अपने चार मुद्रा मुद्रण प्रेसों में भारतीय मुद्रा नोटों (आईएनआर) की छपाई करता है.

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